बीमा सेक्‍टर में सरकार का बड़ा दांव! सस्‍ते होंगे प्रोडक्‍ट और एजेंट को फायदा

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Last Updated:December 11, 2025, 19:19 IST

New Insurance Bill : सरकार ने सदन में नया इंश्‍योरेंस बिल पेश किया है, जिसमें मुख्‍य रूप से तीन एक्‍ट को बदलने का प्रावधान है. सबसे महत्‍वपूर्ण एफडीआई को 74 से बढ़ाकर 100 फीसदी करना और प्रशासनिक नियमों में ढील प्रदान करना है.

बीमा सेक्‍टर में सरकार का बड़ा दांव! सस्‍ते होंगे प्रोडक्‍ट और एजेंट को फायदासरकार ने संसद में नया इंश्‍योरेंस बिल पेश किया है.

नई दिल्‍ली. सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में नया इंश्‍योरेंस बिल पेश कर दिया है. इसे इंश्योरेंस लॉज (अमेंडमेंट) बिल, 2025 के नाम से जाना जा रहा और इस बिल में तीन एक्‍ट नए तरीके से शामिल किए गए हैं. इस एक्‍ट में इंश्योरेंस एक्ट 1938, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (LIC) एक्ट 1956 और IRDAI एक्ट 1999 में बदलाव किया गया है. फिलहाल बिल को चर्चा के लिए सदन में पेश किया जा चुका है और अब इसके फायदों व असर को लेकर कयास लगाए जाने भी शुरू हो चुके हैं.

नए इंश्‍योरेंस बिल में सबसे ज्‍यादा जोर निवेश और सेक्‍टर में कार्यशील पूंजी बढ़ाने पर दिया जा रहा है. यही वजह है कि सरकार ने अब बीमा सेक्‍टर में 100 फीसदी प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी है. इसका मतलब है कि अब विदेशी बीमा कंपनियां सीधे तौर पर भारत में कारोबार शुरू कर सकेंगी. इससे सेक्‍टर में प्रतिस्‍पर्धा बढ़ेगी और बीमा प्रोडक्‍ट सस्‍ते हो सकते हैं. पिछले दिनों सरकार ने बीमा पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर शून्‍य कर दिया है. अब 100 फीसदी एफडीआई होने से पूरे सेक्‍टर को फायदा मिलने का अनुमान है.

बीमा क्षेत्र में सरकार का बड़ा लक्ष्‍य
सरकार ने नया इंश्योरेंस बिल सिर्फ निवेश को ध्‍यान में रखकर ही नहीं बनाया है, बल्कि देश में बीमा उत्‍पाद की पहुंच बढ़ाना भी उसका लक्ष्‍य है. इस बिल के जरिये बीमा सेक्‍टर को आधुनिक बनाने, प्रतिस्‍पर्धा बढ़ाने और साल 2047 तक इंश्‍योरेंस फॉर ऑल के लक्ष्‍य को हासिल करने की भी कोशिश होगी. अभी भारत में बीमा प्रोडक्‍ट की पहुंच महज 3.7 फीसदी है, जबकि ग्‍लोबल लेवल पर यह औसत 7 फीसदी से भी कम है. बिल में ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जो बीमा प्रोडक्‍ट की पहुंच और बढ़ाएंगे.

एफडीआई को लेकर क्‍या बदलाव

अभी भारतीय बीमा सेक्‍टर में 74 फीसदी विदेशी निवेश को की ही अनुमति है, लेकिन नए बिल में इसे 100 फीसदी करने की सिफारिश की गई है. इससे दुनियाभर की दिग्‍गज इंश्‍योरेंस कंपनियां भारत में अपने स्‍वामित्‍व के साथ ही बीमा कंपनी शुरू कर सकेंगी. कंपनियों को कंपोजिट लाइसेंस देने की कवायद की जा रही है, जिसका मतलब है कि उन्‍हें जनरल इंश्‍योरेंस और हेल्‍थ इंश्‍यारेंस के लिए अलग-अलग लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी. एक ही लाइसेंस से दोनों काम हो जाएंगे. नए बिल में कंपोजिट लाइसेंस जारी होने से कंपनियां लाइफ, हेल्‍थ और मोटर तीनों का बीमा एक ही प्रोडक्‍ट में जारी कर सकेंगी.

कम पैसे में शुरू होगी कंपनी
नए इंश्‍योरेंस बिल में सरकार ने नई कंपनी शुरू करने के लिए जरूरी पूंजी के आंकडे़ को भी कम कर दिया है. अब मिनिमम 100 करोड़ रुपये में बीमा कंपनी शुरू की जा सकेगी. हालांकि, रीइंश्‍योरेंस कंपनी शुरू करने के लिए 200 करोड़ रुपये की मिनिमम पूंजी की जरूरत होगी. यह नियम भारतीय कंपनी के लिए होगा. अगर भारत की कोई कंपनी बीमा सेक्‍टर में एंट्री करना चाहती है तो उसे इस पूंजी की जरूरत को पूरा करना होगा.

विदेशी कंपनियों के लिए ज्‍यादा लिमिट
अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में रीइंश्‍योरेंस कंपनी खोलना चाहती है तो उसे 500 करोड़ रुपये का फंड रखना होगा, जो पहले 5,000 करोड़ रुपये होता था. इसका मतलब है कि सरकार ने इस पूंजी जरूरत को सीधे 90 फीसदी घटा दिया है. इन कंपनियों को लाइसेंसब्रोकर और एजेंट्स रखने के लिए हर तीन साल में रजिस्‍ट्रेशन के बजाय स्‍थायी तौर पर नियुक्ति करने की छूट मिलेगी, लेकिन सालाना फीस और नियमों का अनुपालन करना होगा.

एजेंट को भी जमकर फायदा
नया इंश्‍योरेंस बिल लागू होने के बाद कंपनियों और आम आदमी को तो फायदा होगा ही, साथ ही एजेंट्स को भी इसका लाभ मिलेगा. नए नियम के तहत एजेंट्स एक से अधिक कंपनियों के बीमा प्रोडक्‍ट बेच सकेंगे. एलआईसी (LIC) एक्‍ट में बदलाव के साथ एलआईसी बोर्ड को अधिक स्‍वायत्‍ता मिल जाएगी. इससे कंपनी का गवर्नेंस बेहतर होगा और सेक्‍टर में डिजिटल इनोवेशन, उत्‍पाद में डायवर्सिटी दिखेगी.

किसको कितना मिलेगा फायदा

सबसे पहले बात करते हैं आम आदमी की, जिनके सामने ज्‍यादा विकल्‍प होंगे और सस्‍ते व कम प्रीमियम पर बीमा उत्‍पाद मिल सकेंगे. प्रतिस्‍पर्धा बढ़ने से क्‍लेम सेटलमेंट भी जल्‍दी होगा और छोटे शहरों व ग्रामीण क्षेत्र में बीमा प्रोडक्‍ट की पहुंच 3.7 से 7 फीसदी पहुंच सकती है. कॉरपोरेट लेवल पर नए खिलाड़ी बाजार में आएंगे और अनुमान लगाया जा रहा कि करीब 1,000 से भी ज्‍यादा बीमा कंपनियां इस सेक्‍टर में आ सकती हैं. सेक्‍टर को 20 अरब डॉलर यानी करीब 1.70 लाख करोड़ रुपये का निवेश भी मिल सकता है. कंपनियां ज्‍यादा एजेंट रखेंगी, जिससे प्रोडक्‍ट की 20 फीसदी तक बिक्री बढ़ सकती है. हालांकि, इससे छोटी बीमा कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा और उनके विलय की नौबत भी आ सकती है. इस बिल को अगर पारित करा लिया जाता है तो साल 2026 से इसा असर दिखने लगेगा.

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Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 11, 2025, 19:19 IST

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