नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का कद लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसा पहली बार हुआ हुआ है कि भारत एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के सदस्य राष्ट्र न होने के बावजूद भी भारत के राष्ट्राध्यक्ष को बोलने का मौका मिला. ऐसा पहली बार ही था कि किसी देश के नेता को आसियान के अध्यक्ष और अगले अध्यक्ष के बाद बोलने का दिया मौका गया.
गौरतलब है कि गुरुवार को लाओस में 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (आसियान) का बैठक संपन्न हुआ. पीएम मोदी को भी आमंत्रित किया गया था. बैठक में पीएम मोदी को बोलने का मौका मिला. उन्होंने आतंकवाद पर अपनी बात रखी. साथ ही उन्होंने अप्रत्येक्ष रूप से पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान पर भी निशाना साधा. आसियान के सदस्य देश ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम हैं.
आपसी सहयोग जरूरी
प्रधानमंत्री ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती है. इसका सामना करने के लिए मानवता में विश्वास रखने वाली ताकतों को मिलकर काम करना होगा. साथ ही, साइबर, समुद्री और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को भी मजबूत करना होगा.’
यह युद्ध का युग नहीं है
पीएम ने कहा, ‘दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्षों का सबसे ज़्यादा नकारात्मक असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है. हर कोई चाहता है कि चाहे यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, जल्द से जल्द शांति और स्थिरता बहाल हो. मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है. समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता. संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना ज़रूरी है.’
अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान जरूरी
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देनी होगी. विश्वबधु का दायित्व निभाते हुए भारत इस दिशा में हरसंभव योगदान देता रहेगा. संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना आवश्यक है, संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देनी होगी.
आसियान दृष्टिकोण पर प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
पीएम मोदी ने कहा, ‘हम म्यांमार की स्थिति पर आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं. हम पांच सूत्री सहमति का भी समर्थन करते हैं. साथ ही, हमारा मानना है कि मानवीय सहायता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है. लोकतंत्र की बहाली के लिए भी उचित कदम उठाए जाने चाहिए. हमारा मानना है कि इसके लिए म्यांमार को शामिल किया जाना चाहिए, अलग-थलग नहीं किया जाना चाहिए. पड़ोसी देश के तौर पर भारत अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा.’
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 12:17 IST