'सनातन महाकुंभ' से BJP को फायदा या अश्विनी चौबे को मिलेगी सियासी ‘एनर्जी’?

5 hours ago

Last Updated:July 08, 2025, 12:28 IST

Bihar Chunav 2025 : पटना में 6 जुलाई 2025 को आयोजित सनातन महाकुंभ ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है. बीजेपी नेता अश्विनी चौबे क्या एक बार फिर से बिहार की राजनीति में सक्रिय वापसी करने जा रहे हैं?

'सनातन महाकुंभ' से BJP को फायदा या अश्विनी चौबे को मिलेगी सियासी ‘एनर्जी’?

क्या अश्विनी चौबे की राजनीति बिहार में फिर से चमकने लगेगी?

हाइलाइट्स

पटना में सनातन महाकुंभ ने सियासी हलचल मचाई.अश्विनी चौबे ने लालू यादव को न्योता भेजा.चौबे ने सनातन महाकुंभ से अपनी छवि चमकाई.

पटना. बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट जैसे ही शुरू होती है, वैसे ही सियासी रंगमंच पर धर्म और जाति के मेलों का दौर शुरू हो जाता है. मानो बिन मौसम बरसात की तरह, गांधी मैदान से लेकर गली-नुक्कड़ तक सनातन और संस्कृति के झंडे लहराने लगते हैं. इस बार 6 जुलाई 2025 को पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘सनातन महाकुंभ’ ने बिहार की सियासत में एक नया हलचल मचाया. इस आयोजन का चेहरा कोई और नहीं, बल्कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद पार्टी की आंतरिक राजनीति में हाशिए पर चले गए थे. लेकिन क्या इस सनातन महाकुंभ ने उन्हें वह ‘एनर्जी’ दी, जो उनकी सियासी पारी को फिर से चमका सकती है?

गांधी मैदान में जब सनातन महाकुंभ का डंका बज रहा था, ठीक उसी वक्त लालू यादव के आवास पर मुहर्रम की तैयारियां चल रही थीं. तजिया के दौरान लाठी भांजा जा रहा था. लालू-राबड़ी दोनों कुर्सी पर बैठकर यह सी देख रहे थे. सनातन महाकुंभ में अश्विनी चौबे ने न सिर्फ आयोजन की कमान संभाली, बल्कि लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को भी न्योता भेजकर सबको चौंका दिया. अश्विनी चौबे ने निमंत्रण में कहा, ‘सनातन का ध्वजवाहक बनें, लालू जी!’उनका यह बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया. चौबे ने कहा कि यह आयोजन सनातन संस्कृति को फिर से जिंदा करने की कवायद है, लेकिन सियासी जानकार इसे चौबे की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं.

हाशिए से वापसी की जुगत चौबे

2024 का लोकसभा चुनाव अश्विनी चौबे के लिए किसी झटके से कम नहीं था. बक्सर सीट से उनका टिकट कट गया और उनकी जगह मिथिलेश तिवारी को उतारा गया, जो हार गए. पार्टी की आंतरिक रिपोर्ट्स में चौबे के बयानों को हार का एक बड़ा कारण माना गया. उनका यह बयान ‘कुछ षड्यंत्रकारी थे, जो चुनाव के बाद नंगे होंगे,’ सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. उन्होंने यह तक कहा, ‘शायद परशुराम का वंशज होना मेरा कसूर था.’ इन बयानों ने बीजेपी आलाकमान को असहज कर दिया. कार्यकर्ताओं ने भी उन पर बक्सर के विकास को नजरअंदाज करने और भागलपुर में ज्यादा वक्त बिताने का आरोप लगाया. चौबे के पुतले जलाए गए और पटना तक विरोध की आग पहुंची.

बीजेपी के मंच पर क्यों नहीं मिली जगह?

अभी हाल ही में पटना में बीजेपी की कार्यसमिति बैठक में भी चौबे को मंच पर जगह नहीं मिली. राजनाथ सिंह की मौजूदगी में यह ‘अपमान’ उनकी नाराजगी को और हवा दे गया. चौबे ने इसे सनातन महाकुंभ के आयोजन से जोड़कर टालने की कोशिश की, लेकिन सियासी गलियारों में उनकी ‘उपेक्षा’ की चर्चा जोरों पर रही. फिर भी, चौबे ने हार नहीं मानी. सनातन महाकुंभ के जरिए उन्होंने न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक छवि को चमकाया, बल्कि बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे को भी धार देने की कोशिश की.

सनातन महाकुंभ से ‘एनर्जी’?

सनातन महाकुंभ का आयोजन चौबे के लिए एक मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है. इस आयोजन ने उन्हें साधु-संतों, कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच फिर से चर्चा में ला दिया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आयोजन उन्हें बीजेपी के सांस्कृतिक और हिंदुत्व एजेंडे का एक मजबूत चेहरा बना सकता है. चौबे का यह दांव उन्हें चुनावी प्रचार में अहम भूमिका दिला सकता है. क्योंकि चौबे ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘बीजेपी मेरा प्राण है. मैं गंदे लोगों को पार्टी से निकाल दूंगा.’ यह बयान उनकी मंशा को साफ करता है कि वे पार्टी में रहकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं. सनातन महाकुंभ जैसे आयोजन उन्हें जनता और कार्यकर्ताओं के बीच जोड़ने का मौका देते हैं, जो 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है.

लेकिन चौबे की राह इतनी आसान नहीं. उनकी उम्र 72 साल हो गई है और अतीत के विवाद उनके लिए चुनौती बन सकते हैं. 2024 में बक्सर में प्रचार से दूरी ने उनकी नाराजगी को उजागर किया. उन्होंने स्वीकार किया कि न तो आलाकमान ने उन्हें बुलाया, न ही मिथिलेश तिवारी ने. सुशील मोदी की मृत्यु पर उनके बयान ‘बीजेपी ने उन्हें प्रताड़ित किया’ ने पार्टी में खलबली मचा दी थी. ये बयान उनकी बागी छवि को और मजबूत करते हैं, जो आलाकमान को रास नहीं आती. ऐसे में सनातन महाकुंभ ने चौबे को नई ‘एनर्जी’ तो दी, लेकिन क्या यह उनकी सियासी पारी को नया जीवन दे पाएगी?

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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