Opinion: हर व्यक्ति का उत्थान सुनिश्चित कर रहे पीएम मोदी के सम्मान की होड़

2 hours ago

डोमिनिकल रिपब्लिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय सम्मान डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर देने का फैसला किया है. यह फैसला कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की ओर से की गई मदद के प्रति कृतज्ञता जताने के लिए किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी को यह सम्मान 19 से 21 नवंबर तक गुयाना में भारत-कैरीकॉम शिखर सम्मेलन के दौरान दिया जाएगा. इसके साथ ही दुनिया के कई देश मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक और दूसरे सम्मानों से नवाज चुके हैं.

जब कोई देश किसी दूसरे देश के प्रधानमंत्री को सर्वोच्च नागरिक सम्मान देता है, तो वह उनकी वैश्विक क्षमताओं और दक्षताओं का निजी तौर पर सम्मान तो करता ही है, साथ ही उनके देश के वैश्विक दबदबे का भी सम्मान करता है. देश और विदेश में किसी नेता की पॉपुलेरिटी ऐसे ही नहीं हो जाती. उसे देश में कुशल नेतृत्व तो देना ही होता है, साथ ही वैश्विक समस्याओं से निपटने की सामूहिक रणनीति में भी अहम साझेदारी निभानी पड़ती है. इससे साथ ही दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे कूटनैतिक, रणनैतिक, सामरिक संघर्षों की तीव्रता कम करने में भी उन्हें अहम भूमिका निभानी पड़ती है. देश में अंत्योदय यानी अंतिम सीढ़ी पर खड़े समुदाय के विकास की बात हो या फिर विश्व बिरादरी में धाक कायम करने की बात, प्रधानमंत्री मोदी सभी मोर्चों पर एक साथ बेहद मजबूत नजर आते हैं.

भारत में अंत्योदय के विचार को जमीनी हकीकत पर उतारने के मामले में मोदी सरकार ने जम कर पसीना बहाया है. इसके सार्थक और सकारात्मक नतीजे अब साफ-साफ दिखाई देने भी लगे हैं. सिर्फ जनजातीय विकास को पैमाना बनाया जाए, तो उल्लेखनीय परिणाम मिले हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से ले कर अभी तक मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं की बदौलत जनजातीय समुदाय की स्थिति में परिवर्तनकारी बदलाव हुए हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सशक्तीकरण और जमीन की सुरक्षा के मामले में जनजातीय समाज की हालत में मजबूती आई है.

रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक दशक में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को अब आधुनिक सुविधाएं मिलने लगी हैं. बुनियादी ढांचा मजबूत हुआ है और डिजिटल माध्यमों से शिक्षा मिलने लगी है. सरकार की वजीफा योजनाओं से भी जनजातीय बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा मिला है. साल 2013-14 में जनजातीय बच्चों के स्कूलों की संख्या 123 थी. साल 2023-24 तक यह बढ़ कर 476 हो गई. इसी तरह 2013-14 में स्कूलों में 34 हजार जनजातीय बच्चों का ही रजिस्ट्रेशन हुआ था. लेकिन 2023-24 में यह संख्या बढ़ कर एक लाख, 33 हजार हो गई. 10 वर्षों में 17 हजार करोड़ रुपये का वजीफा जनजातीय बच्चों को दिया गया.

स्वास्थ्य की बात करें, तो जनजातीय इलाकों में क्वालिटी स्वास्थ्य सेवाओं में काफी इजाफा हुआ है. अब मोबाइल मेडिकल यूनिटें दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच रही हैं. जनजातीय क्षेत्रों में शौचालयों की संख्या में भी खासी बढ़ोतरी हुई है. इससे लोगों में बीमारियों की समस्या कम हुई है. इलाज पर उनका खर्च भी काफी कम हो गया है. जनजातीय इलाकों में पिछले 10 साल के दौरान 1.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण कराया गया. मोदी सरकार ने वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा है. राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत अभी तक 4.6 करोड़ से ज्यादा लोगों की जांच हो चुकी है. सात करोड़ लोगों की जांच का लक्ष्य रखा गया है.

जमीन की सुरक्षा के अच्छे उपायों का ही नतीजा है कि पिछले 10 साल में जनजातीय समुदाय की जमीनों पर अतिक्रमण पर प्रभावी रोक लगी है, लिहाजा विस्थापन के मामले भी कम हो रहे हैं. सरकार ने वनाधिकार अधिनियम को असरदार तरीके से लागू किया है. मोदी सरकार के कार्यकाल में अभी तक 23 लाख जनजातीय लोगों को जमीन का मालिकाना हक मिल चुका है. कुल 1.9 करोड़ एकड़ जमीन उन्हें मिली है. उन्होंने अपनी जमीन पर खेती करने और रोजी-रोटी कमाने के दूसरे तरीके भी अपनाए हैं.

कुल मिला कर जनजातीय समाज के लोगों के आर्थिक सशक्तीकरण की बात की जाए, तो उनमें से ज्यादातर लोग वनोपज पर ही निर्भर थे. लेकिन आज राष्ट्रीय बांस मिशन, पीएम किसान और वन धन विकास केंद्रों जैसी पहलों ने जनजातीय समाज के विकास की नई राह खोली है. वन धन विकास केंद्रों का फायदा 45 लाख से ज्यादा जनजातीय लोगों को मिल चुका है, जबकि पीएम किसान योजना का फायदा 1.2 करोड़ जनजातीय लोग उठा चुके हैं.

इसी तरह मोदी सरकार ने देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का बीड़ा उठाया और करोड़ों ग्रामीण आवासों में नल से जल पहुंचा दिया है. पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत सरकार देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत से प्रयास कर रही है. राजमार्गों, पुलों, सड़कों, बंदरगाहों और दूसरे बुनियादी ढांचों का विकास तो दूर से और दूर तक नजर आता है, लेकिन जमीनी स्तर पर जिंदगी की मूलभूत जरूरतों से जुड़ी सभी सुविधाओं के विकास के लिए ऐसा ही बहुत कुछ किया जा रहा है, जिसकी चर्चा आम लोगों के बीच कम ही होती है. कोविड-19 के दौरान बहुत से देशों को टीके पहुंचाए गए. इसी तरह वसुधैव कुटुंबकम् की नीति पर चलते हुए मोदी सरकार दूसरे देशों की मदद भी करती है.

ऐसे में वैश्विक नेता के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद बढ़ा है और वे उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दे रहे हैं. रूस ने नौ जुलाई, 2024 को पीएम मोदी को ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू सम्मान से नवाजा था. इससे पहले भूटान ने 24 मार्च, 2024 को उन्हें ऑर्डर ऑफ द ड्रैगन किंग सम्मान दिया था. तेरह जुलाई, 2023 को फ्रांस ने प्रधानमंत्री मोदी को ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया था. इससे पहले मिस्र ने जून, 2023 में उन्हें ऑर्डर ऑफ नाइल सम्मान से नवाजा था. इसी तरह फिजी ने मई, 2023 में उन्हें कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी सम्मान दिया था.

मई, 2023 में ही मोदी को पापुआ न्यू गिनी ने ग्रैंड कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू सम्मान से नवाजा था.साल 2023 में ही मोदी को पलाउ का सर्वोच्च सम्मान एबाकल अवॉर्ड दिया गया था.इससे दो साल पहले 2021 में मोदी को भूटान का ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो सम्मान दिया गया था.साल 2020 में मोदी को अमेरिका का लीजन ऑफ मेरिट सम्मान मिला था.इसी तरह बहरीन ने मोदी को 2019 में किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रिनेसांस सम्मान दिया था.मालदीव भी साल 2019 में मोदी को ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्विश्ड रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन सम्मान दे चुका है.

रूस ने उन्हें 2019 में ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू सम्मान दिया था.उसी साल यानी 2019 में ही संयुक्त अरब अमीरात ने पीएम मोदी को ऑर्डर ऑफ जायद सम्मान से नवाजा था.साल 2018 में फिलिस्तीन ने उन्हें ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन सम्मान दिया था.अफगानिस्तान ने साल 2016 में मोदी को स्टेट ऑर्डर ऑफ गाजी अमीर अमानुल्लाह खान से नवाजा था.उसी साल सऊदी अरब ने उन्हें किंग अब्दुल अजीज सश सम्मान से नवाजा था.

Tags: Narendra modi, PM Modi

FIRST PUBLISHED :

November 15, 2024, 15:46 IST

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