Last Updated:October 24, 2025, 16:42 IST
PM Narendra Modi Speech: बिहार चुनाव 2025 में भी क्या महिला वोटर गेम चेंजर साबित होंगी? क्या पीएम मोदी, CM नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर 'आधी आबादी' को साधने की कोशिश में लगे हैं? इस बार के चुनाव में किसका पलड़ा भारी?
पीएम मोदी की सभा की यह तस्वीर क्या कहती है?बिहार चुनाव 2025:क्या बिहार चुनाव 2025 में भी ‘आधी आबादी’ बड़ा खेल करने वाली है? बिहार की चुनावी सभाओं में जुट रही महिला वोटरों की भीड़ क्या गेम चेंजर साबित होगी? इस बार आधी आबादी के वोट पर पीएम मोदी, सीएम नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और जन सुराज के ध्वजवाहक प्रशांत किशोर का दावा कारगर साबित होने वाला है. पीएम मोदी की बिहार चुनाव में दो रैलियों में जुटी भीड़ क्या तेजस्वी और पीके के लिए खतरे की घंटी है? क्या बिहार चुनाव 2025 में भी ‘साइलेंट वोटर्स’ का जिन्न इस बार भी निकलेगा? साइलेंट वोटर्स का जिन्न एनडीए को इस बार भी जिताएगा या फिर महागठबंधन की सालों की मुराद पूरी करेगाी? शुक्रवार को पीएम मोदी की सभा से आई एक तस्वीर क्यों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है?
बिहार की कुल आबादी में आधी भागीदारी रखने वाली यह महिला वोटर अब परंपरागत जातिगत राजनीति से हटकर विकास और सीधे लाभ के आधार पर अपना फैसला लेती दिख रही है. जानकरों की मानें तो पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के लिए महिला वोटर इस बार भी सबसे बड़ा ‘गेम चेंजर’ साबित होने वाली हैं. नीतीश कुमार के शासन में बिहार में महिलाओं ने वर्ष 2005 के बाद से ही एक साइलेंट वोट बैंक के रूप में एनडीए को भरपूर समर्थन दिया है. इस समर्थन को मजबूत करने के लिए पीएम मोदी और नीतीश कुमार दोनों ने ही मिलकर कई ऐसी योजनाएं चलाई हैं, जो सीधे महिलाओं के जीवन को प्रभावित करती हैं.
आधी आबादी अब क्यों नहीं रहीं साइलेंट वोटर्स?
नीतीश कुमार की ‘जीविका योजना’ ने बिहार में एक करोड़ से अधिक ग्रामीण महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त किया है. जीविका दीदी गांव-देहात में सरकारी योजनाओं की सबसे बड़ी प्रचारक और कार्यान्वयन एजेंसी बनकर उभरी हैं. हाल ही में पीएम मोदी ने और सीएम नीतीश कुमार ने मिलकर इस योजना का शुभारंभ किया है. इसके तहत 75 लाख से अधिक महिलाओं के खातों में सीधे ₹10,000 की किस्त भेजी गई है और आगे ₹2 लाख तक की आर्थिक मदद का प्रावधान है. यह सीधा लाभ राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना जा रहा है. साथ ही लाखों की संख्या में काम करने वाली आंगनवाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं सरकार की सीधी लाभार्थी होती हैं. इनका मानदेय बढ़ाना और इनसे सरकारी कार्यक्रमों जैसे जाति जनगणना में सहयोग लेना इन्हें सत्ता के करीब लाता है.
केंद्र और राज्य की योजनाओं का ऐसे लेती हैं लाभ
केंद्र की प्रधानमंत्री आवास योजना, मुफ्त गैस कनेक्शन वाली उज्ज्वला योजना और हर घर नल का जल जैसी योजनाओं का सीधा लाभ महिलाओं को मिला है. पीएम मोदी अपनी रैलियों में बार-बार इन योजनाओं का जिक्र करते हैं. बिहार में जातिगत समीकरण हमेशा से ही सबसे बड़ा फैक्टर रहा है. हालांकि, महिलाओं के हितों पर केंद्रित इन योजनाओं ने एक ‘लाभार्थी आधारित राजनीति’ को जन्म दिया है. जब एक यादव या दलित महिला को भी उज्ज्वला का सिलेंडर या जीविका का कर्ज मिलता है तो उसका फैसला केवल जाति के आधार पर नहीं रहता.
केंद्र और राज्य की योजनाएं क्या गेमचेंजर साबित होंगी?
बिहार में चुनावी गणित के अनुसार पुरुष मतदाता जहां जाति और आक्रोश के आधार पर बंट जाते हैं, वहीं महिलाएं सुशासन और सुरक्षा के नाम पर एकजुट होकर एनडीए के पक्ष में वोट डालती आई हैं. बिहार में लगभग 3.5 करोड़ महिला वोटर हैं. अगर इनमें से एक बड़ा हिस्सा लाभार्थी बनकर एनडीए को वोट देता है तो यह सीधे तौर पर महागठबंधन के जातिगत आधार को कमजोर करके चुनाव का रुख पलट सकता है. पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार दोनों ही इस गेम चेंजर फैक्टर को पूरी तरह से समझते हैं और इसलिए उनकी रैलियों और योजनाओं का फोकस महिलाओं पर केंद्रित है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
October 24, 2025, 16:42 IST

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