Last Updated:July 18, 2025, 17:42 IST
Justice Yashwant Varma Impeachment: सभी दलों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग पर एकजुट रुख अपनाया है. केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि सभी पार्टियों से चर्चा हुई, संसद का यह साझा फैसला है.

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में कैश बरामद किया गया था. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी है. इस मुद्दे पर तमाम राजनीतिक दल एक सुर में नजर आ रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को पीटीआई को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में साफ किया कि सभी पार्टियों से बात हो चुकी है और इस मसले पर संसद की राय एकजुट है. उन्होंने कहा, ‘मैंने लगभग सभी बड़े राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की है. यहां तक कि जिन पार्टियों के सिर्फ एक-एक सांसद हैं, उनसे भी बात करूंगा, ताकि संसद का यह रुख सर्वसम्मति वाला हो.’
‘सरकार नहीं, सांसद चाह रहे हैं महाभियोग’
वहीं कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्पष्ट किया कि यह फैसला सरकार का नहीं, बल्कि खुद सांसदों का है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी भी जज को हटाने का अधिकार संसद को है, और इसके लिए लोकसभा में 100 व राज्यसभा में 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है. उन्होंने यह भी बताया कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित इन-हाउस जांच समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा को ‘गंभीर दुराचार’ का दोषी पाया गया है. हालांकि वर्मा ने इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
कांग्रेस भी समर्थन में
इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी कहा है कि उनकी पार्टी के सांसद भी महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करेंगे. यानी विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों इस संवैधानिक कार्रवाई के पक्ष में हैं.
क्या है पूरा मामला?
14 मार्च को दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगने की घटना हुई थी. आग बुझाने के बाद वहां से आधे जले हुए नोटों से भरे चार-पांच बोरे बरामद किए गए. इन नोटों की वैधता या स्रोत की जांच अभी जारी है, लेकिन जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह माना है कि स्टोर रूम पर वर्मा और उनके परिवार का सीधा या अप्रत्यक्ष नियंत्रण था.
वर्मा का जवाब और सुप्रीम कोर्ट की राह
वर्मा ने अपनी याचिका में जांच समिति की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उनसे ही खुद पर लगे आरोपों को गलत साबित करने की अपेक्षा की गई, जो न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है. याचिका में उन्होंने कहा कि समिति ने पूर्वग्रह से ग्रसित होकर काम किया और उन्हें पूरी तरह से अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया.
संसद का मानसून सत्र निर्णायक
21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में यह मसला सबसे बड़ा सियासी मुद्दा बनने जा रहा है. इससे पहले 20 जुलाई को सभी दलों की एक संयुक्त बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में प्रस्ताव की रूपरेखा और सहमति तय होगी. सरकार चाहती है कि यह प्रक्रिया 21 अगस्त को सत्र समाप्त होने से पहले पूरी हो.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
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