बोस और टैगोर के पत्रों का जिक्र, वंदे मातरम् पर प्रियंका ने संसद में क्या कहा?

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नई दिल्ली. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर लोकसभा में पलटवार करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू पर एक बार सदन में विस्तृत चर्चा कराई जाए, ताकि उनपर बार-बार आरोप लगाने का अध्याय हमेशा के लिए बंद हो तथा बेरोजगारी, महंगाई एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा हो सके. कांग्रेस सांसद ने निचले सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जितने समय से इस पद पर हैं, लगभग उतने ही समय तक नेहरू जेल में रहे.

केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य ने इस बात पर जोर दिया, “नेहरू जी इस देश के लिए जिए और देश की सेवा करते-करते उन्होंने दम तोड़ा.” प्रियंका ने कहा, “प्रधानमंत्री महोदय 12 साल से इस सदन में हैं, मैं 12 महीनों से हूं. लेकिन एक छोटी सलाह देना चाहती हूं. नेहरू जी से जितनी शिकायते हैं, जितना अपमान करना है, उसकी सूची बना लीजिए. फिर हम (लोकसभा) अध्यक्ष जी से पूछकर एक समय निर्धारित करते हैं. 10 घंटे, 20 घंटे, 40 घंटे, जितने घंटे में आपकी शिकायतें दूर हो जाए, हम चर्चा कर लेते हैं.”

उन्होंने कहा, “एक बार हमेशा के लिए यह अध्याय बंद करिए. देश सुन लेगा, आपकी क्या-क्या शिकायते हैं, इंदिरा जी ने क्या किया, राजीव जी ने क्या किया, परिवारवाद क्या होता है, नेहरू जी ने कौन सी गलतियां कीं, सुना लीजिए, फिर खत्म. उसके बाद बेरोजगारी, महंगाई और महिलाओं से जुड़ी समस्याओं…पर चर्चा करेंगे.” उन्होंने कहा कि जितने साल से नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, जवाहरलाल नेहरू जी लगभग उतने साल देश के लिए जेल में रहे हैं.

कांग्रेस महासचिव ने कहा, “नेहरू जी ने इसरो नहीं बनाया होता तो मंगलयान नहीं होता, डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) नहीं बनाया होता तो तेजस (हल्का लड़ाकू विमान) नहीं बनता, आईआईटी-आईआईएम नहीं बनवाए होते तो हम आईटी में आगे नहीं होते, एम्स नहीं बनवाते तो कोरोना (महामारी) का सामना कैसे होता. कई सार्वजनिक उपक्रम नहीं बनाए होते तो विकसित भारत कैसे बनता.” उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष वंदे मातरम् पर विवाद खड़ा करके कई महापुरुषों का अपमान कर रहा है.

प्रियंका ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस और रवींद्रनाथ टैगोर के पत्रों का उल्लेख करते हुए कहा, “28 अक्टूबर 1937 में कांग्रेस की कार्यसमिति ने अपने प्रस्ताव में ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रगीत घोषित किया. दो छंद पर कार्यसमिति की बैठक में महात्मा गांधी जी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी, पंडित नेहरू जी, आचार्य नरेंद्र देव जी, सरदार पटेल जी, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी ने सहमति जताई.”

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जब इसी गीत के इन्हीं दो छंद को 1950 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने संविधान सभा में भारत का राष्ट्रगीत घोषित किया, तो बाबासाहेब आंबेडकर समेत ये महापुरुष भी वहां मौजूद थे. उन्होंने कहा, “भाजपा साथियों के नेता श्यामाप्रसाद मुखर्जी भी मौजूद थे. वहां भी किसी ने कोई आपत्ति जाहिर नहीं की.”

प्रियंका ने कहा, “आज हम अपने राष्ट्र गीत पर बहस कर रहे हैं, लेकिन हमारा राष्ट्र गान भी कविता का ही एक अंश है और इन दोनों राष्ट्रगीत और राष्ट्र गान के अंश को चुनने में सबसे बड़ी भूमिका गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की थी.” उन्होंने दावा किया, ” ‘वंदे मातरम्’ के उस स्वरूप पर सवाल उठाना, जिसे संविधान सभा ने स्वीकार किया, न सिर्फ उन महापुरुषों का अपमान करना है, जिन्होंने अपने महान विवेक से यह निर्णय लिया, बल्कि यह संविधान विरोधी मंशा को भी उजागर करता है.”

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