लैंडिंग के दौरान विमान के टायर क्यों नहीं फटते? किस चीज के बने होते हैं

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Last Updated:June 28, 2025, 15:44 IST

Plane Tyre: हवाई यात्रा के दौरान टेकऑफ और लैंडिंग ऐसी होती है जब थोड़ा डर लगता है. लेकिन कमाल है उन टायरों का जो इतना बोझ लेकर रनवे पर सुरक्षित लैंडिंग करा देते हैं. भारी दबाव सहने के लिए इनमें नाइट्रोजन गैस भर...और पढ़ें

लैंडिंग के दौरान विमान के टायर क्यों नहीं फटते? किस चीज के बने होते हैं

हवाई जहाज के टायर सिंथेटिक रबर कंपाउंड्स के खास मिश्रण से बनाए जाते हैं.

हाइलाइट्स

हवाई जहाज के टायर सिंथेटिक रबर कंपाउंड्स से बने होते हैंटायरों में नाइट्रोजन गैस भरी जाती है, जिससे वे फटते नहीं हैंएक टायर का इस्तेमाल लगभग 500 बार किया जा सकता है

Plane Tyre: हम में से ज्यादातर लोगों ने अपने जीवन में कभी न कभी हवाई यात्रा का अनुभव लिया होगा. हवाई यात्रा का सबसे रोमांचक पल टेकऑफ और लैंडिंग का होता है. हालांकि कुछ के लिए तो यह अनुभव सांस रोक देने वाला होता है. जब एक विशाल और भारी-भरकम हवाई जहाज आसमान से कंक्रीट के सख्त रनवे पर उतरता है तो उसके टायरों को जबरदस्त दबाव का सामना करना पड़ता है. यात्रियों को जो झटका महसूस होता है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि टायरों पर क्या बीतती होगी? लेकिन यह इन टायरों की कमाल की इंजीनियरिंग है कि इतना भारी दबाव सहने के बाद भी वे अपना काम सफलतापूर्वक करते रहते हैं. यह वाकई हैरान करने वाली बात है कि इन टायरों को दिन में कई बार इस तरह के दबाव को झेलना पड़ता है. आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर ये टायर किस चीज के बने होते हैं जो ये इतनी आसानी से फटते नहीं हैं?

आखिर कैसे हवाई जहाज के टायर हर दिन उस दबाव को बिना किसी दुर्घटना के झेल लेते हैं. उनको अत्यधिक तेज गति से रनवे से टकराने के लिए बनाया गया है. साथ ही वे भारी भरकम कॉर्मशियल जेट को सहारा देने का काम करते हैं. अगली बार जब आप हवा में हों तो इसके बारे में ज्यादा न सोचें. लेकिन लैंडिंग के दौरान आपके और टरमैक (पक्की सड़क) के बीच 45 इंच की रबर ही एकमात्र चीज है. तो फिर ऐसा क्या है जो उन्हें इस काम के लिए पर्याप्त मजबूत बनाता है.

किस चीज से बनते हैं टायर
हवाई जहाज के टायर सिंथेटिक रबर कंपाउंड्स के खास मिश्रण से बनाए जाते हैं. इन्हें बनाने में एल्युमिनियम, स्टील और नायलॉन जैसी चीजों का भी इस्तेमाल होता है. ये सभी सामग्रियां मिलकर टायरों को असाधारण मजबूती देती हैं. इसी कारण हवाई जहाज के टायर कई हजार टन वजन और उससे पैदा होने वाले भयंकर दबाव को आसानी से संभाल लेते हैं. यही वजह है कि ये टायर इतनी मुश्किल परिस्थितियों में भी कभी फटते नहीं हैं. टायर का वजन 110 किलो होता है. 

क्या हवा भी निभाती है अपना रोल?
गुडइयर कंपनी में विमान के टायरों की प्रभारी ब्रांडी का कहना है हवाई जहाज के टायरों में ट्रक के टायरों की तुलना में दोगुनी और कार के टायरों की तुलना में छह गुना अधिक हवा भरी जाती है. ब्रांडी के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि दबाव जितना अधिक होगा, टायर उतना ही मजबूत होगा. विमान को सहारा देने के लिए उसमें उतनी ही अधिक ताकत होगी. जब उन्हें फुलाया जाता है तो यह सामान्य हवा से नहीं होती. हवाई जहाज के टायरों में नाइट्रोजन भरी जाती है. 

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इनमें कौन सी गैस भरी जाती है?
इन टायरों में नाइट्रोजन गैस भरी जाती है. नाइट्रोजन एक अक्रिय गैस है, जिसका मतलब है कि यह गैर-ज्वलनशील होती है. यही वजह है कि तापमान और दबाव में बदलाव का इस पर सामान्य हवा के मुकाबले कम असर पड़ता है. नाइट्रोजन गैस होने के कारण टायरों में घर्षण से आग लगने की आशंका भी नहीं रहती है. इसी वजह से, जब हवाई जहाज तेज गति से रनवे पर उतरता है, तो घर्षण के बावजूद टायर गर्म होकर फटते नहीं हैं. हवाई जहाज के टायर 900 पाउंड प्रति वर्ग इंच तक के दबाव को भी आसानी से सहन कर सकते हैं. नाइट्रोजन की मौजूदगी इन टायरों को लैंडिंग के समय की कठिन परिस्थितियों में भी प्रभावी बनाती है.

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टायर की उम्र कितनी होती है?
किसी यात्री विमान में आमतौर पर लगभग 20 टायर होते हैं. एक टायर का इस्तेमाल एक बार में करीब 500 बार किया जाता है. इतनी बार इस्तेमाल होने के बाद टायर को रिट्रेडिंग के लिए भेजा जाता है. इस प्रक्रिया में टायर पर एक बार फिर से नई ग्रिप चढ़ाई जाती है. जिसके बाद इसे दोबारा 500 बार इस्तेमाल किया जा सकता है.एक टायर पर कुल सात बार ग्रिप चढ़ाई जा सकती है. इस तरह एक हवाई जहाज का टायर लगभग 3500 बार तक इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बादवह टायर किसी काम का नहीं रहता. विमान के आगे के टायरों की जीवन अवधि बाकी टायरों की तुलना में कम होती है.

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टायर बदलना भी चुनौतीपूर्ण
एक टायर बदलने में दो मैकेनिकों को एक घंटे तक का समय लग जाता है. वे टायर को जमीन से सिर्फ 5 सेंटीमीटर ऊपर उठाते हैं, जो एक अंगूठे के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं होती. मैकेनिक हबकैप को हटाते हैं और टायर के दबाव को 200 से 30 psi तक कम कर देते हैं, जिससे विमान पर इसे पकड़े रखने वाले बोल्ट और नट को हटाने पर इसके फटने का जोखिम कम हो जाता है. एक मैकेनिक एक्सल स्लीव की सुरक्षा करता है और दूसरा लिफ्टिंग टूल से टायर को खींचकर निकालता है. फिर एक्सल स्लीव को ग्रीस किया जाता है और नया टायर आसानी से लगाया जाता है. 

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कैसे बनाए जाते हैं टायर
विमान के टायर किसी भी वाहन के टायर की तुलना में सबसे कठोर परिस्थितियों के लिए बने होते हैं. जब कंपनी हवाई जहाज का एक नया टायर विकसित करती है, तो वह एक प्रोटोटाइप से शुरू होता है. फिर टायरों को उनके टूटने के बिंदु से परे परीक्षण किया जाता है. उनका गति, दबाव और 38 टन तक का भार संभालने की क्षमता के लिए परीक्षण किया जाता है. इसलिए उन्हें अन्य टायरों की तुलना में बहुत अलग तरीके से बनाया जाता है. विमान के टायर में खांचे होने का कारण यह है कि अगर वो गीली सतह पर उतरता है तो पानी को बाहर निकालना होगा. बहुत सारे कार टायरों पर देखे जाने वाले ब्लॉकी डिजाइन के बजाय विमान के टायर शानदार होते हैं.

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लैंडिंग के समय निकलने वाले धुएं से न डरें
हवाई जहाज के लैंड करते समय जब उसके टायर रनवे से टकराते हैं, तो उनसे धुआं निकलता है. इसकी वजह यह है कि हवाई जहाज के रनवे को छूते ही शुरुआत में टायर घूमने के बजाय फिसलते हैं. यह तब तक होता रहता है, जब तक टायरों की घूमने की गति (रोटेशनल वेलोसिटी) हवाई जहाज की गति के बराबर नहीं हो जाती. इसके बाद टायरों का फिसलना बंद हो जाता है और वे सामान्य रूप से घूमने लगते हैं. इसीलिए जब अगली बार आप फ्लाइट में बैठें तो घबराएं नहीं. क्योंकि हवाई जहाज बनाने वाली कंपनियां आपकी सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करती हैं.

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