Last Updated:June 04, 2025, 18:07 IST
Bihar Chunav: मुजफ्फरपुर में दलित नाबालिग के साथ बर्बरता की घटना ने पूरे बिहार को झकझोक दिया है. तेजस्वी यादव सहित पूरा विपक्ष बिहार सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर रहे हैं. क्या यह मामला बिहार के चुनावी म...और पढ़ें

मुजफ्ऱपुर रेप कांड के बाद क्या नीतीश परेशान हैं?
हाइलाइट्स
मुजफ्फरपुर रेप कांड ने बिहार को झकझोर दिया है.नीतीश सरकार ने 8 दिन बाद कार्रवाई की.विपक्ष ने सरकार की देरी और लापरवाही की आलोचना की.पटना. मुजफ्फरपुर में एक नाबालिग दलित लड़की के साथ हुई बर्बरता ने बिहार की कानून-व्यवस्था और सरकार की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. बिहार पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए 15 दिनों का समय मांगा है. जबकि, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने बिहार सरकार और पुलिस की उदासीनता पर कड़ी फटकार लगाई है. इस मामले में पीड़ित परिवार की नाराजगी और राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं. विपक्षी पार्टियां कांग्रेस, आरजेडी और जन सुराज पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर राज्य में बवाल काट रखा है. अब तो एनडीए नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी नीतीश सराकर को इस बाबत खत लिख दिया है.
मुजफ्फरपुर में 26 मई 2025 को हुई 11 वर्षीय नाबालिग दलित लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद नीतीश सरकार ने 3 जून 2025 को कार्रवाई की. इस हिसाब से सरकार ने लगभग 8 दिन बाद इस मामले में ठोस कदम उठाए. इस दौरान विपक्ष के लगातार दबाव और विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार ने पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (PMCH) के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत को पद से हटा दिया और मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) की अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा को निलंबित किया. साथ ही, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की, जिसमें तीन डायरेक्टर इन चीफ शामिल हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव पर प्रभाव
हालांकि, विपक्ष ने सरकार की इस कार्रवाई को देर से उठाया गया कदम बताते हुए आलोचना की. कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) जैसे विपक्षी दलों ने इसे सरकार की लापरवाही और संवेदनहीनता का प्रतीक बताया. तेजस्वी यादव ने स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए, जबकि कांग्रेस ने स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की. यइस घटना ने नीतीश सरकार की कानून-व्यवस्था और स्वास्थ्य व्यवस्था की कमियों को उजागर किया है, जिसे विपक्ष ने एक प्रमुख मुद्दा बना लिया है.
क्या यह मुद्दा बिहार चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं?
विपक्ष का हमला: कांग्रेस, RJD, और अन्य विपक्षी दल इस घटना को नीतीश सरकार की नाकामी के रूप में पेश कर रहे हैं. तेजस्वी यादव ने इसे “जंगलराज” की वापसी और सरकार की महिला व दलित विरोधी नीतियों का सबूत बताया. मायावती ने भी इस मामले में नीतीश सरकार की आलोचना की, जिससे दलित मतदाताओं में असंतोष बढ़ सकता है.
महिला और दलित मतदाता: यह घटना, विशेष रूप से दलित नाबालिग लड़की से जुड़ी होने के कारण, दलित और महिला मतदाताओं के बीच सरकार के खिलाफ नाराजगी को बढ़ा सकती है. विपक्ष इसे “संस्थागत हत्या” और “सिस्टम की संवेदनहीनता” के रूप में प्रचारित कर रहा है, जो इन समुदायों के बीच सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है.
नीतीश कुमार और NDA ने राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, और विकास जैसे मुद्दों को चुनावी एजेंडा बनाया है. हालांकि, इस तरह की घटनाएं कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा जैसे स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता दे सकती हैं, जिससे विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिलेगा. विशेष रूप से, मुजफ्फरपुर जैसे क्षेत्रों में, जो पहले भी 2018 के शेल्टर होम रेप कांड के लिए चर्चा में रहा था, यह मामला जनता की भावनाओं को भड़का सकता है.
सरकार की रक्षात्मक स्थिति
नीतीश सरकार इस मामले में बैकफुट पर दिख रही है. विपक्ष के दबाव में कार्रवाई करने और जांच कमेटी गठित करने से यह संदेश जा सकता है कि सरकार तभी सक्रिय होती है जब दबाव बढ़ता है. यह धारणा मतदाताओं के बीच सरकार की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकती है.