Last Updated:December 11, 2025, 18:43 IST
CJI Suryakant : सुप्रीम कोर्ट ने 23 साल पुराने मामले में संयोगता देवी को न्याय दिलाते हुए रेलवे को ₹8.92 लाख का मुआवजा देने का निर्देश दिया. पति की ट्रेन हादसे में मौत के बाद लंबी कानूनी लड़ाई चली, लेकिन वकील की मृत्यु और पता बदलने से मुआवजा अटका रहा. CJI सूर्यकांत ने खुद निगरानी की और पुलिस की मदद से महिला का पता खोजकर भुगतान सुनिश्चित कराया. मुआवजा मिलने पर CJI भावुक हुए और कहा कि एक गरीब के चेहरे की मुस्कान ही हमारी सबसे बड़ी कमाई है.
सीजेआई सूर्यकांत ने विधवा को उसका हक दिलवाया. नई दिल्ली. एक गरीब के चेहरे पर मुस्कान ही वह है जिसे हम कमाना चाहते हैं और कुछ नहीं. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत के ये मार्मिक शब्द न्यायपालिका की मानवीय संवेदना को दर्शाते हैं. वकील की मृत्यु हो गई, पता बदल गया फिर भी रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश पर एक विधवा को 23 साल बाद उसके पति की मौत का ₹8.92 लाख मुआवजा घर जाकर सौंपा. जब CJI ने सुना कि वर्षों के संघर्ष के बाद संयोगता देवी के चेहरे पर आखिरकार मुस्कान आई है तो उन्होंने कोर्ट में ही अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. यह कहानी दिखाती है कि न्यायपालिका केवल कानून का पालन नहीं करती बल्कि मानवीय गरिमा को सर्वोच्च रखती है.
दो दशक का संघर्ष
संयोगता देवी के पति विजय सिंह की दुखद मृत्यु 21 मार्च 2002 को हुई थी. भीड़भाड़ के कारण वह चलती ट्रेन से गिर गए थे. इसके बाद दो दशक तक कानूनी लड़ाई चली. रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल और पटना हाईकोर्ट ने उनके दावे को यह कहकर खारिज कर दिया कि मृतक अस्वस्थ दिमाग का था. 2 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और ट्रिब्यूनल के आदेशों को पूरी तरह बेतुका, काल्पनिक और अविवादित तथ्यों के विपरीत बताते हुए खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर मृतक अस्वस्थ दिमाग का होता तो वह खुद टिकट नहीं खरीद पाता. कोर्ट ने रेलवे को ₹4 लाख का मुआवज़ा, साथ ही क्लेम याचिका दाखिल करने की तारीख से 6 प्रतिशत ब्याज देने का निर्देश दिया.
वकील गुजर गया, पता बदल गया
दुर्भाग्यवश सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद संयोगता देवी के स्थानीय वकील का निधन हो गया. साथ ही पारिवारिक परिस्थितियों के कारण विधवा ने बिहार के दूर-दराज के गांव में अपना निवास स्थान बदल लिया था. रेलवे ने आदेश का पालन करने की कोशिश की लेकिन सही पता न होने के कारण मुआवजा नहीं दे पा रहा था. मजबूरन रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपनी लाचारी व्यक्त की.
CJI सूर्यकांत ने खुद उठाया बीड़ा
मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने पूर्वी रेलवे के प्रिंसिपल चीफ कमर्शियल मैनेजर को सार्वजनिक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने SSP नालंदा और बख्तियारपुर के SHO को पुलिस की मदद से शारीरिक रूप से सत्यापन कर महिला का पता लगाने और उसे मुआवजे के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया. रेलवे ने बाद में कोर्ट को बताया कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मदद से उन्होंने संयोगता देवी का सही गांव और पता ढूंढ लिया है.
यही हम कमाना चाहते हैं: CJI सूर्यकांत
युवा वकील फौजिया शकील ने प्रो बोनो (निःशुल्क) उनका प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने भी यह सुनिश्चित किया कि उन्हें मुआवज़ा मिले. अक्टूबर के आदेश के अनुपालन में रेलवे ने दस्तावेज प्राप्त किए और 13 नवंबर को संयोगता देवी के बैंक खाते में ₹8,92,953 जमा कर दिए. यह सुनकर CJI सूर्यकांत बेहद भावुक हुए और बोले, “युवा वकील ने यह सुनिश्चित किया कि उन्हें 23 साल बाद मुआवज़ा मिले. एक गरीब व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान ही वह है जिसे हम कमाना चाहते और कुछ नहीं.”
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पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
First Published :
December 11, 2025, 18:43 IST

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