Last Updated:October 20, 2025, 13:46 IST
General Knowledge, INS Vikrant Significance: दुनियाभर के भारतीय आज हर्षोल्लास के साथ दिवाली का पर्व मना रहे हैं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए आईएनएस विक्रांत पर दिवाली मनाने पहुंचे.

नई दिल्ली (General Knowledge, INS Vikrant Significance). इस साल की दिवाली भारतीय नौसेना के इतिहास में सुनहरे अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा और कारवार के तट के पास देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रांत पर नौसेना के बहादुर जवानों के साथ यह पावन त्योहार मनाया. आईएनएस विक्रांत ‘साहसी’ या ‘विजयी’ का प्रतीक है. यह देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की भावना का केंद्र बिंदु बन चुका है.
समुद्र के बीचों-बीच विशालकाय युद्धपोत पर दिवाली के दीयों की चमक को प्रधानमंत्री ने ‘अलौकिक दीपमाला’ बताया. यह क्षण इस बात का गवाह है कि यह जहाज सिर्फ लोहे का ढांचा नहीं है, बल्कि सशस्त्र सेनाओं की जीवंत, सांस लेती हुई शक्ति है. आईएनएस विक्रांत का निर्माण पूरी तरह से भारत में हुआ है. यह देश की बढ़ती हुई तकनीकी क्षमता और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति का सबसे बड़ा प्रमाण है. यह दिवाली समारोह केवल एक त्योहार नहीं था, बल्कि देश के आत्मनिर्भर भारत के सपने को सलामी थी.
आईएनएस विक्रांत क्या है?
आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली युद्धपोत है. यह सिर्फ एक जहाज नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और देश की बढ़ती तकनीकी क्षमता का साक्षात प्रमाण है. ‘विक्रांत’ शब्द का अर्थ है- ‘साहसी’ या ‘विजयी’. यह नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाता है. यह भारतीयों का गर्व है.
विक्रांत के निर्माण के साथ भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन जैसे उन चुनिंदा देशों की लीग में शामिल हो गया है, जो अपने दम पर इतने विशाल Aircraft Carrier को डिजाइन और निर्मित कर सकते हैं. इसे भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) ने डिज़ाइन किया गया और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL), कोच्चि में इसे बनाया गया.
आईएनएस विक्रांत इतना खास क्यों है?
आईएनएस विक्रांत की क्षमताएं और निर्माण प्रक्रिया इसे भारतीय रक्षा इतिहास में सबसे अलग बनाते हैं:
1. पूरी तरह स्वदेशी निर्माण- विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (IAC-1) है. इसके निर्माण में इस्तेमाल की गई लगभग 76% सामग्री और उपकरण स्वदेशी हैं. इसमें विशेष रूप से विकसित किया गया स्टील, बिजली केबल, इंजन, गियरबॉक्स और Propulsion Systems शामिल हैं.
2. आकार और क्षमता- आईएनएस विक्रांत लगभग 45,000 टन भारी है. इसकी लंबाई लगभग 262 मीटर (लगभग दो फुटबॉल मैदानों के बराबर) और चौड़ाई 62 मीटर है. इसमें कुल 14 डेक हैं और यह करीब 18 मंजिला इमारत जितना ऊंचा है. यह पोत 4 गैस टर्बाइन से संचालित होता है, जो इसे लगभग 28 समुद्री मील (लगभग 52 किमी/घंटा) की अधिकतम गति प्रदान करते हैं. इसमें लगभग 1600 नौसैनिक सवार हो सकते हैं.
3. एयर ऑपरेशंस- आईएनएस विक्रांत लगभग 30 लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर को संचालित करने में सक्षम है. इनमें मिग-29के लड़ाकू जेट, कामोव-31 (Kamov-31) और MH-60R मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर शामिल हैं. यह STOBAR (शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी) टेक्नीक का इस्तेमाल करता है.
4. रणनीतिक महत्व- आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने से भारत दो विमानवाहक पोत संचालित करने की क्षमता रखता है (दूसरा है रूस से मिला हुआ आईएनएस विक्रमादित्य). यह क्षमता भारतीय नौसेना को हिंद महासागर में पूर्वी और पश्चिमी, दोनों तटों पर एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप (CBG) तैनात करने की अनुमति देती है. इससे देश की समुद्री सुरक्षा और प्रभुत्व कई गुना बढ़ जाता है.
यह विशाल युद्धपोत भारतीय नौसेना की समुद्री शक्ति को नई ऊंचाई पर ले जाता है. यह ‘नए भारत’ की तकनीकी महत्वाकांक्षा की झलक है. आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को बनाने में कुल ₹20,000 करोड़ (बीस हजार करोड़ रुपये) की लागत आई थी.
With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...और पढ़ें
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First Published :
October 20, 2025, 13:46 IST