वो मशहूर हीरोइन, जिसके ड्राइवर ने 17 बार चाकू मारा और लूट लिया सारा पैसा

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Last Updated:June 28, 2025, 18:11 IST

क्या आप जानते हैं कि एक प्रसिद्ध अभिनेत्री जिसने ममूटी,मोहनलाल,कार्थी और माइक मोहन जैसे लीडिंग हीरो के साथ काम किया था, उसकी छाती में 17 बार चाकू घोंपकर निर्मम हत्या कर दी गई थी? उस अभिनेत्री की गलती भी कुछ नहीं थी.

यहां हम साउथ सिनेमा की एक्ट्रेस रानी पद्मिनी के बारे में कर रहे हैं जिनका जन्म 1962 में चेन्नई के अन्ना नगर में विश्वनाथ चौधरी और इंदिरा कुमारी के घर हुआ था. एक्ट्रेस की मां इंदिरा कुमारी भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हुई थीं और मलयालम फिल्मों के लिए डबिंग करती थीं. इंदिरा कुमारी का सपना था कि उनकी बेटी मशहूर डांसर पद्मिनी की तरह एक बेहतरीन अभिनेत्री बने, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी का नाम पद्मिनी रखा. बच्ची 5 साल की उम्र से ही नृत्य में पारंगत हो गई और बड़ी होकर बेहद खूबसूरत बनी.

इंदिरा कुमारी ने अपनी बेटी पद्मिनी को हिंदी फिल्म में बतौर हीरोइन लेने का फैसला किया और मुंबई जाकर कई बार कोशिश की कि उसे किसी फिल्म में काम मिल जाए, लेकिन बात नहीं बनी. इसलिए वह अपनी बेटी को चेन्नई ले आईं और किसी तरह 1981 में उन्हें पहली फिल्म का मौका मिला. उन्होंने मलयालम फिल्म 'संकरशम' में 'लेखा' का किरदार निभाया. इसके बाद पद्मिनी को तमिल फिल्म 'मौली' में कास्ट किया गया और हर कोई उनकी प्रतिभा से प्रभावित हुआ और पद्मिनी ने धीरे-धीरे आगे की फिल्मों में भी काम करना शुरू कर दिया.

मलयालम में ममूटी और मोहनलाल जैसे प्रमुख अभिनेताओं के साथ जोड़ी बनाने वाली पद्मिनी ने तमिल में कार्थी, माइक मोहन और राजकुमार सेतुपति के साथ अभिनय करना शुरू किया. चूंकि उस समय पद्मिनी नाम की कई अभिनेत्रियां थीं, इसलिए पीजी विश्वंभरन ने उनका नाम बदलकर रानी पद्मिनी रख दिया. मशहूर अभिनेत्री बनने लगीं रानी पद्मिनी ने पैसे और गहने जमा करना शुरू कर दिया. उन्होंने 5 साल में 52 फिल्मों में काम किया. रानी पद्मिनी अपनी मां के साथ अन्नानगर में 6 कमरों वाले बंगले में रहती थीं.

ऐसे में उन्होंने अखबारों में ड्राइवर, कुक और वॉचमैन के लिए विज्ञापन दिया. इस विज्ञापन को देखकर जैकब जेबराज ने ड्राइवर की नौकरी जॉइन कर ली. उसके बाद गणेशन ने कुक की नौकरी जॉइन कर ली और लक्ष्मी नारायणन ने उनके जरिए वॉचमैन की नौकरी जॉइन कर ली. रानी पद्मिनी सिनेमा में बहुत मशहूर हैं. ऐसे में मां-बेटी ने खुद का एक बंगला खरीदने का फैसला किया और 15 लाख रुपए कैश में रख लिए.

1986 में एक दिन शूटिंग के बाद रानी पद्मिनी ग्लैमरस आउटफिट में अपनी कार की अगली सीट पर बैठी थीं. जब इंदिरा कुमारी ने ड्राइवर जैकब जेबराज को गाड़ी चलाते हुए रानी पद्मिनी के शरीर को गलत नजर से देखते हुए देखा तो उन्होंने उसे गाल पर थप्पड़ मारा और नौकरी से निकाल दिया. इससे गुस्साए जैकब ने चौकीदार और रसोइए को बुलाया और कहा, 'वे तुम्हें कभी भी नौकरी से निकाल देंगे. उससे पहले हमें घर में मौजूद हर चीज लूटनी होगी.' जैकब ने एक योजना बनाई और उन तीनों के लिए तीन चाकू खरीदे.

जैकब को पता था कि रानी पद्मिनी और इंदिरा कुमारी कब आराम कर रही होंगी, उसे यह भी पता था कि पैसे कहां हैं. जब वो कमरे में गई और पैसे लेने की कोशिश की, तो इंदिरा कुमारी ने उसे देख लिया. इससे हैरान जैकब जेबराज ने एक छिपा हुआ चाकू निकाला और इंदिरा कुमारी पर वार कर दिया, जिससे इंदिरा कुमारी जोर से चीखते हुए नीचे गिर गईं. उस समय अपनी मां की चीख सुनकर अभिनेत्री रानी पद्मिनी दौड़कर आई और तभी जैकब जेबराज ने एक्ट्रेस को चाकू मार दिया, जिससे उनकी मौत हो गई. रानी पद्मिनी को अकेले सीने के हिस्से में 17 बार चाकू मारा गया था.

மேலும் இந்திராகுமாரியின் உயிர் பிரிந்து கொண்டிருக்கும் அந்த வேளையில், यह भी कहा गया कि जब इंदिरा कुमारी मर रही थी, तब उन तीनों ने उसकी बेटी रानी पद्मिनी के साथ उसकी मां के सामने ही बलात्कार किया. तीनों ने शवों को शौचालय में फेंक दिया और भाग निकले. शव 4 दिनों से अधिक समय तक शौचालय में रहा. उसके बाद जब प्रसाद अपना घर खरीदने की जानकारी लेकर रानी पद्मिनी के घर आया, तो घर से आ रही दुर्गंध के कारण शवों को देखकर वो चौंक गया और पुलिस को सूचना दी. चूंकि हत्या को 4 दिन से अधिक हो चुके थे, इसलिए पुलिस ने शवों को बरामद किया, जो पूरी तरह से सड़ी-गली अवस्था में थे.

उसके बाद पुलिस तीनों लोगों जैकब जेबराज, लक्ष्मी नारायणन और गणेशन की सरगर्मी से तलाश कर रही थी. ऐसे में इंदिरा कुमारी और रानी पद्मिनी के शव को लेने कोई नहीं आया. उनका कोई करीबी दोस्त या रिश्तेदार भी नहीं था. उसके बाद चूंकि रानी पद्मिनी केरल से थीं और उन्होंने केरल की फिल्मों में काम किया था, इसलिए केरल चलचित्र अकादमी के नेता आगे आए और दोनों के शवों को इकट्ठा किया और उनका अंतिम संस्कार किया. इतनी मशहूर अभिनेत्री के अंतिम संस्कार में कोई मशहूर अभिनेता शामिल नहीं हुआ, केवल कुछ अभिनेता ही शामिल हुए.

रानी पद्मिनी की कार चुराने वाले जेबराज को सबसे पहले पुलिस ने पकड़ा था. उसके बाद लक्ष्मी नारायणन को पकड़ा गया. लेकिन गणेशन को पकड़ने में एक साल से ज़्यादा का समय लग गया. शुरू में तीनों ने हत्या के अपराध से इनकार किया, लेकिन एक समय पर उन्होंने हत्या की बात कबूल कर ली. तीनों को मौत की सजा सुनाई गई और उन्होंने इसके खिलाफ अपील की. ​​बाद में, अदालत ने पाया कि अकेले जेबराज ने ही हत्या की थी, और चूंकि बाकी दो लोग हत्या में सहयोगी थे, इसलिए अदालत ने जेबराज को आजीवन कारावास और बाकी दो को रिहा करने का आदेश दिया. तमिलनाडु सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की.

उस समय सुप्रीम कोर्ट ने तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी क्योंकि तीनों ही हत्यारे थे और हत्या में उनकी भूमिका थी. उसके बाद पुलिस ने दोबारा तलाशी के बाद लक्ष्मी नारायण को गिरफ्तार किया था. इनमें से जैकब जेबराज की कुछ साल बाद जेल में ही तबीयत खराब होने के कारण मौत हो गई थी. लेकिन गणेशन तमाम तलाशी के बावजूद नहीं मिल सका। गौरतलब है कि गणेशन को पकड़ने में डेढ़ साल लग गए. आज तक पुलिस गणेशन को नहीं पकड़ पाई है.

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