राहुल की राह पर ममता! EC का आदेश बिहार के लिए, फिर बंगाल में क्यों भड़की TMC?

4 hours ago

Last Updated:June 28, 2025, 13:21 IST

TMC on EC Voter List: चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया को TMC ने 'बैकडोर NRC' करार दिया. डेरेक ओ'ब्रायन ने इसे बीजेपी की साजिश बताया. कांग्रेस-टीएमसी सहित विपक्षी इंडिया गठबंधन इस मुद्दे को संसद में उठ...और पढ़ें

राहुल की राह पर ममता! EC का आदेश बिहार के लिए, फिर बंगाल में क्यों भड़की TMC?

TMC ने चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट रिवीजन को 'बैकडोर NRC' करार दिया है. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

TMC ने वोटर लिस्ट रिवीजन को 'बैकडोर NRC' कहा.डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा- चुनाव आयोग बीजेपी की ब्रांच नहीं बन सकता.सागरिका घोष का आरोप- फैसला बिहार चुनाव के लिए, लेकिन टारगेट पर बंगाल है.

चुनाव आयोग की तरफ से बिहार में वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया शुरू करने के आदेश पर सियासी हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस पहले से ही इस फैसले को लेकर सवाल उठा रही थी, वहीं अब तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. खास बात यह है कि चुनाव आयोग की यह कवायद बिहार से शुरू हुई है, लेकिन सबसे तीखी प्रतिक्रिया पश्चिम बंगाल से आ रही है.

तृणमूल सांसद डेरेक ओ’ब्रायन और सागरिका घोष ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग के फैसले को ‘NRC को पीछे के दरवाज़े से लाने की साज़िश’ करार दिया. डेरेक ने कहा, ‘चुनाव आयोग बीजेपी की एक शाखा नहीं बन सकता. ये फैसला अचानक क्यों लिया गया, इसका जवाब चुनाव आयोग को देना होगा. हमारे पास सबूत हैं कि बीजेपी के आंतरिक सर्वे में बंगाल में 46-49 सीटें ही आ रही हैं, इसी डर से यह कवायद की जा रही है.’

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

चुनाव आयोग की तरफ से वोटर रिवीजन प्रक्रिया के लिए निर्धारित नियमों के मुताबिक,

जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों को अपने जन्म और जन्म स्थान का प्रमाण देना होगा. जुलाई 1987 से दिसंबर 2004 के बीच जन्मे लोगों को अपने और एक अभिभावक के जन्म और जन्म स्थान का प्रमाण देना होगा. दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों को अपने और दोनों अभिभावकों के जन्म और जन्म स्थान के प्रमाण देने होंगे.

‘बिहार चुनाव के लिए फैसला, लेकिन टारगेट पर बंगाल’

TMC ने इस प्रक्रिया को बैकडोर NRC करार दिया और आरोप लगाया कि वोटर पहचान की आड़ में आम नागरिकों के मताधिकार को छीनने की कोशिश हो रही है. सागरिका घोष ने आरोप लगाया कि बिहार चुनाव के लिए मतदाता सूची का रिवीजन कराया जा रहा है, लेकिन टारगेट बंगाल पर है. उन्होंने सवाल किया, ‘हर मतदाता की जांच होगी और मतदाता सूची को बदल दिया जाएगा. सरकारी दस्तावेज़ हर किसी के पास नहीं हैं, तो फिर मताधिकार कैसे सुरक्षित रहेगा?’

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस पहले ही इस मुद्दे को संविधान और नागरिक अधिकारों से जोड़कर उठा चुकी है. अब TMC ने भी उसी लाइन को आगे बढ़ाया है. डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, ‘यह वही रणनीति है जो असम में अपनाई गई थी, जहां वोटरों को D-वोटर करार दिया गया. अब इसे क्लीनिंग कहकर बाकी राज्यों में लागू करने की कोशिश हो रही है.’

संसद में मुद्दा उठाएगा INDIA गठबंधन

विपक्षी INDIA गठबंधन ने इस मुद्दे को संसद और सड़क दोनों जगह उठाने का ऐलान किया है. CPM ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस प्रक्रिया को बंद करने की मांग की है.

सवाल यह भी है कि चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया अगर बिहार के लिए है, तो TMC को इतनी आपत्ति क्यों है? क्या यह आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष की साझा रणनीति का हिस्सा है? क्या ममता बनर्जी यह मानकर चल रही हैं कि आने वाली हर प्रक्रिया उनके खिलाफ साजिश है?

इन सभी सवालों के बीच इतना तय है कि वोटर लिस्ट में सुधार की यह प्रक्रिया अब महज प्रशासनिक निर्णय नहीं रही. यह पूरी तरह से राजनीतिक जंग में बदल चुकी है और इस मोर्चे पर कांग्रेस के कंधे से कंधा मिलाकर ममता बनर्जी भी खड़ी हैं.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...

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