Last Updated:June 25, 2025, 13:44 IST
लखनऊ के बेटे शुभांशु शुक्ला ने आज अपने जीवन की सबसे यादगार उड़ान भरी. वह चार दशक बाद स्पेस जाने वाले पहले भारतीय हैं. वह अपने साथ आमरस, गाजर और मूंग दाल का हलवा अंतरिक्ष में ले गए हैं.

लखनऊ शहर को है अपने बेटे शुभांशु शुक्ला पर नाज.
जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Group Captain Shubhanshu Shukla) ने आज अपने जीवन की सबसे यादगार उड़ान भरी तो लखनऊ शहर को अपने बेटे पर नाज हो रहा होगा. एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजा गया. उसकी लॉन्चिंग बुधवार को दोपहर 12 बजे फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से हुई. शुभांशु शुक्ला चार दशकों में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं. राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री थे. शुभांशु शुक्ला राकेश शर्मा की यात्रा से प्रेरित होकर बड़े हुए हैं. शुभांशु शुक्ला के पोस्टर उनके गृहनगर लखनऊ में पहले ही लग चुके हैं और देश उनकी इस यात्रा पर करीब से नजर रख रहा है.
शुभांशु शुक्ला को भारत-अमेरिका मिशन (Indo-US mission) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ( Space Station) के लिए उड़ान भरने के लिए चुना गया था. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने शुभांशु शुक्ला को मिशन पर उड़ान भरने वाले प्रमुख अंतरिक्ष यात्री के तौर पर नॉमिनेट किया था. इसरो ने अमेरिका के एक्सिओम स्पेस इंक के साथ एक अंतरिक्ष उड़ान समझौता किया था. मिशन के लिए राष्ट्रीय मिशन असाइनमेंट बोर्ड ने दो गगनयात्रियों की सिफारिश की थी. बोर्ड ने दो गगनयात्रियों (अंतरिक्ष यात्रियों)- ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (प्राइम) और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर की सिफारिश की थी. ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर बैकअप अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुने गए थे.
शुभांशु हैं टेस्ट पायलट
साल 1985 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के पूर्व छात्र हैं. उन्हें 17 जून 2006 को भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की कॉम्बैट विंग में नियुक्त किया गया था. वह एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं. उनके पास लगभग 2,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है. उन्होंने सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और एएन-32 समेत कई तरह के विमान उड़ाए हैं. वह देश के हर तरह के फाइटर जेट्स उड़ा चुके हैं.
कैसे हुआ सेलेक्शन
शुभांशु शुक्ला का चयन इसरो और आईएएफ के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आईएएम) ने गगनयान मिशन के लिए किया था. भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का मानना है, “यह बिल्कुल सीधा है क्योंकि अंतरिक्ष टेक्नॉलाजी मूलतः विमानन का विस्तार है. और टेस्ट पायलटों को उनकी विशेषज्ञता के आधार पर हमेशा उन सभी चीजों का गहराई से अध्ययन करने के लिए बुलाया जाता है. संभवतः किसी ऐसी चीज में गलत हो सकती हैं जिसे पहले आजमाया नहीं गया है.” टीओआई के अनुसार राकेश शर्मा ने कहा कि टेस्ट पायलट होने से उन्हें बढ़त मिलती है क्योंकि वे खुद को बेहतर तरीके से तैयार करने में अनुभवी होते हैं. इसके अलावा यदि चीजें योजना के अनुसार नहीं होती हैं तो उनकी विशेषज्ञता और अनुभव काम आता है. उन्हें स्थिति का विश्लेषण करने में मदद मिलती है. यह उन्हें स्वाभाविक पसंद बनाता है.
ले गए हैं आमरस, गाजर और मूंग दाल का हलवा
शुभांशु शुक्ला न केवल वैज्ञानिक उपकरण बल्कि अपने दिल के करीब कुछ निजी सामान भी ले जा रहे हैं. जबकि अंतरिक्ष यात्रियों को आमतौर पर हल्का सामान पैक करने की सलाह दी जाती है, शुक्ला अपने साथ विशेष रूप से तैयार भारतीय मिठाइयां ले जा रहे हैं. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने खुलासा किया कि वह अंतरिक्ष में आमरस, गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा ले जाएंगे. उन्होंने कहा कि वह इन्हें ISS पर अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ साझा करने की योजना बना रहे हैं.
कहा था, एक अरब दिलों के सपने हैं मेरे साथ
एक्स-4 मिशन का संचालन नासा, इसरो और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से एक निजी कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा किया जा रहा है. टीम में अमेरिका से कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड से स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी से टिबोर कापू शामिल हैं. दो सप्ताह के मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री लगभग 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें से सात इसरो द्वारा डिजाइन किए गए हैं. मिशन पर रवाना होने से पहले शुभांशु शुक्ला ने कहा था, “मैं सिर्फ यंत्र और उपकरण ही नहीं बल्कि एक अरब दिलों की आशाएं और सपने लेकर जा रहा हूं.”
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New Delhi,Delhi