Last Updated:November 25, 2025, 13:48 IST
सेना में अनुसाशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है.Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने एक बेहद अहम फैसला दिया है. दरअसल, शीर्ष अदालत ने मंगलवार को एक क्रिस्चन आर्मी अफसर की बर्खास्तगी को बरकरार रखा जिसने रेजिमेंटल धार्मिक परेड के दौरान मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने इसे सबसे घोर अनुशासनहीनता करार देते हुए कहा कि सेना एक धर्मनिरपेक्ष संस्था है और उसकी अनुशासन प्रणाली से कोई समझौता नहीं किया जा सकता. चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की.
पीठ ने कहा कि यह अफसर क्या संदेश दे रहा था? इसे तो सिर्फ इसी आधार पर बाहर कर देना चाहिए था. बर्खास्त अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल सैमुअल कमलेशन (3 कैवलरी रेजिमेंट) थे, जिन्हें मार्च 2017 में कमीशन मिला था. उनकी स्क्वाड्रन में मुख्य रूप से सिख सैनिक थे. रेजिमेंट में मंदिर और गुरुद्वारा थे, लेकिन ‘सर्वधर्म स्थल’ या चर्च नहीं था. कमलेशन का दावा था कि वे साप्ताहिक रेजिमेंटल परेड में अपने जवानों के साथ मंदिर और गुरुद्वारा जाते थे, लेकिन ईसाई होने के नाते एकेश्वरवाद में विश्वास रखते हैं, इसलिए गर्भगृह में प्रवेश और पूजा-अर्चना में शामिल होने से बचते थे. उन्होंने कहा कि इससे उनके जवानों की भावनाओं का भी सम्मान होता है.
कमलेशन ने आदेश मानने से इनकार किया
सेना का पक्ष था कि कमलेशन को बार-बार समझाया गया, काउंसलिंग की गई, लेकिन उन्होंने लगातार आदेश का पालन करने से इनकार किया. इससे यूनिट के अनुशासन पर बुरा असर पड़ रहा था. आर्मी चीफ ने भी रिकॉर्ड देखकर उन्हें रखना अनुचित माना और बर्खास्तगी को मंजूरी दी. मई 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी बर्खास्तगी को सही ठहराया. हाईकोर्ट ने कहा था कि सशस्त्र सेना के जवान राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं, धर्म को नहीं. वर्दी उन्हें एकजुट करती है, धर्म-जाति-क्षेत्र उन्हें बांटते नहीं. कमांडिंग अफसर की जिम्मेदारी और भी बड़ी होती है कि उसके जवान अपनी धार्मिक प्रथाएं निभा सकें. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इसी तर्क से सहमति जताई. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामला सिर्फ वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) का नहीं, बल्कि वैध आदेश की अवज्ञा और सैन्य अनुशासन पर उसके प्रतिकूल प्रभाव का है. कमलेशन ने अपनी याचिका में पेंशन और ग्रेच्युटी की बहाली की भी मांग की थी, जिसे भी दोनों कोर्ट ने खारिज कर दिया.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
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First Published :
November 25, 2025, 13:48 IST

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