Last Updated:July 22, 2025, 13:58 IST
Indian Airforce MiG-21: मिग 21 बाइसन के आखिरी बचे 2 स्क्वाड्रन के फेज आउट हो जाने के बाद एयरफोर्स में फाइटर स्क्वाड्रन की संख्या 29 हो जाएगी, जो कि अब तक का सबसे कम आंकड़ा है। इन मिग की जगह लेंगे स्वदेशी तेजस। ...और पढ़ें

हाइलाइट्स
मिग 21 सितंबर 2025 में फेज आउट होगा.मिग 21 की जगह स्वदेशी तेजस लेंगे.मिग 21 ने 1971 और कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई.Indian Airforce MiG-21: 1960 के दशक के दुनिया के सबसे बेहतरीन फाइटर जेट्स में से एक रूसी मिग से अमेरिका सहित कई देश भी डरते थे. भारतीय वायुसेना की कभी रीढ़ रहे मिग अब फेज आउट होने की कगार पर हैं. भारतीय वायुसेना में अब महज 2 एक्टिव स्क्वाड्रन मिग 21 बाइसन के बचे हैं. इसी साल दोनों फेज आउट होने वाले हैं. सितंबर 2025 में 62 साल की लंबी सेवा के बाद मिग 21 इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे. सूत्रों के मुताबिक चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम में इस फाइटर जेट को अंतिम विदाई दी जाएगी.
मिग रही है भारतीय वायुसेना की रीढ़
भारतीय वायुसेना ने मिग के कई वेरिएंट्स का इस्तेमाल किया जिसमें मिग 21 टाइप 77, मिग 21 बिज (टाइप 75), मिग 21 टाइप 96, मिग 25, मिग 21 बिज, मिग 21 बाइसन और मिग 29 शामिल हैं. मिग 21 टाइप 69 (ट्रेनर), मिग 21 बाइसन और मिग 29 भारतीय वायुसेना के बेड़े में अब भी ऑपरेट कर रहे हैं. मिग 21 बाइसन के रिटायरमेंट के लिए वायुसेना ने हरी झंडी दे दी है, जबकि मिग 29 को हाल ही में अपग्रेड किया गया है और यह 2030 के बाद तक अपनी सेवाएं वायुसेना में देता रहेगा. फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास मिग 21 के दो स्क्वाड्रन में कुल 31 एयरक्राफ्ट ऑपरेट कर रहे हैं. भारतीय वायुसेना ने 1200 के करीब अलग-अलग वेरिएंट्स के मिग एयरक्राफ्ट को ऑपरेट किया है. एक समय तो कुल 19 स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना के पास थे. हालांकि 1970 के दशक से अब तक 400 से ज्यादा मिग क्रैश हुए और पायलटों की जान गई, इसी के चलते इसे फ्लाइंग कॉफिन के नाम से बुलाया जाने लगा था. किसी भी एयरक्राफ्ट की लाइफ उसके इंजन और उसके एयर फ्रेम पर निर्भर करती है. एक अनुमान के मुताबिक 40 से 42 साल फाइटर एयरक्राफ्ट की उम्र मानी जाती है, जिसमें फ्लाई टाइम 2400 घंटे के करीब होते हैं और मेजर ओवरहॉलिंग के बाद इनकी उम्र को 50 फीसदी तक और बढ़ाया जा सकता है.
मिग 21 ने बदली कई जंग की सूरत
भारत मिग का दुनिया में सबसे बड़ा ऑपरेटर रहा है. साल 1961 में पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए इसे खरीदने का प्लान बना और साल 1964 में भारतीय वायुसेना में पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के तौर पर शामिल हुआ. मिग 21 का इस्तेमाल 1965 की जंग में बहुत कम हुआ लेकिन 1971 की जंग में इसने ईस्ट पाकिस्तान पर ऐसी मौत बरसाई कि जंग ही खत्म हो गई. ढाका के गवर्नर हाउस पर 14 दिसंबर 1971 में भारतीय वायुसेना के चार मिग 21 ने गुवाहाटी के एयर बेस से उड़ान भरी और ढाका में गवर्नर हाउस को अटैक कर के जमींदोज़ कर दिया. और यह 1971 की जंग का एक सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था. कारगिल की जंग में भी मिग 21 ने अपना खूब जोहर दिखाया. एक मिग 21 भी भारतीय वायुसेना ने खोया, लेकिन कारगिल की चोटियों में आ घुसे पाकिस्तानियों को मार भगाया. इसके बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद जब पाकिस्तानी एयरफोर्स ने अपने F-16 और JF-17 के साथ भारतीय इलाके में घुसने की कोशिश की तो विंग कमांडर अभिनंदन ने अपने मिग 21 बाइसन से ही दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले एक पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया था.
फाइटर जेट चोरी होने की घटना मिग 21 साथ हुई
60 के दशक में मिग की धमक ऐसी थी कि सभी देश उसकी तकनीक चाहते थे, खास तौर पर अमेरिका और इजरायल. उस वक्त दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ था जब मिग 21 की चोरी हुई थी. सुनकर हैरानी हो रही होगी ना, लेकिन यह चोरी सच है और यह किस्सा तो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. खुफिया ऑपरेशन चलाने के माहिर इजरायल की मोसाद ने इराकी वायुसेना से मिग 21 को चुराने के लिए ऑपरेशन डायमंड लॉन्च किया और मुनीर रेड्फा नाम के इराकी पायलट के जरिए 16 अगस्त 1966 में दुनिया की सबसे चर्चित चोरी करवा दी.