यह साबित करने की कोशिश हुई कि... 'हिंदू विकास दर' के टैग पर भड़क गए PM मोदी

47 minutes ago

Last Updated:December 06, 2025, 23:50 IST

यह साबित करने की कोशिश हुई कि... 'हिंदू विकास दर' के टैग पर भड़क गए PM मोदीपीएम मोदी ने कहा कि विश्व अनिश्चितताओं से भरा है, लेकिन भारत को एक अलग ही लीग में देखा जा रहा है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के 23वें संस्करण को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने पिछले शासन मॉडल और औपनिवेशिक मानसिकता की तीखी आलोचना की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह मानसिकता कई वर्षों तक भारत की प्रगति में बाधक बनी रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है. कुछ लोग भारत को वैश्विक ग्रोथ इंजन कहते हैं. कुछ इसे ग्लोबल पावरहाउस कहते हैं. आज भारत के बारे में कई शानदार बातें कही जा रही हैं. लेकिन आज भारत की तेजी से ग्रोथ को देखते हुए, क्या आपने कभी कहीं पढ़ा है या किसी को इसे ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ (हिंदू विकास दर) कहते सुना है? जब भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, तो क्या अब कोई इस शब्द का इस्तेमाल करता है? ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ शब्द का इस्तेमाल तब किया गया था जब भारत 2–3 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के लिए संघर्ष कर रहा था.

उन्होंने कहा कि ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था. एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया. यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि भारत की धीमी विकास दर का कारण हमारी हिंदू सभ्यता और संस्कृति है. और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नजर नहीं आई. ये टर्म उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है. ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है. आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था, और इसकी वजह थी गुलामी की मानसिकता. गुलामी की ये मानसिकता विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है.

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Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

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New Delhi,Delhi

First Published :

December 06, 2025, 23:50 IST

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