Last Updated:November 25, 2025, 13:41 IST
Rafale Hammer Deal: भारत के राफेल फाइटर जेट की मारक क्षमता अब पहले से कहीं ज़्यादा घातक होने जा रही है. इस लड़ाकू विमान को अब उसका अपना 'ब्रह्मोस' कहा जाने वाला हथियार मिलने वाला है.
राफेल फाइटर जेट की मारक क्षमता अब पहले से कहीं ज़्यादा घातक होने जा रही है.भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमान को आखिरकार उसकी सबसे घातक कमी दूर करने वाला हथियार मिलने जा रहा है. अब राफेल फाइटर जेट की मारक क्षमता अब पहले से कहीं ज़्यादा घातक होने जा रही है. इस लड़ाकू विमान को अब उसका अपना ‘ब्रह्मोस’ कहा जाने वाला हथियार हैमर (हैमर – Highly Agile Modular Munition Extended Range) मिलने वाला है और सबसे बड़ी बात यह है कि अब यह हथियार भारत में ही बनाया जाएगा.
दरअसल भारत की रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और फ्रांस की Safran Electronics and Defence (SED) के बीच सोमवार को हैमर प्रिसिजन गाइडेड एयर-टू-ग्राउंड हथियार सिस्टम के भारत में निर्माण के लिए JVCA करार हुआ. इसे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
8 साल पुरानी भूल सुधार
दरअसल पहाड़ी इलाकों और कंक्रीट बंकरों को तबाह करने में हैमर मिसाइल का लोहा माना जाता है. यह मिसाइल 70 किमी दूर से किसी भी लक्ष्य पर सटीक निशाना लगा सकती है. हालांकि दरअसल वर्ष 2016 में जब राफेल डील हुई थी, तब वायुसेना ने लागत बढ़ने के डर से हैमर सिस्टम को हथियार पैकेज से बाहर रखा था. बाद में, चीन के साथ एलओसी पर तनाव के दौरान राफेल की त्वरित तैनाती की जरूरत पड़ी, तो आपात स्थिति में हैमर की खरीद करनी पड़ी, क्योंकि राफेल के पास तत्काल उपयोग के लिए छोटी रेंज वाले एयर-टू-सरफेस प्रिसिजन मिसाइल की कमी थी.
अब वही हैमर बड़े पैमाने पर, योजनाबद्ध तरीके से और स्थानीय स्तर पर भारत में बनाया जाएगा. इसे भारतीय वायुसेना के राफेल और नौसेना के राफेल मरीन दोनों के लिए तैयार किया जाएगा. इसके साथ ही इसका मेंटेनेंस और सप्लाई चेन भी भारत में बनेगी.
राफेल की मारक क्षमता को मिलेगा नया रूप
हैमर कोई साधारण बम नहीं है. यह एक मॉड्यूलर गाइडेंस किट और रेंज एक्सटेंशन किट है जो 250 से 1000 किलोग्राम तक के स्टैंडर्ड बमों पर फिट होती है. GPS, इन्फ्रारेड और लेजर गाइडेंस के साथ यह हथियार 70 किलोमीटर दूर से भी सेंटीमीटर की सटीकता से टारगेट को हिट कर सकता है. पहाड़ी इलाकों में भी यह अपनी दिशा बदलते हुए दुश्मन के हार्डेंड बंकर, कमांड सेंटर या रडार को नेस्तनाबूद कर देता है.
यही वजह है कि 2020 में लद्दाख तनाव के दौरान वायुसेना ने इजरायली SPICE-2000 की जगह हैमर को चुना था, क्योंकि SPICE को इंटीग्रेट करने में ज्यादा समय और पैसा लगता. उस वक्त इमरजेंसी पावर के तहत 300 करोड़ रुपये तक के हथियार खरीदने की छूट का इस्तेमाल कर हैमर को जल्दी से लाया गया था. अब वही हथियार भारत में बनेगा… और वह भी राफेल मरीन के लिए भी.
तेजस की ताकत भी बढ़ाएगा हैमर
वर्ष 2016 में जब 36 राफेल की डील हुई थी, तब हैमर को बाहर रखा गया था क्योंकि इसकी कीमत बहुत ज्यादा थी. उस वक्त वायुसेना ने कहा था कि मिराज-2000 पर पहले से इंटीग्रेटेड SPICE-2000 ही काफी है. लेकिन 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद और 2020 में चीन से तनाव के दौरान यह कमी खल गई. राफेल के पास 70 किलोमीटर की रेंज में कोई सटीक एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल नहीं थी. SCALP क्रूज मिसाइल 300 किलोमीटर से ज्यादा की रेंज वाली है, लेकिन छोटी दूरी के लिए हैमर जैसा कुछ नहीं.
अब यह नई डील सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि तकनीक ट्रांसफर की मिसाल है. सैफरान भारत में प्रोडक्शन लाइन स्थापित करेगी, और धीरे-धीरे 60 प्रतिशत पार्ट्स भारतीय MSMEs बनाएंगे. इससे न सिर्फ लागत कम होगी, बल्कि तेजस MK-1A और MK-2 पर भी हैमर इंटीग्रेट हो सकेगा.
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह ब्रह्मोस मिसाइल की तरह ही गेम चेंजर साबित होगा. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जहां जहाज, पनडुब्बी और जमीन से मार करती है, वहीं हैमर लड़ाकू विमानों को पहाड़ी युद्ध में अजेय बना देगा. लद्दाख जैसे इलाके में जहां दुश्मन बंकर ऊंचाई पर बनाता है, वहां हैमर की हाई एजिलिटी और मॉड्यूलर डिजाइन उसे बेस्ट चॉइस बनाती है.
कुल मिलाकर तस्वीर साफ है… राफेल अब पहले से कहीं अधिक ‘कातिल’ साबित होगा. वह हथियार जिसे आठ साल पहले छूट जाने से गलती कहा गया था, वही अब भारत में बनेगा और राफेल की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा. भारत की एयर स्ट्राइक क्षमता अब नई परिभाषा लिखने जा रही है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 25, 2025, 13:41 IST

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