Last Updated:June 28, 2025, 17:35 IST
Vice President Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया है. VP ने कहा कि 1975 के आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द जोड़ना एक "पाप" था...और पढ़ें

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस पर साधा निशाना. (Photo : VPIndia/X)
नई दिल्ली: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को लेकर देश की राजनीति में एक बार फिर उबाल है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. धनखड़ ने कहा कि भारत के संविधान की आत्मा को 1976 में आपातकाल के दौरान जिस तरह बदला गया, वह न केवल लोकतंत्र का अपमान था, बल्कि भारत की सनातन आत्मा का भी अपवित्र अनादर है. धनखड़, ‘आंबेडकर के संदेश’ नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा, ‘प्रस्तावना को छूना पाप था, और वो पाप किया गया उस वक्त जब देश का लोकतंत्र जेल में था.’
प्रस्तावना पर चोट, लोकतंत्र पर वार
धनखड़ ने सीधे शब्दों में कहा, ‘प्रस्तावना किसी भी संविधान की आत्मा होती है. हमारे संविधान निर्माताओं ने इसमें जो शब्द रखे, वे सोच-समझकर डाले गए थे. लेकिन जब 1976 में आपातकाल लगा और देश के लोग मौलिक अधिकारों से वंचित थे, उस समय प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़ दिए गए.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं हुआ. ‘भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां संविधान की आत्मा को बिना जनसहमति और खुले विमर्श के बदल दिया गया.’
‘हम भारत के लोग’ बंद थे जेल में
धनखड़ ने बेहद भावनात्मक लहजे में कहा कि 1975 का आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का सबसे अंधकारमय दौर था. ‘उस दौर में जो ‘हम भारत के लोग’ संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित हैं, वही लोग उस समय जेलों में बंद थे. फिर उनके नाम पर बदलाव करना कितना बड़ा छल है?’ उन्होंने यह भी कहा कि आपातकाल में संसद ‘रबड़ स्टैंप’ बन गई थी और न्यायपालिका तक निष्क्रिय कर दी गई थी. ऐसे में संविधान में संशोधन एक ‘अवैध आचरण’ था.
Justice Sikri, another celebrated judge in that judgment, says, “The Preamble of our Constitution is of extreme importance, and the Constitution should be read and interpreted in the light of the grand and noble vision expressed in the Preamble.”
आंबेडकर के नाम पर दोहरा खेल?
उपराष्ट्रपति ने इस मौके पर डॉ. भीमराव आंबेडकर की भूमिका और उनके विचारों को याद करते हुए कहा, ‘डॉ. आंबेडकर की आत्मा को ठेस पहुंचाई गई है. जिस प्रस्तावना को उन्होंने बड़ी मेहनत से गढ़ा, उसे आपातकाल के दौरान बिना उनकी अनुमति, बिना जनता की राय बदला गया.’ धनखड़ ने स्पष्ट रूप से कहा कि ‘डॉ. आंबेडकर कोई साधारण नेता नहीं थे, वे महामानव थे. उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने तब थे.’
धनखड़ ने केशवानंद भारती केस का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि संविधान का मूल ढांचा बदला नहीं जा सकता. ‘प्रस्तावना उस मूल ढांचे का सबसे अहम हिस्सा है, जिसमें संविधान के उद्देश्य, आदर्श और आत्मा समाहित है.’ उन्होंने न्यायमूर्ति एच.आर. खन्ना, न्यायमूर्ति सिकरी और न्यायमूर्ति हिदायतुल्ला जैसे पूर्व न्यायाधीशों के हवाले से कहा कि प्रस्तावना केवल भूमिका नहीं, बल्कि संविधान की व्याख्या का आधार है.
धनखड़ ने आंबेडकर के 25 नवंबर 1949 के ऐतिहासिक अंतिम भाषण की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने कहा था – ‘भारत ने एक बार अपनी आजादी अपने ही लोगों की गद्दारी से खोई थी. क्या इतिहास खुद को दोहराएगा?’ उपराष्ट्रपति ने इस उद्धरण के जरिए वर्तमान राजनीतिक दलों और नेताओं को चेताया कि अगर उन्होंने संविधान की आत्मा से खिलवाड़ करना जारी रखा, तो देश एक बार फिर खतरे में पड़ सकता है.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...
और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi