Sharad Pawar Politics in Maharashtra : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दिगग्ज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार की प्रतिष्ठा दांव पर है. 83 साल के शरद पवार के पास महाराष्ट्र का यही चुनाव उनकी खोई हुई जमीन वापस दिला सकती है. इस चुनाव से ही शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बड़े नेता का ताज फिर से वापस हासिल कर सकते हैं. शरद पवार साल 1960 से देश और महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन भतीजे अजित पवार के दिए घाव को भरने के लिए यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव हो सकता है. अगर इस चुनाव में वह साबित नहीं कर पाए तो शायद ही आगे उनसे कभी संभव हो पाएगा. शरद पवार के दोबारा राजनीतिक लक्ष्य पाने के लिए जो लोग बाधा बन रहे हैं. उनका जन्म तब हुआ भी नहीं था, जब शरद पवार पहली बार महाराष्ट्र के सीएम बने थे. अब वही लोग अब वही लोग शरद पवार को उनके आखिरी लक्ष्य से दूर करना चाह रहे हैं.
शरद पवार ने साल 2023 में सार्वजनिक जीवन में लंबा समय बिताने के बाद राजनीति से सन्यास लेने का फैसला किया था. लेकिन, भतीजे अजित पवार की बगावत और फिर पार्टी में टूट ने शरद पवार को हाशिये पर ला दिया. हालांकि, बीते लोकसभा चुनाव में शरद पवार ने अपनी खोई जमीन काफी हद तक वापस हासिल कर ली है. लेकिन, अभी भी खोई हुई पूरी जमीन हासिल करने के लिए यह चुनाव पवार के लिए अहम है. हालांकि, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी और उम्र के इस पड़ाव में भी वह अपने 65 साल के भतीजे अजित पवार को पानी पिला रहे हैं.
चाचा-भतीजे के बीच निर्णायक जंग?
शरद पवार राजनीति में 1 मई 1960 से सक्रिय हैं. आपको यह जानकार हैरानी होगी कि जब शरद पवार राजनीति में आए थे तो बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के मौजूदा डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का जन्म भी नहीं हुआ था. देवेंद्र फडणवीस का जन्म 1970 में हुआ. वहीं, जब देंवेंद्र फडणवीस 8 साल के थे तब शरद पवार 38 साल की उम्र में महाराष्ट्र के सीएम बन गए थे. आज, उसी शरद पवार को देवेंद्र फडणवीस से कड़ी चुनौती मिल रही है.
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पवार कब राजनीति में आए?
अगर महाराष्ट्र के मौजूदा सीएम और शिवसेना (शिंदे) गुट के नेता एकनाथ शिंदे की बात करें तो वह भी पवार के सामने बच्चे हैं. क्योंकि, जब एकनाथ शिंदे 14 साल के थे तब शरद पवार महाराष्ट्र के सीएम बन गए थे. एकनाथ शिंदे का जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ था. राजनीति में शरद पवार कितने सीनियर हैं, इसका ताजा उदाहरण यह है कि महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ रहे तकरीबन 95 प्रतिशत कैंडिडेट का जन्म भी नहीं हुआ था, जब राजनीति में शरद पवार ने एंट्री ले ली थी.
क्या शरद पवार लड़ रहे हैं आखिरी लड़ाई?
आपको बता दें कि शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता में हों या न हों, बहुमत में रहें या न रहें, बीते 60-62 साल से महाराष्ट्र के हर चुनाव में शरद पवार ‘फैक्टर’ एक बड़ा फैक्टर होता है, जिससे पार पाना विपक्षी पार्टियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है. बालासाहेब ठाकरे से जमाने से यह परंपरा चलती आ रही है. शरद पवार की बादशाहत तो चुनौती देना वाला राज्य छोड़ दीजिए केंद्र की राजनीति में कोई नहीं है.
जब भतीजे अजित पवार ने चोट पहुंचाया तो सबने कहना शुरू कर दिया कि शरद पवार की राजनीति अब खत्म हो गई. लेकिन, तभी उन्होंने महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी बनाकर यह मैसेज दिया कि शरद पवार अभी भी राजनीति में जिंदा है. महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से जानने वाले कहते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति सबसे बड़े राजनीतिज्ञ अगर शरद पवार को कहा जाए तो इसमें किसी को परहेज नहीं होना चाहिए. देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे को छोड़ दीजिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे नेताओं दादा-दादी और पिता के साथ शरद पवार ने राजनीति की है. वैसे तो शरद पवार के राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ आए. लेकिन, यह मौजूदा मोड़ उनके जीवन में कठिन मोड़ों में से एक मोड़ है.
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FIRST PUBLISHED :
November 15, 2024, 15:32 IST