बिहारशरीफ चुनाव रिजल्ट में बीजेपी फहराएगी पताका या कांग्रेस उड़ाएगी गर्दा?

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Last Updated:November 14, 2025, 07:28 IST

Biharsharif Chunav Result 2025: बिहारशरीफ चुनाव 2025 का आज परिणाम आने वाला है. सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू हो जाएगी. सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा की इस सीट पर इस बार भी सबकी नजर है. बीजेपी के डॉ. सुनील कुमार और कांग्रेस के उमैर खान आमने-सामने हैं.बिहारशरीफ सीट पर काउंटिग पल-पल रिपोर्ट आपको NEWS18 इंडिया के साथ मिलता रहेगा.

बिहारशरीफ चुनाव रिजल्ट में बीजेपी फहराएगी पताका या कांग्रेस उड़ाएगी गर्दा?बिहारशरीफ से कौन आगे कौन पीछे?

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नालंदा जिले की बिहारशरीफ विधानसभा सीट हमेशा की तरह इस बार भी काफी चर्चा में है. जिला मुख्यालय होने के कारण यह सीट राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से अहम है. इस सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है, जिसमें एक तरफ लगातार पांच बार के विधायक अपनी जमीन बचाने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस अपनी पुरानी विरासत को वापस पाने के लिए पूरी दम लगा रही है. बीजेपी के डॉ. सुनील कुमार वर्तमान विधायक हैं और उनका इस बार कांग्रेस के उमैर खान से सीधे मुकाबाला है.

डॉ. सुनील कुमार इस सीट से लगातार पांच बार जीते हैं. उन्होंने पहले तीन बार 2005, 2010 जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर जीत हासिल की थी और फिर पार्टी बदलकर 2015 और 2020 में भारतीय जनता पार्टी के बैनर पर चुनाव जीता. वहीं, कांग्रेस के टिकट पर उमैर खान महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं. इस सीट पर जन सुराज के दिनेश कुमार मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकते हैं.

बिहारशरीफ सीट का चुनावी इतिहास

बिहारशरीफ विधानसभा सीट का इतिहास काफी जटिल और रोचक रहा है, जो समय के साथ बदलते जातिगत और राजनीतिक समीकरणों को दर्शाता है. 1951 से अब तक इस सीट पर कांग्रेस ने 5 बार जीत हासिल की है. हालांकि, 1985 के बाद कांग्रेस यहां से कभी जीत नहीं पाई है. इसलिए यह उसके लिए पुरानी विरासत वापस पाने की चुनौती है. सीपीआई ने यहां से 4 बार जीत दर्ज की है. राष्ट्रीय जनता दल ने यहां से सिर्फ एक बार जीत दर्ज की है.

डॉ. सुनील कुमार ने 2005 से लेकर 2020 तक लगातार पांच विधानसभा चुनाव जीते हैं, भले ही उनकी पार्टी बदलती रही हो. यह उनका व्यक्तिगत वर्चस्व दर्शाता है. यह सीट नालंदा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और कुर्मी-कोइरी समुदाय के मतदाता यहां सबसे अधिक हैं. डॉ. सुनील कुमार भी इसी समुदाय से आते हैं. कुर्मी-कोइरी के अलावा मुस्लिम, यादव और पासवान जाति के मतदाता भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. महागठबंधन का दांव इन्हीं वोट बैंक पर है.

इस बार का चुनाव डॉ. सुनील कुमार के लिए छठी बार जीत दर्ज करने की चुनौती है, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार के सामने अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का लक्ष्य है.

First Published :

November 14, 2025, 07:28 IST

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