शर्मिंदगी किस बात के लिए? RCB सम्मान समारोह के बचाव में उतरे CM सिद्धारमैया

4 hours ago

मैसुरु/बेंगलुरु. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इंडियन प्रीमियर लीग(आईपीएल) में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु(आरसीबी) को मिली जीत के लिए टीम को सम्मानित करने के वास्ते विधानसौध के सामने कार्यक्रम आयोजित करने का बचाव किया. उन्होंने कहा कि वहां पर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. मुख्यमंत्री की यह प्रतिक्रिया डीसीपी (विधान सौध सुरक्षा) द्वारा कार्यक्रम से पहले लिखे गए पत्र पर आई है. पत्र में विधान सौध (कर्नाटक विधानमंडल परिसर) के सामने समारोह को जल्दबाजी में आयोजित करने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी.

सिद्धरमैया ने हालांकि सफाई दी कि विधान सौध में कार्यक्रम का आयोजन कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) द्वारा किया गया था और उन्होंने निमंत्रण मिलने पर कार्यक्रम में भाग लिया था. विधान सौध परिसर में चार जून को आरसीबी को जीत के लिए सम्मानित करने के साथ ही चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम में भी जश्न मनाया गया, जहां बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े, जिससे भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 56 घायल हो गए.

डीसीपी (विधान सौध सुरक्षा) द्वारा चार जून को सरकार के सचिव, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग (डीपीएआर) को लिखा गया एक पत्र सामने आया है, जिसमें इस कार्यक्रम को जल्दबाजी में आयोजित करने के खिलाफ चेतावनी दी गई है, तथा इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि उनके पास ऐसे कार्यक्रम के लिए सुरक्षा का प्रबंध करने के लिए पर्याप्त कर्मी नहीं हैं, जहां अल्प सूचना पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होंगे.

यह पत्र डीपीएआर द्वारा आरसीबी के खिलाड़ियों के सम्मान में विधान सौध की भव्य सीढ़ियों पर सम्मान समारोह आयोजित करने के बारे में उनकी राय मांगे जाने के जवाब में लिखा गया था. डीसीपी ने पत्र में कहा, “आरसीबी क्रिकेट टीम के देशभर में प्रशंसक हैं. विधान सौध की भव्य सीढ़ियों पर जल्दबाजी में कार्यक्रम आयोजित करने से लाखों क्रिकेट प्रशंसक विधान सौध पहुंचेंगे. इससे बंदोबस्त में समस्या आएगी, क्योंकि विधान सौध सुरक्षा प्रभाग में अधिकारियों/कर्मियों की कमी है.”

डीसीपी ने पत्र में लिखा कि चूंकि आरसीबी के प्रशंसक बहुत अधिक हैं, इसलिए बंदोबस्त के लिए शहर के बाहर से पुलिसकर्मियों की आवश्यकता होगी और इसके लिए समय भी लगेगा. उन्होंने कहा कि इस तरह के बड़े आयोजन के लिए कानून एवं व्यवस्था तथा यातायात पुलिस को समन्वय करना होगा और इसके लिए पर्याप्त समय नहीं है. अधिकारी ने कहा कि यदि कार्यक्रम आयोजित किया जाता है तो विधान सौध में आने वाले आगंतुकों के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन पास जारी करना पूरी तरह से बंद कर दिया जाना चाहिए.

अधिकारी ने लिखा कि चूंकि सचिवालय कर्मचारियों के अपने परिवार के सदस्यों को कार्यक्रम में लाने की संभावना है, इसलिए ऐसा न हो, इसके लिए एक आदेश जारी किया जाना चाहिए. साथ ही सचिवालय कर्मचारियों के लिए दोपहर में छुट्टी की भी मांग की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे भी वहां न आएं.

पत्र में विधान सौधा के आसपास और अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी सुझाव दिया गया, ड्रोन रोधी प्रणाली की आवश्यकता भी बताई गई. हालांकि, अंत में डीसीपी के पत्र में कहा गया है कि विधान सौध एक विरासत इमारत और एक महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान के दायरे में आता है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इमारत को कोई नुकसान पहुंचाए बिना और नियमों का पालन करते हुए कार्यक्रम आयोजित करने के लिए समय की आवश्यकता है. इसके बावजूद सरकार के फैसले का पालन किया जाएगा.

सिद्धरमैया ने मैसुरु में डीसीपी के पत्र को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में संवाददाताओें से कहा, “…आखिरकार, पत्र में क्या लिखा है? पुलिस सरकार के निर्णय के अनुसार काम करेगी. यह पत्र मेरे पास बिल्कुल नहीं आया. डीएपीआर सचिव ने अनुमति दी है. बेशक मुझे बताया गया था. मैंने कहा कि विधान सौध के सामने कार्यक्रम की अनुमति दी जाए.” मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से सवाल किया कि क्या विधान सौध के सामने हुए कार्यक्रम के दौरान कोई घटना हुई थी जिसमें राज्यपाल भी शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि वहां कुछ भी नहीं हुआ; स्टेडियम में भगदड़ की घटना बाद में हुई.

सिद्धरमैया से जब संवाददाताओं से पूछा कि क्या डीपीएआर सचिव सत्यवती को तत्कालीन पुलिस आयुक्त बी दयानंद सहित पांच पुलिस अधिकारियों की तरह निलंबित किया जाएगा,तो उन्होंने जवाब में सवाल किया, “सत्यवती ने क्या किया है? विधान सौध में क्या हुआ?” सिद्धरमैया ने कहा कि डीपीएआर सचिव ने उनसे विधान सौध के सामने कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रक्रिया के तहत अनुमति मांगी थी और मुख्य सचिव ने कहा था कि ऐसा किया जा सकता है और पुलिस ने इस पर सहमति जताई है.

मुख्यमंत्री ने कहा, “केएससीए सचिव और कोषाध्यक्ष ने मुझसे मुलाकात की और मुझे आमंत्रित किया. यह हमारे द्वारा आयोजित कार्यक्रम नहीं था. उन्होंने इसका आयोजन किया था और मुझे आमंत्रित किया गया था. उन्होंने मुझे बताया कि राज्यपाल भी आएंगे; इसलिए मैं गया था. इसके अलावा, मुझे कुछ नहीं पता. सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है… मुझे स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया था.”

संवाददाताओं ने सवाल किया कि क्या भगदड़ की घटना से सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है? इसके जवाब में सिद्धरमैया ने कहा कि जब सरकार ने कुछ गलत नहीं किया है तो शर्मिंदगी क्यों? प्रथम दृष्टया जो लोग दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है. उन्होंने सवाल किया, “क्या कुंभ मेले में हुई भगदड़ के बाद इस्तीफा दिया गया था जिसमें 50-60 लोग मारे गए थे?”

मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री का इस्तीफा और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग को लेकर सिद्धरमैया ने कहा, “मुख्यमंत्री की क्या गलती है? भाजपा राजनीतिक रूप से ऐसा कर रही है. वे मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगा रहे हैं. सरकार कहां गलत है?” क्रिकेट स्टेडियम को बेंगलुरु से बाहर स्थानांतरित करने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा, “हम इस पर विचार करेंगे….स्थान की पहचान की जानी है.”

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