रेजर, स्ट्रॉ और फोन लाइट से सड़क पर सर्जरी, इन डॉक्टर्स की मुरीद हुई दुनिया

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Last Updated:December 24, 2025, 10:54 IST

Inspiring Doctor Story From Kerala: केरल से दिल को सुकून देने वाली एक कहानी आई है. दरअसल, राज्य के उदयम्पेरूर में एक्सीडेंट के बाद तीन युवक बुरी तरह जख्मी हो गए थे. इनमें से एक युवक को तुरंत सर्जरी की जरूरत थी. तभी तीन डॉक्टर डॉ. बी मनूप, डॉ. थॉमस पीटर और डॉ. दिदिया ने बिना उपकरण मोबाइल टॉर्च, रेजर और स्ट्रॉ से रोड पर ही यूवक का ऑपरेशन किया. तीनों डॉक्टरों की इस पहल के बाद उनकी खूब प्रशंसा हो रही है.

रेजर, स्ट्रॉ और फोन लाइट से सड़क पर सर्जरी, इन डॉक्टर्स की मुरीद हुई दुनियाकेरल के तीन डॉक्टरों ने रोड किनारे मोबाइल टॉर्च की लाइट में एक जटिल सर्जरी कर एक युवक की जान बचाने की कोशिश की. फाइल फोटो

Inspiring Doctor Story From Kerala: सड़क किनारे कूप अंधेरा, सांस लेने की जद्दोजहद कर रहा खून से लथपथ युवक, पास में कोई अस्पताल नहीं, मरीज को अस्पताल ले जाने का कोई साधन नहीं. फिर ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे. आप खुदा को याद करने के अलावा कुछ और नहीं कर सकते. आप केवल किसी चमत्कार की उम्मीद कर सकते है. लेकिन, केरल में तीन डॉक्टरों ने कुछ ऐसा किया कि पूरी दुनिया उनको सलाम करने लगी. ये डॉक्टर खाली हाथ थे. इनके पास कोई मेडिकल उपकरण नहीं था. फिर भी इन्होंने हार नहीं मानी. किसी तरह एक शेविंग रेजर, प्लास्टिक स्ट्रॉ और मोबाइल फोन की टॉर्च का इंतजाम हो सका. फिर तीनों डॉक्टर ने मौके पर ही मरीज का ऑपरेशन किया. डॉक्टरों ने इंसानियत की ऐसी मिसाल पेश की कि राज्यपाल तक ने फोन करके उनकी सराहना की.

द इंडियन एक्सप्रेस अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार की रात उदयम्पेरूर में दो मोटरसाइकिलों की आमने-सामने की टक्कर हो गई. तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. सबसे गंभीर हालत लिनू की थी. खून से उसका ऊपरी रेस्पेरेट्री सिस्टम बंद हो चुका था. सांसें बेहद कमजोर पड़ रही थीं. कोट्टयम गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के कार्डियक सर्जन डॉ. बी मनूप कोचि से कोट्टयम लौट रहे थे. तभी उन्होंने दुर्घटना स्थल की देखा और रुक गए.

तीन डॉक्टरों ने जान बचाने की कि कोशिश

थोड़ी देर बाद इंदिरा गांधी कोऑपरेटिव अस्पताल के क्रिटिकल केयर विभाग के डॉ. थॉमस पीटर और उनकी पत्नी डॉ. दिदिया भी वहां पहुंच गए. वे ड्यूटी खत्म करके घर लौट रहे थे. डॉ. थॉमस ने बाकी दो घायलों को संभाला, जबकि डॉ. मनूप और डॉ. दिदिया ने लिनू पर ध्यान दिया. डॉ. मनूप ने बताया कि लिनू की स्थिति बहुत गंभीर थी. पास में कोई तत्काल चिकित्सा सुविधा नहीं थी. जॉ थ्रस्ट करने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. अगर सांस की नली नहीं खोली जाती तो कुछ मिनटों में सब खत्म हो जाता.

बिना समय गंवाए तीनों डॉक्टर्स ने फैसला लिया कि अब क्रिकोथायरोटॉमी करनी होगी. यह इमरजेंसी प्रक्रिया है जिसमें गले की झिल्ली में छेद करके वैकल्पिक श्वसन मार्ग बनाया जाता है. यह एक जटिल सर्जरी है. ऑपरेशन थिएटर में भी यह सर्जरी जोखिम भरी होती है. लेकिन यहां तो सिर्फ फोन की लाइट थी. पास की दुकान से रेजर मंगवाया गया. पहले पेपर स्ट्रॉ मिली, लेकिन पुलिस ने प्लास्टिक स्ट्रॉ जुटा ली. डॉ. मनूप ने कहा कि हमने गर्दन की सही जगह लोकेट की, रेजर से कट लगाया और स्ट्रॉ डालकर सांस लेने का रास्ता (एयरवे) बनाया. यह सब मोबाइल टॉर्च की रोशनी में हुआ. भीड़ ने बहुत सहयोग किया. हमने उनसे फोटो-वीडियो न लेने को कहा और उन्होंने मान लिया.

यह सब महज कुछ मिनटों में हुआ. प्रक्रिया सफल रही और लिनू की सांसें लौट आईं. एंबुलेंस से उन्हें अस्पताल ले जाया गया. लेकिन दुर्भाग्य से दो दिन बाद मंगलवार को लिनू ने दम तोड़ दिया. इस घटना की खबर जैसे ही फैली, हर तरफ डॉक्टर्स की तारीफ होने लगी. केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने खुद तीनों डॉक्टर्स से फोन पर बात की और उनकी सराहना की. राजभवन की रिलीज में कहा गया कि ऐसा मानवीय कार्य चिकित्सा पेशे की सर्वोच्च नैतिकता का प्रतीक है और सभी को इसे अनुकरण करना चाहिए.

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संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

First Published :

December 24, 2025, 10:47 IST

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