Last Updated:October 24, 2025, 19:34 IST
Waqf properties strictness : उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ठप पड़ गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक मात्र 200 संपत्तियां ही “उम्मीद पोर्टल” पर दर्ज हो सकी हैं. प्रदेश में करीब 5 हजार से ज्यादा संपत्तियां और 400 वक्फ समितियां हैं, लेकिन मुतवल्लियों की लापरवाही ने प्रक्रिया को धीमा कर दिया है.
उत्तराखंड में वक्फ माफियां की तलाश तेज "उम्मीद पोर्टल" पर रजिस्ट्रेशन नहीं तो होगी कार्रवाईदेहरादून. सरकार अब वक्फ संपत्तियों पर कब्जा जमाए लोगों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी में है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि 31 अक्टूबर तक वक्फ संपत्तियों का ब्यौरा “उम्मीद पोर्टल” पर ऑनलाइन दर्ज किया जाए. लेकिन उत्तराखंड में इस दिशा में काम बेहद धीमी रफ्तार से चल रहा है. आंकड़ों के अनुसार, राज्य में लगभग 5,000 से अधिक वक्फ संपत्तियां मौजूद हैं, पर अब तक केवल 200 संपत्तियों का ही रजिस्ट्रेशन हो पाया है. यह स्थिति सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी का संकेत दे रही है.
प्रदेश में 400 वक्फ कमेटियां और 2100 केयरटेकर, फिर भी रजिस्ट्रेशन अधूरा
प्रदेश में फिलहाल 400 वक्फ कमेटियां और करीब 2,100 केयरटेकर (मुतवल्ली) कार्यरत हैं. इसके बावजूद, अधिकांश मुतवल्ली संपत्तियों का ब्यौरा ऑनलाइन दर्ज कराने में आगे नहीं आ रहे हैं. वक्फ बोर्ड की मानें तो कई लोग जानबूझकर रजिस्ट्रेशन से बच रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इन संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर रखा है. कई जगहों पर वक्फ की जमीनों पर आलीशान घर, दुकानें और व्यावसायिक इमारतें खड़ी कर दी गई हैं.
वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने कहा- कार्रवाई से नहीं बच पाएंगे कब्जाधारी
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अब वक्फ की संपत्तियों को दबाकर बैठने वालों पर सरकार कार्रवाई करेगी. उन्होंने कहा, “वक्फ की संपत्तियों को छिपाने वाले और गलत तरीके से उपयोग करने वाले लोग अब वक्फ माफिया की श्रेणी में आएंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, हर संपत्ति का विवरण 31 अक्टूबर तक पोर्टल पर दर्ज होना जरूरी है, अन्यथा संबंधित लोगों पर कार्रवाई की जाएगी.” शम्स ने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड का उद्देश्य किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है.
मुस्लिम सेवा संगठन ने दी सफाई, कहा- तकनीकी कारणों से हो रही देरी
दूसरी ओर, मुस्लिम सेवा संगठन का कहना है कि वक्फ संपत्तियों की पूरी जानकारी पहले से ही सरकारी रिकॉर्ड में उपलब्ध है. संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा, “ऐसा नहीं है कि सरकार के पास वक्फ संपत्तियों की डिटेल नहीं है. कुछ तकनीकी दिक्कतों और जानकारी के अभाव में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया धीमी हुई है.” उन्होंने कहा कि लोगों को ‘वक्फ माफिया’ कहना गलत है और इससे समुदाय में गलत संदेश जा रहा है. कुरैशी का कहना है कि अगर सरकार तकनीकी सहायता और स्पष्ट दिशा-निर्देश दे, तो सभी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन समय पर पूरा हो सकता है.
वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे बने चिंता का कारण
उत्तराखंड में वक्फ की कई जमीनों पर लोगों ने आलीशान घर, दुकानें और बिजनेस कॉम्प्लेक्स खड़े कर रखे हैं. कई संपत्तियां वर्षों से निजी उपयोग में हैं, जिनका ब्यौरा कभी दर्ज नहीं कराया गया. अब जब सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया है, तो ऐसे लोग सामने आने से बच रहे हैं. वक्फ बोर्ड का कहना है कि आने वाले दिनों में इन अवैध कब्जों की जांच कर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
First Published :
October 24, 2025, 19:34 IST
वक्फ माफियां की तलाश तेज "उम्मीद पोर्टल" पर रजिस्ट्रेशन नहीं तो होगी कार्रवाई

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