Last Updated:June 11, 2025, 11:50 IST
कपूरथला की एक राजकुमारी थी, जिसे देसी क्लियोपैट्रा कहते थे. दिनरात बस भोग-विलास. एक कदम ऐसा उठाया कि जीवन में सारा वैभव खत्म हो गया.

हाइलाइट्स
कपूरथला की राजकुमारी गोबिंद कौर को देसी क्लियोपेट्रा कहा जाता था.प्रेम प्रसंगों के कारण राजकुमारी को महल छोड़ना पड़ा.बाद में राजकुमारी ने साधारण जीवन जीते हुए गोबर पाथे.अंग्रेजों के जमाने में भी भारत के राजघरानों की भोग-विलास वाली जिंदगी में कोई कमी नहीं आई थी. जिंदगी में आराम था. वैभव था और खूब शानोशौकत. राजघरानों से जुड़े अफेयर के किस्से खूब उड़ते रहते थे. ऐसा ही सच्ची कहानी कपूरथला की एक राजकुमारी थीं गोबिंद कौर. खूबसूरत और बोल्ड जिंदगी के लिए मशहूर. उसको देसी क्लियोपेत्रा कहा जाता था. लेकिन आखिर क्यों उसको बाद की जिंदगी महल से बाहर होकर मजदूर जैसे काम करने पड़े.
जब राजकुमारी की शादी हुई तो उसने अपने पति से एक शर्त रखी, जो उसे माननी पड़ी. वो थी कि उसका पति शादी के बाद भी कपूरथला में ही उसको रखेगा. ससुराल हालांकि 10 किलोमीटर दूर थी लेकिन उसने साफ कह दिया था कि वह वहां नहीं जाएगी. तत्कालीन महाराजा निहाल सिंह ने बेटी और दामाद के लिए शाही महल के करीब ही दूसरा महल दे दिया.
इस राजकुमारी के बारे में दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब “महाराजा” में विस्तार से वर्णन किया है. किताब में लिखा गया है, राजकुमारी छह मंजिला महल में रहती थी. ज्यादातर छज्जे पर बैठी रहती थी. नीचे से आने जाने वाले लोगों को देखती थी.
जवान युवकों को महल में बुलाकर आमोद प्रमोद करती
राजकुमारी असाधारण तौर पर भोग-विलास को पसंद करने वाली महिला थी. पति से उसकी बनती नहीं थी, लिहाजा पति एक दिन उसको छोड़कर महल से बाहर जाकर रहने लगा. राजकुमारी गोबिंद कौर की कामुकता के किस्से हर जुबान पर थे. किताब कहती है कि वह अक्सर सुंदर, जवान, हट्टे-कट्टे लोगों को किसी ना किसी बहाने महल में अंदर बुलाती. उनके साथ आमोद प्रमोद करती. कहा जाता है कि उसने इस काम में फाटक पर खड़े प्रहरियों को भी नहीं छोड़ा.
उसे देसी क्लियोपेट्रा कहा जाने लगा
उसके प्रेम प्रसंग की कहानियां जिस तरह बाहर फैलने लगीं तो उसे लोग देसी क्लियोपेट्रा कहने लगे. हर जुबान पर उसके भोग विलास की कहानियां सुनी जा सकती थीं.
रियासत के मुस्लिम प्रधानमंत्री नवाब गुलाम गीलानी के साथ उसके प्रेम प्रसंगों की कहानी तो काफी ज्यादा फैली हुई थी. दरअसल गीलानी जिस कोठी में रहते थे. वहां अपने अफसरों की मीटिंग बुलाते थे. इसी कोठी से एक मील की दूरी पर गोबिंद कौर का महल था. दोनों ने आपस में मिलने के लिए नीचे ही नीचे सुरंग बनवा ली थी. इसी से आ-जाकर एक दूसरे मिलते थे और प्रेमालाप करते थे.
रियासत के पीएम पहली नजर में दीवाने हो गए
गुलाम गीलानी लंबे और खूबसूरत व्यक्ति थे. छंटी हुई दाढ़ी, लंबा कोट और रेशमी पाजामा उनके बदन पर बहुत फबते थे. उन्होंने राजकुमारी की खूबसूरती की तारीफ सुन रखी थी. एक दिन उन्होंने देखा कि महल की छत पर खड़ी हुई राजकुमारी अपने बाल सूखा रही हैं. बस फिर क्या था, पहली ही नजर में गीलानी राजकुमारी के इश्क में गिरफ्तार हो गए.
फिर ये तय हुआ कि कैसे मिलें
राजकुमारी के हुस्न, नजाकत और अदाओं से प्राइम मिनिस्टर मोहब्बत की आग में जलते जा रहे थे. गिलानी ने अपने स्टाफ के जरिए राजकुमारी की एक बांदी को अपनी ओर मिला लिया. उससे राजकुमारी को संदेशा भेजा कि वह उनसे मुलाकात करना चाहते हैं. गोबिंद कौर राजी हो गईं. इस मिलन के बाद दोनों एक दूसरे की मोहब्बत में गिरफ्तार हो गए. अब मुश्किल ये थी कि मिलें कैसे.
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सुरंग बनवाकर मिलने लगे
इसी वजह से प्राइम मिनिस्ट गिलानी के दीवानखाने से लेकर राजकुमारी के महल तक जमीन के नीचे सुरंग बनवाई गई. दोनों महल से निकलकर बाहर भी मिलते थे. अक्सर जब प्राइम मिनिस्टर अपनी घोड़ा गाड़ी पर जा रहे होते तो वह नौकरानी भेष बनाकर उनके संदूक में छिप जातीं. शहर से बाहर निकलने के बाद संदूक से निकलकर प्राइम मिनिस्टर से लिपट जातीं. प्यार मोहब्बत शुरू हो जाती.
शहर के बाहर मकान बनाकर आपस में रंगीनी करने लगे
प्राइम मिनिस्टर ने शहर के बाहर एक बड़ा मकान ले लिया था. जहां दोनों घंटों गुजारते. यहां ऐशोआराम से सारे साधन मौजूद थे. कई महीने ये दौर चलता रहा. एक दिन जब प्राइम मिनिस्टर को गोबिंद कौर के साथ रंगेहाथों पर पकड़ लिया गया. तब महाराजा ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया. गोबिंद कौर को महल बंद कर दिया गया और बाहर निकलने की मनाही कर दी गई.
राजकुमारी का खास प्यार तो कोई और था
वैसे तो राजकुमारी गोबिंद कौर के गुप्त प्रेम प्रसंग तो बहुतेरे थे लेकिन उसमें सबसे ज्यादा दिलचस्प , सनसनीखेज और स्थायी था कर्नल वरयाम सिंह से उसका प्रेम.
कर्नल वरयाम पर राजकुमारी का दिल आ गया
कुआं महिला के एकदम किनारे था. उसने वहां बाहरी दीवार के करीब ऐसी सेंध लगा दी कि कुएं के नीचे की ओर पहुंच जाता. वहां राजकुमारी अपनी राजदार दासी के जरिए रस्सी लटकवा देती और वह ऊपर आ जाता. चुपचाप महल में दाखिल हो जाता. सीधे वह राजकुमारी के शयनागार में पहुंचता. राजकुमारी वहां बन-ठनकर उसका स्वागत करती. दोनों फिर आपस में एक दूसरे से रातभर प्यार करते रहते. इसके बाद सुबह तड़के चुपचाप उसी रास्ते से निकल जाता. बाहर निकलकर सेंध वाली ईंटों को बंद कर देता.
छापा पड़ा लेकिन दोनों बच निकले
इन रूमानी मुलाकातों का दौर दो साल तक चला. फिर इसकी भनक कपूरथला के होम मिनिस्टर सरदार दानिशमंद को पता लग गई. उनकी वरयाम सिंह से दुश्मनी थी लिहाजा ये बदला लेने का मौका मिल गया. महल में रात में छापा पड़ा लेकिन राजकुमार और वरयाम दोनों वहां से बच निकले. दोनों महल की एक सुरंग से निकल गए.
बाद में दोनों ने साधारण जिंदगी बिताई
दोनों ऐसे गांव में पहुंचे जहां कोई उनको पकड़ नहीं सकता था. बाद में ये नौबत आ गई कि राजकुमारी के जेवरात, धन और दौलत सब खत्म हो गए तो दोंनों एक झोंपड़ी बनाकर साधारण तरीके से रहने लगे. खेती करके पेट पालने लगे. वरयाम खेत में हल चलाता और राजकुमारी गाय-बैल के गोबर से कंडे पाथती.
तो एक राजकुमारी की ये थी ऐसी कहानी, जहां अपनी आदतों के चलते वह महलों से निकलकर साधारण जिंदगी जीने पर मजबूर हो गई.
संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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