Last Updated:June 28, 2025, 09:54 IST
संविधान में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्द पर राजनीतिक गलियारे में बवाल मचा है. आरएसएस महासचिव होसबोले के दोनों शब्दों के समीक्षा के मांग के बाद अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान आया है.

संविधान में धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द का मुद्दा गहराया.
नई दिल्ली. संविधान में ‘समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता’ शब्द, 42वें संविधान संशोधन 1976 के दौरान जोड़ा गया था. दोनों शब्द संविधान के मूल हिस्सा नहीं हैं. वर्तमान में इन दोनों शब्दों को लेकर विवाद खड़ा हुआ है. ताजा विवाद, आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के आपातकाल के 50 वर्ष पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान संविधान की समीक्षा वाले बयान को लेकर उपजा है. राजनीतिक हलक में ये विवाद नया नहीं है. साल 2015 में बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने धर्मनिपेक्ष और समाजवाद पर बयान दिया था. जिसके बाद काफी विवाद हुआ था. मगर, ताजा विवाद को राष्ट्रीय जनता दल बिहार विधान सभा चुनाव में भुनाने में लगी है. भारतीय जनता पार्टी पर संविधान को खतरे में डालने का आरोप लगा रही है. वहीं, भाजपा भी अपना रूख कमजोर नहीं कर रही है. मगर, इस ताजा विवाद में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम जुड़ गया.
दरअसल, अपने वाराणसी दौरे पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत में समाजवाद की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता हमारी संस्कृति का मूल नहीं है.’ उनका बयान आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के बाद आया है. होसबोले ने कहा था, ‘बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान की प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे. आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका लंगड़ी हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए.’
भारत में समाजवाद की जरूरत नहीं
वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए चौहान ने कहा, ‘भारत में समाजवाद की जरूरत नहीं है…धर्मनिरपेक्षता हमारी संस्कृति का मूल नहीं है और इसलिए इस पर जरूर विचार होना चाहिए.’ संविधान की प्रस्तावना में “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों की समीक्षा करने के आरएसएस के आह्वान का अप्रत्यक्ष समर्थन करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि कोई भी सही सोच वाला नागरिक इसका समर्थन करेगा, क्योंकि सभी जानते हैं कि ये शब्द डॉ. भीम राव अंबेडकर द्वारा लिखे गए मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे.
देश को कोई खतरा नहीं था
आपातकाल के दिनों को याद करते हुए चौहान ने कहा कि अपनी सत्ता बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था. केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘बाहरी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं था और न ही आंतरिक सुरक्षा को कोई खतरा था. केवल प्रधानमंत्री की कुर्सी को खतरा था, इसलिए 25 जून, 1975 की रात को कैबिनेट की बैठक किए बिना देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई. समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी ने संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने के सुझाव के लिए भाजपा और आरएसएस की आलोचना की.
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...
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Location :
Varanasi,Uttar Pradesh