बिहार चुनाव: मतदान से पहले ही BJP मुक्त हुआ यह जिला, EVM में नहीं दिखेगा कमल

9 hours ago

Last Updated:October 18, 2025, 09:39 IST

Bihar Chunav 2025 : रोहतास जिले की राजनीतिक जमीन पर इस बार कुछ ऐसा घटा है जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इतिहास में पहली बार देखने को मिल रहा है. 35 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब पूरे रोहतास जिले की किसी भी विधानसभा सीट पर भाजपा चुनावी मैदान में नहीं उतरेगी. इस अप्रत्याशित फैसले से स्थानीय कार्यकर्ताओं में मायूसी और असंतोष दोनों चरम पर है.

 मतदान से पहले ही BJP मुक्त हुआ यह जिला, EVM में नहीं दिखेगा कमलरोहतास जिला में भाजपा को इस बार एनडीए सीट बंटवारे में एक भी सीट नहीं मिली

सासाराम. एनडीए में सीट बंटवारे के बाद रोहतास जिला इस बार भाजपा के लिए पूरी तरह खाली हो गया है. सात विधानसभा क्षेत्रों वाले इस जिले में भाजपा ने एक भी सीट अपने पास नहीं रखी है. सभी सीटें सहयोगी दलों- जेडीयू, राष्ट्रीय लोक मोर्चा और लोजपा (रामविलास) को दे दी गई हैं. बता दें कि पिछली बार 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था और हार का सामना किया था. ऐसे में इस बार भाजपा ने बहुत बड़ा निर्णय लिया है और इस बार उन सीटों को भी सहयोगी दलों को सौंप दिया गया है. नतीजतन जिले में भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच गहरी निराशा और आक्रोश है.

बता दें कि जब से भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ है उसके बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि शाहाबाद क्षेत्र के इस इलाके में बीजेपी चुनाव नहीं लड़ेगी. बीजेपी ने रोहतास जिला के सभी सात विधानसभा सीटों को अपने सहयोगियों को दे दिया है. अब एनडीए में सीट एवं टिकटों का बंटवारा पूरा हो गया है और ऐसे में रोहतास जिला के 7 विधानसभा क्षेत्रों के तीन विधानसभा सीट काराकाट, नोखा एवं करगहर जदयू के खाते में गई है. वहीं, राष्ट्रीय लोक मोर्चा को सासाराम तथा दिनारा सीट मिली है. बाकी की दो सीट चेनारी (सु) और डेहरी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के खाते में गई है.

भाजपा कार्यकर्ताओं में है तूफान से पहले का सन्नाटा

रोहतास जिला में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलने पर भाजपा के कोई कार्यकर्ता सामने आकर कुछ नहीं बोल रहे हैं. सभी लोग चुप्पी साधे हुए हैं. पूछने पर शीर्ष नेतृत्व की ओर इशारा कर बात बदल दे रहे हैं. लेकिन अंदर खाने में इसको लेकर काफी तनाव है. जानकारी मिल रही है कि एक-दो दिन में रोहतास जिला के कई पुराने भाजपा कार्यकर्ता अपने स्तर से कार्यकर्ताओं की एक पंचायत बुलाकर इस पर गहन मंथन करने वाले हैं. रोहतास जिला के भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रमोद सिंह का कहना है कि यह 35 साल से पार्टी में है. लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ, लेकिन ऐसा तब हो गया है जब केंद्र से लेकर प्रदेश तक भाजपा की सरकार है. युवा भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष अभिषेक तिवारी का कहना है कि रोहतास जिला के कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान के साथ गलत हुआ है.

सासाराम और नोखा कभी भाजपा का था गढ़

बता दें कि रोहतास जिला में सासाराम विधानसभा तथा नोखा विधानसभा भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है. पिछले कई विधानसभा चुनाव में इन दोनों सीटों का पूरे प्रदेश में उदाहरण दिया जाता था. सासाराम से भाजपा नेता जवाहर प्रसाद लगातार जीतते रहे और पांच बार क्षे्र का नेतृत्व किया है, वहीं नोखा से भाजपा नेता रामेश्वर चौरसिया चार बार चुनाव जीत चुके हैं. इसके बावजूद यह इलाका भाजपा को पिछले दो बार से प्रतिनिधित्व के लिए नहीं मिल रहा है और इस बार भी यह क्षेत्र भाजपा के लिए अछूता रहा.

रोहतास के हैं भाजपा के कई दिग्गज नेता

बता दें कि रोहतास जिला में भाजपा के कई बड़े नेता हैं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह का गिरी जिला है. विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह भी इसी जिले से हैं. विधान पार्षद निवेदिता सिंह, राजेंद्र सिंह, पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया, जवाहर प्रसाद, सत्यनारायण यादव, राजेश्वर राज आदि भाजपा के बड़े नेता रोहतास जिला के ही है इसके बावजूद इस जिला को एक भी सीट नहीं मिलने से निचले स्तर के कार्यकर्ता काफी आहत हैं.

रोहतास जिला के EVM में नहीं दिखेगा कमल

संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है कि रोहतास जिला के किसी चुनाव में पहली बार कमल का निशान नहीं दिखेगा. ऐसे में कार्यकर्ताओंमें काफी हताशा है. नाम नहीं छापने के शर्त पर एक कार्यकर्ता ने बताया कि ‘मेरा बूथ-सबसे मजबूत’ का नारा लगाते लगाते उन लोगों को रोहतास जिला में एक भी सीट नहीं मिली. ऐसे में वे लोग इधर बूथ मजबूत करते रह गए, उधर EVM से कमल गायब हो गया.

सन्नाटा तूफान से पहले का संकेत!

जानकार भी कहते हैं कि रोहतास जैसे राजनीतिक रूप से सशक्त जिले में भाजपा का इस तरह गायब होना कार्यकर्ताओं के आत्मविश्वास पर गहरी चोट की तरह है. जहां कभी सासाराम और नोखा को भाजपा का गढ़ माना जाता था, वहीं अब ईवीएम पर कमल का निशान तक नहीं दिखेगा. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं के मन में यह सवाल है कि-क्या संगठन की मजबूती अब राजनीतिक समीकरणों की भेंट चढ़ गई है? आने वाले दिनों में स्थानीय कार्यकर्ताओं की बैठकें और मंथन तय करेंगे कि यह सन्नाटा तूफान से पहले का संकेत है या पार्टी नेतृत्व के फैसले की स्वीकार्यता!

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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Location :

Sasaram,Rohtas,Bihar

First Published :

October 18, 2025, 09:39 IST

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