Last Updated:June 09, 2025, 08:06 IST
Rajasthan Gurjar Reservation Andolan : भरतपुर में गुर्जर आंदोलन ने राजस्थान की चुनावी राजनीति को गर्मा दिया है. सूबे की भजनलाल सरकार अलर्ट मोड पर है. राजनीतिक दल वेट एंड वॉच की मुद्रा में हैं. जानें इस आंदोलन क...और पढ़ें

राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन बार-बार रेलवे ट्रैक पर आ रहा है.
हाइलाइट्स
गुर्जर आंदोलन ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचाई.कांग्रेस और बीजेपी वेट एंड वॉच की नीति अपना रही हैं.गुर्जर युवा सोशल मीडिया पर सक्रिय होकर जवाब मांग रहे हैं.भरतपुर. पूर्वी राजस्थान में भरतपुर से उठी गुर्जर आंदोलन की आवाज राजधानी जयपुर तक पहुंच चुकी है. गुर्जर समुदाय के आंदोलन ने राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल पैदा कर दी है. यह दीगर बात है कि आंदोलन की आग कुछ ही घंटों में शांत हो गई. लेकिन यह बुझी नहीं है. राजस्थान की राजनीति में गुर्जर समुदाय की अहमियत किसी से छिपी नहीं है. प्रदेश के करीब 40 विधानसभा क्षेत्रों में गुर्जरों की निर्णायक भूमिका मानी जाती है. यही कारण है कि आंदोलन की चिंगारी उठते ही कांग्रेस और बीजेपी, दोनों दल हरकत में आ गए. लेकिन अभी तक दोनों तरफ से कोई बड़ा बयान सामने नहीं आया. अंदरखाने दोनों वेट एंड वॉच की नीति अपनाए हुए हैं.
पिछली बार सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने गुर्जरों को ओबीसी कोटे में 5% आरक्षण देने का वादा किया था. लेकिन आंदोलनकारी मानते हैं कि वादा अभी तक पूरी तरह पूरा नहीं हुआ. यही असंतोष अब राजनीति का नया एजेंडा बनता जा रहा है. इस बार एक खास बात और दिख रही है कि गुर्जर युवा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. वे न केवल अपने मुद्दे उठा रहे हैं, बल्कि नेताओं को ‘टैग’ कर जवाब भी मांग रहे हैं. इससे साफ है कि गुर्जर वोट बैंक अब केवल जातीय पहचान पर नहीं बल्कि काम की बुनियाद पर निर्णय करेगा.
गुर्जर आरक्षण आंदोलन अभी तक राजस्थान भूला नहीं है
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए सत्ता में रहने के लिए गुर्जरों को भरोसे में लिया जाना जरुरी है. लेकिन यह भी साफ है कि अब बात नेताओें के भरोसे ही नहीं है बल्कि गुर्जर समुदाय का युवा भी अब काफी संवेदनशील दिख रहा है. उसे भी किसी भी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. राजस्थान में साल 2008 में हुआ गुर्जर आरक्षण आंदोलन अभी तक राजस्थान ही नहीं देश भी नहीं भूला है. लेकिन उसके बाद जब-जब आंदोलन रेलवे ट्रैक पर आया है तब-तब तत्कालीन राज्य सरकारें ‘एक्सट्रा ऑर्डनरी’ एहतियात बरतती रही है.
आग अभी भी धधक रही है
8 जून को हुआ आंदोलन ने एक बार फिर जता दिया है कि आंदोलन की आग रह-रहकर तब तक भड़कती रहेगी जब तक गुर्जर समाज पूर तरह से संतुष्ट नहीं हो जाता. हर एक दो साल में गुर्जर समाज आरक्षण की मांग को लेकर महापंचायत करता है. वह इस पूरे मामले की समीक्षा करता है. बार-बार मामला रेलवे पटरी पर आता है तो सरकारों की धड़कनें बढ़ जाती है. लेकिन जैसे-तैसे करके मामले को शांत कर दिया जाता है. इस बार भी वैसा ही हुआ है. सरकार ने उस पर ठंडे पानी के छींटे डाल भले ही दिए हों लेकिन आग अभी भी धधक रही है. यह सरकार के लिए चेतावनी है.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan