शिक्षा के बाजारीकरण को रोकने के लिए... रेखा सरकार ने विधानसभा में पेश किया बिल

5 hours ago

दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र एक खास उपलब्धि के साथ शुरू हुआ. इस बार सदन को पूरी तरह पेपरलेस बना दिया गया है. इस पहल को लेकर पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को बधाई दी.

दिल्‍ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने आज विधानसभा में कहा कि शिक्षा कोई बेचने वाली चीज नहीं है. हर साल पेरेंट्स पर फीस बढ़ने के बोझ का जो इश्यू है, उसे रिजॉल्व करने का दिन है. शिक्षा के बाजारीकरण को रोकने के लिए ये बिल लाने का निर्णय लिया गया है. भारत वेलफेयर स्टेट है. 6 से 14 साल तक बच्चों को शिक्षा मेंडेटरी होना ये अटल जी के कार्यकाल में हुआ. आज प्राइवेट स्कूल इतने बढ़ क्यों गए हैं? आपने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की होगी, लेकिन आपके बच्चों ने नहीं की. इसमें कोई बुराई नहीं है. शिक्षा को बेचने वाले माफियाओं के खिलाफ हम बिल लेकर आ रहे हैं.

रेखा सरकार ने दिल्‍ली विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार के निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण और कल्याण योजनाओं में गंभीर खामियों को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की हालिया रिपोर्ट ने उजागर किया है. दिल्ली में निर्माण श्रमिकों की सटीक संख्या का कोई भरोसेमंद डेटा नहीं है और 6.96 लाख पंजीकृत श्रमिकों में से केवल 1.98 लाख का पूर्ण डेटाबेस उपलब्ध है. पंजीकरण में अनियमितताएं जैसे एक श्रमिक के नाम से कई तस्वीरें या चेहरा न दिखने वाली तस्वीरें, डेटा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं. केवल 7.3% श्रमिकों का पंजीकरण नवीनीकरण हुआ, जो राष्ट्रीय औसत 74% से बहुत कम है. बोर्ड के पास मार्च 2023 तक ₹3579.05 करोड़ का सेस फंड था, लेकिन इसका केवल 87% कोविड और प्रदूषण राहत पर खर्च हुआ.पंजीकरण में 97 निजी संस्थान और 25 निर्माण इकाइयां, जो दिल्ली फायर सर्विस वेबसाइट पर सूचीबद्ध थीं, अपंजीकृत पाई गईं. सेस संग्रहण में ₹204.95 करोड़ का अंतर और MCD द्वारा ₹142 करोड़ का सेस समय पर जमा न करना गंभीर अनियमितता दर्शाता है. कल्याण योजनाओं में 17 में से 5 योजनाओं पर कोई खर्च नहीं हुआ, और आयुष्मान भारत योजना में कोई श्रमिक शामिल नहीं हुआ. 72% श्रमिकों को योजनाओं की जानकारी नहीं थी. सीएजी ने समयबद्ध पंजीकरण, ऑनलाइन सेस संग्रह, आईटी प्रणाली ऑडिट, और नियमित सामाजिक ऑडिट जैसे सुधारों की सिफारिश की है ताकि श्रमिकों को उचित लाभ मिल सके.

बीजेपी एमएलए अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि भारत किसी भी टेरर के सामने झुकता नहीं है. जब युद्ध होते हैं तो ये नहीं पूछ जा जाता है कि गन सीधी पकड़ी थी या उल्टी. आप और हम कॉफी पीते हुए ये तय न करें कि कब युद्ध रोकेगा और कब होगा, ये सेना तय करती है. आप लोगों को भी एक सलाह देना चाहता हूं कि देश से ऊपर कुछ नहीं है. आप जो लाइन ले रहे हैं, वो ठीक नहीं है. देश रहेगा तो हम भी रहेंगे. देश रहेगा तो लोकतंत्र भी रहेगी. इसलिए देश के साथ खिलवाड़ मत करो.

आपत्तिजनक शब्‍द पर आप विधायक संजीव झा पर एक्‍शन लिया गया है. शब्‍द वापस नहीं लेने पर यह एक्‍शन लिया गया है. मार्शल की मदद से उन्‍हें विधानसभा परिसर से बाहर निकाला गया है. विधानसभा अध्‍यक्ष विजेंद्र गुप्‍ता ने शब्‍दों को कार्यवाही से हटा दिया है. उन्‍होंने कहा कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया.

आज दिल्‍ली के कपिल मिश्रा ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा जब जब आतंकवादी मरेगा तब तब केजरीवाल के चमचे रोयेंगे. जानबूझ कर विपक्ष सेना के शौर्य पर चर्चा रोक रहा है. जब आतंकवादी मरता है ये चूड़ियां तोड़ते है. सेना की शौर्य पर विपक्ष के पेट में दर्द और हंगामा जारी है.

AAP विधायक आतिशी ने कहा, ‘मैं सभी विधायकों की ओर से अध्यक्ष महोदय को बधाई देती हूं कि आपने दिल्ली विधानसभा को पेपरलेस बनाया. यह पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा कदम है.’ हालांकि उन्होंने सत्र की योजना को लेकर एक छोटी सी शिकायत भी जोड़ी, ‘काफी समय बाद सत्र बुलाया गया है, लेकिन प्रश्नकाल नहीं रखा गया. प्रश्नकाल लोकतंत्र की आत्मा होता है.’

वहीं भाजपा विधायक हरीश खुराना ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया. उन्होंने कहा, ‘दिल्ली विधानसभा के लिए यह एक बड़ा दिन है. पेपरलेस पहल के लिए अध्यक्ष जी को दिल से बधाई देता हूं. इस डिजिटल युग में यह एक सकारात्मक कदम है.’ वहीं तरविंदर मारवाह ने कहा, ‘विजेंद्र गुप्ता जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘पेपरलेस गवर्नेंस’ के सपने को साकार किया है. पिछली सरकार ने इस दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया था.’

आज से शुरू हो रहे दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में निजी स्कूलों की फीस को लेकर प्रस्तावित विधेयक को लेकर जबरदस्त सियासी गर्मी के आसार हैं. दिल्ली की पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी की नेता सदन आतिशी मार्लेना ने इससे पहले आरोप लगाया कि दिल्ली की बीजेपी सरकार प्राइवेट स्कूल फीस बिल के नाम पर फर्जीवाड़ा लेकर आ रही है.

आतिशी ने कहा, ‘आज दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है. दो दिन पहले विधायकों को यह बिल दिया गया है. ये बिल सिर्फ और सिर्फ निजी स्कूलों की फीस बढ़ाने और स्कूल मालिकों के हित में बनाया गया बिल है.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये बिल अप्रैल महीने में पास हुआ था. तब कहा गया कि स्पेशल सेशन होगा और टेबल किया जाएगा. अप्रैल में टेबल नहीं हुआ मई में सेशन बुलाया गया और आखिरी वक्त के कैंसिल कर दिया गया. बाद में कहा गया कि इसे अध्यादेश के रूप में लाया जा रहा है. अध्यादेश भी टल गया. चार महीने बीत गए, क्योंकि निजी स्कूल अप्रैल में फीस बढ़ाए और बच्चों को डराकर बढ़ी हुई फीस माता पिता से लें लें.’

रेखा गुप्ता पेश करेंगी 2 CAG रिपोर्ट

दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान दिल्ली की राजनीति में गरमाहट तय मानी जा रही है. सत्र के पहले ही दिन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सदन में दो अहम कैग (CAG) रिपोर्टें पेश करेंगी. पहली रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राज्य वित्त से जुड़ी है, जबकि दूसरी रिपोर्ट ‘भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के कल्याण’ विषय पर केंद्रित होगी.

विधानसभा की कार्यसूची के अनुसार, दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद सदन में ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस तय करने और उसे कंट्रोल करने में पारदर्शिता) विधेयक, 2025’ पेश करेंगे. इस विधेयक को लेकर पहले से ही राजनीति गरमा चुकी है.

आशीष सूद ने पत्रकारों से कहा, ‘इस सत्र में हम कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे, जिनमें फीस अधिनियम (Fee Bill) प्रमुख है. दिल्ली की जनता को आश्वस्त करता हूं कि उनकी चिंताओं पर सदन में गंभीरता से चर्चा होगी और उनके हित में कानून बनाया जाएगा.’

AAP ने फीस बिल को बताया साजिश

आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी सरकार के इस फीस बिल को सीधे अभिभावकों पर हमला और प्राइवेट स्कूलों के लिए तोहफा बताया है. आप के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने इस विधेयक को ‘शिक्षा माफिया को बचाने के लिए बनाया गया कानून’ करार देते हुए मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से तीखे सवाल पूछे हैं.

सौरभ भारद्वाज ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘जब 1 अप्रैल से नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई, तो लगभग हर प्राइवेट स्कूल ने फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी. कुछ स्कूलों ने तो 80 से 82 प्रतिशत तक फीस बढ़ाई. अभिभावकों ने डीपीएस द्वारका जैसे स्कूलों के बाहर कई दिनों तक प्रदर्शन किया. बच्चों को कक्षा में प्रवेश नहीं दिया गया, उन्हें लाइब्रेरी में बैठाया गया, और स्कूलों के बाहर बाउंसर तैनात किए गए.’

उन्होंने आरोप लगाया कि नए विधेयक में ऑडिट और निरीक्षण की व्यवस्था जानबूझकर हटाई गई है, जिससे स्कूलों को मनमानी करने की खुली छूट मिल जाएगी.

सदन में हो सकता है हंगामा

माना जा रहा है कि विधानसभा में कैग रिपोर्ट और फीस विधेयक को लेकर बीजेपी और आप के बीच तीखी बहस और हंगामा हो सकता है. बीजेपी सरकार जहां आप के पुराने कार्यकाल की कैग रिपोर्टों के जरिए हमलावर हो सकती है, वहीं आम आदमी पार्टी स्कूल फीस को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति में जुट गई है.

गौरतलब है कि बीजेपी सरकार ने इससे पहले भी आम आदमी पार्टी के कार्यकाल से जुड़े विभिन्न मामलों में कैग की रिपोर्टें विधानसभा में पेश की थीं, जिन पर खूब बहस और आरोप-प्रत्यारोप हुए थे.

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पेपरलेस और डिजिटल विधानसभा के इस पहले सत्र में कितना सार्थक विमर्श होता है, और किसे राजनीतिक बढ़त मिलती है.

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