Last Updated:September 27, 2025, 14:58 IST
बिहार के चर्चित टॉपर घोटाले का नाम लेते ही जिस चेहरे की याद आती है वह है बच्चा राय. कभी छात्रों को भविष्य संवारने का कारोबार करने वाला यह शख्स शिक्षा माफिया बनकर राज्यभर में कुख्यात हो गया. अब यही बच्चा राय फिर सुर्खियों में है और इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से चुनाव लड़ने की घोषणा को लेकर.सवाल है कि क्या बिहार की जनता इस दागदार छवि वाले शख्स को राजनीति में स्वीकार करेगी? असदुद्दीन ओवैसी ऐसे दागदार शख्स को साथ लाकर आखिर क्या संदेश देने जा रहे हैं?

पटना. बिहार टॉपर घोटाले का मास्टरमाइंड बच्चा राय एक बार फिर चर्चा में है. इस बार उसने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़ने का ऐलान कर राजनीतिक सवाल खड़े कर दिये हैं. बच्चा राय का नाम केवल इसी घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि इस शख्स के साथ विवादों और अपराधों की लंबी लिस्ट जुड़ी है. कॉलेज की राजनीति से लेकर टॉपर घोटाले, फर्जीवाड़े और अब राजनीति में एंट्री- हर कदम पर विवाद इसके साथ चलता रहा है. खास बात यह कि गिरफ्तारी के बाद भी उसका नेटवर्क काम करता रहा और वह राजनीति से नजदीकी बनाता रहा. अब ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़ने के ऐलान ने एक बार फिर उसे सुर्खियों में ला दिया है. बच्चा राय का विवादित अतीत बिहार की राजनीति पर सवाल खड़ा करता है और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं की नीति और नीयत को भी कठघरे में खड़ा कर रहा है.
दरअसल, बच्चा राय का नाम सुनते ही लोगों को शिक्षा में भ्रष्टाचार और अपराध का प्रतीक याद आता है. बच्चा राय वही नाम है जिसने बिहार की शिक्षा व्यवस्था की जड़ों को हिला दिया. वैशाली जिले का यह शख्स विष्णुदेव राय कॉलेज ऑफ एजुकेशन का संचालक था. उसने छात्रों और उनके अभिभावकों को टॉपर बनाने के सपने दिखाए, लेकिन इसके पीछे धांधली और पैसों के सौदे का खेल था.
टॉपर घोटाले की पटकथा
बता दें कि वर्ष 2016 में जब बिहार बोर्ड का रिजल्ट आया तो पूरे देश में राज्य की बदनामी हुई. आर्ट्स की टॉपर रूबी राय को बेसिक सवालों का जवाब तक नहीं पता था. विज्ञान के टॉपर ने किताबों के नाम तक गड़बड़ा दिए. जांच में खुलासा हुआ कि यह सब बच्चा राय के रचे जाल का नतीजा था. पैसे लेकर मार्कशीट बदलवाना और फर्जीवाड़ा करना इसका हिस्सा था.जांच के बाद बच्चा राय पर शिकंजा कसा और वह गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. कई महीने तक सलाखों के पीछे रहने के बावजूद उस पर से विवाद का साया कभी नहीं हटा. अदालतों में केस आज भी लंबित हैं, लेकिन वह खुद को बेगुनाह बताता रहा है.
राजनीति में एंट्री और नया विवाद
अब बच्चा राय ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उनकी एक तस्वीर भी असदुद्दीन ओवैसी के साथ आई है और इस घोषणा के बाद राजनीति गरमा गई है. बीजेपी इसको लेकर हमलावर हो गई है जबकि, विपक्षी दल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. बीजेपी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अपराध और भ्रष्टाचार के प्रतीक को जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी. भाजपा ने राजद और एआईएमआईएम पर भी निशाना साधा गया कि वे ऐसे लोगों को टिकट देने से बाज नहीं आते.
शिक्षा की आड़ में माफिया तंत्र
बता दें कि वैशाली जिले के विष्णुदेव राय कॉलेज ऑफ एजुकेशन में पैसों के बदले डिग्रियां और मार्कशीट का खेल चलता था. 2016 का टॉपर घोटाला बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर काला धब्बा बन गया. रूबी राय और अन्य फर्जी टॉपरों का पर्दाफाश हुआ तो देशभर में मजाक बना. इस पूरे खेल का सूत्रधार बच्चा राय इसके पहले भी कई छोटे-बड़े विवादों में फंसा. आरोप लगे कि छात्रवृत्ति और सरकारी योजनाओं से जुड़ी रकम में हेरफेर की गई. फर्जी छात्रों के नाम पर स्कॉलरशिप उठाना और फिर रकम को हड़प लेना उसकी पहचान बन गई थी.
गिरफ्तारी और दबंगई
जब बच्चा राय गिरफ्तार हुआ, तब भी उसने जेल के अंदर से अपनी दबंगई दिखाई. आरोप लगे कि उसके नेटवर्क ने गवाहों को धमकाया और केस को कमजोर करने की कोशिश की. यही नहीं, कॉलेज के आसपास उसका इतना दबदबा था कि लोग उसके खिलाफ बोलने से डरते थे. घोटालों के बावजूद बच्चा राय राजनीति से दूर नहीं रहा. स्थानीय नेताओं से उसके गहरे रिश्ते रहे. अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़ने की घोषणा करके उसने दिखा दिया कि विवादित अतीत उसके लिए बाधा नहीं है, बल्कि वह इसे सियासी ताकत में बदलना चाहता है.
जनता क्या करेगी फैसला?
वहीं, अब इस घोटालेबाज की सियासत में एंट्री की खबरों ने बिहार की राजनीति में गरमी बढ़ा दी है. सवाल यह है कि क्या बिहार की जनता टॉपर घोटाले जैसे बड़े कलंक से जुड़े व्यक्ति को राजनीति में मौका देगी? बच्चा राय का विवादित अतीत बिहार की राजनीति पर सवाल खड़ा करता है. शिक्षा घोटालों और विवादों से भरे इस नाम को जनता किस रूप में देखेगी? क्या छात्र और अभिभावक, जिनका भविष्य उसने तबाह किया, अब उसे राजनीति में वोट देंगे? घोटाले के दागदार इतिहास और छात्रों के भविष्य के साथ किए गए खिलवाड़ को जनता कितनी जल्दी भूल पाएगी, यह चुनावी नतीजों से तय होगा.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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First Published :
September 27, 2025, 14:58 IST