मद्रास हाईकोर्ट ने रद्द किया केंद्र सरकार का अहम आदेश, CBI से जुड़ा है मामला

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Last Updated:July 03, 2025, 10:48 IST

Madras High Court: हाईकोर्ट ने कहा कि किसी की फोन बातचीत को बिना पब्लिक सेफ्टी या इमरजेंसी के नाम पर टैप करना गैरकानूनी है. कोर्ट ने किशोर की याचिका पर सरकार का फोन टैपिंग आदेश रद्द कर दिया.

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मद्रास हाईकोर्ट ने कहा फोर टैप करना अधिकारों का उल्लंघन है.

हाइलाइट्स

केंद्र ने CBI को एक मामले में फोन टैप करने की इजाजत दी थी.मद्रास कोर्ट में याचिका के बाद कोर्ट ने केंद्र के फैसले को रद्द कर दिया.कोर्ट ने कहा, फोन टैपिंग किसी की निजता का उल्लंघन है.

तमिलनाडु: साल 2011 में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने CBI को एक खास केस की जांच करने के लिए कहा था. इन्वेस्टिगेशन के लिए जांच एजेंसी को चेन्नई के रहने वाले किशोर नाम के व्यक्ति के फोन को टैप करने की इजाजत दी थी. यानी सीबीआई को किशोर की बातचीत और उससे जुड़ी जानकारियों को रिकॉर्ड करने का हक दिया गया था.

इसी आदेश के खिलाफ किशोर सीधे मद्रास हाईकोर्ट पहुंचा था. उन्होंने याचिका दाखिल कर मांग की कि सरकार का यह आदेश रद्द किया जाए क्योंकि यह उनकी निजता का उल्लंघन है.

जज ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस आनंद वेंकटेश ने अपने फैसले में कहा कि किसी की फोन पर हो रही बातचीत को रिकॉर्ड करना यानी टैप करना तभी ठीक है, जब कानून इसकी साफ तौर पर इजाजत देता हो. उन्होंने कहा कि ये सीधे-सीधे किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन है.

जज ने कहा कि सिर्फ ये कह देना कि किसी अपराध का पता लगाना है, इस वजह से किसी का फोन टैप किया जा सकता हैयह तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने यह भी कहा कि गुप्त तरीके से बातचीत सुनना तभी सही माना जा सकता है, जब मामला बहुत जरूरी हो, जैसे कोई बड़ा खतरा या इमरजेंसी की स्थिति हो.

किन हालात में की जा सकती है फोन टैपिंग?
जस्टिस वेंकटेश ने कुछ खास स्थितियों को गिनाया, जिनमें टेलीफोन टैपिंग की इजाजत दी जा सकती है:

देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला हो. देश की एकता और अखंडता पर खतरा हो. विदेशी देशों के साथ संबंध बिगड़ने का खतरा हो. सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका हो. आपराधिक गतिविधियों को रोकने की जरूरत हो. इन स्थितियों के अलावा किसी भी और वजह से फोन टैप करना नियमों के खिलाफ है.

सरकार का आदेश रद्द
जस्टिस वेंकटेश ने केंद्र सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें किशोर का फोन टैप करने को कहा गया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में न तो कोई सार्वजनिक आपातकाल था और न ही सार्वजनिक सुरक्षा का कोई गंभीर कारण. इसलिए गृह मंत्रालय का आदेश गलत था और इसे रद्द किया जाता है.

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