Last Updated:July 18, 2025, 21:05 IST
सिंगूर आंदोलन के वक्त TATA के विरोध में 'मां, माटी, मानुष' का नारा देने वाली ममता बनर्जी अब 'ओके टाटा' कहने को मजबूर हैं. पश्चिम बंगाल की राजनीति में आ रहे इस बदलाव के पीछे क्या 'खेला' है?

विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी अपनी सरकार की छवि बदलने में जुटी हैं. (फाइल फोटो : AITC/X)
नई दिल्ली/कोलकाता: टाटा नैनो प्रोजेक्ट का पुरजोर विरोध कर सत्ता में आईं ममता बनर्जी अब लाइन बदल रहीं हैं. सिंगूर आंदोलन की अगुवाई करने वाली ममता अब उद्योग और निवेश के पक्ष में खड़ी दिख रहीं हैं. 9 जुलाई को टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन से उनकी मुलाकात एक अहम मोड़ है. इस मुलाकात के मायने बड़े हैं, न सिर्फ राज्य के लिए, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में भी. आखिर TATA का विरोध करने वाली ममता को अब क्यों उसी का साथ चाहिए? इसके पीछे वही ‘खेला’ है जो उन्हें 2011 से सत्ता में बनाए हुए हैं: विपक्ष की धार के हिसाब से अपनी चाल बदल लेना. TMC की राजनीति कभी ‘मां, माटी, मानुष’ के नारे पर टिकी थी, अब निवेश और उद्योग की राह पकड़ रही है.
बीजेपी ने बंगाल में रोजगार की कमी को लेकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार पर लगातार हमले किए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बंगाल में 5,400 करोड़ रुपये के विकास परियोजनाएं शुरू करते हुए ममता सरकार को निवेश और रोजगार पर विफल बताया. इससे ममता सरकार को उद्योगों की ओर रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. बीजेपी के हमलों के बीच, टाटा चेयरमैन के साथ ममता की तस्वीरें और मुलाकात को खूब प्रचार मिला. पार्टी ने बयान दिया कि यह संवाद राज्य के विकास को लेकर था और बंगाल को निवेश के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनाने की दिशा में एक कदम था.
Smt. @MamataOfficial welcomed Shri Natarajan Chandrasekaran, Chairman of Tata Sons.
Their conversation centred on deepening the Tata Group’s presence in the state, underscoring Bengal’s emergence as a preferred destination for forward-looking industry leaders. pic.twitter.com/faJq00FMSk
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) July 9, 2025
अभी बंगाल में TATA कहां हैं?
फिलहाल टाटा ग्रुप की बंगाल में मौजूदगी मुख्य रूप से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और कुछ हद तक टाटा स्टील व टाटा हिताची तक सीमित है. लेकिन ममता सरकार की योजना अब इन निवेशों को और विस्तार देने की है. TCS न्यू टाउन में 20 एकड़ में नया कैंपस बना रही है.
ममता सरकार ने दशहरा के बाद एक नया ‘बिजनेस एंड इंडस्ट्री कॉन्क्लेव’ आयोजित करने की योजना बनाई है. इसके लिए राज्य स्तरीय इनवेस्टमेंट एंड सिंर्जी कमेटी को सक्रिय किया गया है. राज्य सरकार स्टील, आईटी, फूड प्रोसेसिंग, गहने, कपड़ा, फार्मा, टूरिज्म जैसे क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता देना चाहती है.
मार्च 2024 में राज्य सरकार ने एक नया कानून पारित किया, जिससे 1993 के बाद से दी गई औद्योगिक छूट और प्रोत्साहन वापस ले लिए गए. सरकार का कहना है कि ये संसाधन अब सामाजिक कल्याण योजनाओं में लगाए जाएंगे. हालांकि, कई उद्योगपतियों ने इस कानून को कोर्ट में चुनौती दी है. नुवोको विस्तास जैसी कंपनियों ने इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए हाई कोर्ट का रुख किया है. उन्हें करीब 4,700 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन का नुकसान होने की आशंका है.
बीजेपी के वार की ममता खोज रहीं काट
एक रैली में, गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल की उद्योगिक स्थिति को ‘दयनीय’ बताया था. उन्होंने बंगाल के आर्थिक पतन के लिए तृणमूल और लेफ्ट, दोनों को जिम्मेदार ठहराया. बीजेपी का आरोप है कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय, महिला श्रमिक भागीदारी और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का हिस्सा राष्ट्रीय औसत से कम है.
ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए दावा किया कि बंगाल MSME सेक्टर में देश में नंबर एक है और राज्य सड़क निर्माण में भी आगे है.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
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