Last Updated:October 22, 2025, 11:32 IST
Psychologist vs Psychiatrist Difference: दिमाग का डॉक्टर कौन होता है, साइकोलॉजिस्ट या साइकियाट्रिस्ट? एक दवा लिखता है, दूसरा व्यवहार बदलता है.. दोनों की पढ़ाई, सैलरी और काम बिल्कुल अलग हैं! अपनी परेशानी के लिए किसे चुनें? जानिए दोनों के बीच अंतर.

नई दिल्ली (Psychologist vs Psychiatrist Difference). क्या आपने कभी सोचा है कि जब आपका मन परेशान होता है तो आपको दिमाग के डॉक्टर (साइकियाट्रिस्ट) के पास जाना चाहिए या दिमाग के कोच (साइकोलॉजिस्ट) के पास? अक्सर लोग इन दोनों को एक ही मान लेते हैं. लेकिन असल में ये दोनों मेंटल हेल्थ स्वास्थ्य की दुनिया के 2 पूरी तरह अलग खिलाड़ी हैं! एक आपकी नींद, भूख और केमिकल लोचा को दवा से ठीक करता है और दूसरा बातचीत से आपकी सोच, आदतें और रिश्ते सुधारता है.
अगर आप भी यही सोचते हैं कि इन दोनों के बीच केवल नाम का अंतर है तो आप गलत हैं. इन दोनों के बीच का अंतर उतना ही बड़ा है, जितना एमबीबीएस डॉक्टर और पीएचडी स्कॉलर में होता है. एक ने कई साल मेडिकल स्कूल में बिताए हैं इसलिए उसके पास दवा लिखने की शक्ति है. दूसरे ने मनोविज्ञान की गहरी पढ़ाई की है तौ उसके पास आपकी भावनाओं को पढ़ने और व्यवहार बदलने का जादू है. अब सवाल यह है कि आपकी परेशानी के लिए सही ‘हीरो’ कौन है? क्या आपको फार्मेसी की जरूरत है या काउंसलिंग रूम की?
साइकियाट्रिस्ट (मनोचिकित्सक) कौन होता है?
साइकियाट्रिस्ट मानसिक बीमारियों के चिकित्सीय (Medical) पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने वाला एक्सपर्ट होता है.
बिंदु | विवरण |
जरूरी पढ़ाई | एमबीबीएस की डिग्री के बाद मनोचिकित्सा (Psychiatry) में एक्सपर्टीज. |
उपचार का तरीका | ये मुख्य रूप से दवाएं लिखते हैं, जिनका इस्तेमाल अवसाद, सिजोफ्रेनिया, बाईपोलर डिसऑर्डर जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों के केमिकल और बायोलॉजिकल असंतुलन को ठीक करने के लिए किया जाता है. ये हल्की-फुल्की टॉक थेरेपी भी कर सकते हैं. |
कार्यक्षेत्र | हॉस्पिटल, मेडिकल क्लीनिक, मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं और निजी प्रैक्टिस में काम करते हैं. |
सैलरी (औसत) | मेडिकल डॉक्टर होने के कारण इनकी सैलरी साइकोलॉजिस्ट की तुलना में आमतौर पर अधिक होती है. भारत में शुरुआती सालाना आय ₹8 लाख से ₹20 लाख तक हो सकती है, जो अनुभव के साथ काफी बढ़ सकती है. |
साइकोलॉजिस्ट (मनोवैज्ञानिक) कौन होते हैं?
साइकोलॉजिस्ट मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के व्यवहारिक और भावनात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने वाले विशेषज्ञ होते हैं.
बिंदु | विवरण |
जरूरी पढ़ाई | मास्टर्स की डिग्री के बाद पीएच.डी. (Ph.D.) या साइ.डी. (Psy.D.) की डिग्री. यह रिसर्च बेस्ड/शैक्षणिक डिग्री है. |
उपचार का तरीका | ये मुख्य रूप से मनोचिकित्सा (Psychotherapy) या टॉक थेरेपी प्रदान करते हैं- जैसे सीबीटी (CBT), डीबीटी (DBT). ये दवाएं नहीं लिख सकते (कुछ विशेष अमेरिकी राज्यों को छोड़कर). ये साइकोलॉजिकल टेस्टिंग (IQ, पर्सनैलिटी टेस्ट) भी करते हैं. |
कार्यक्षेत्र | स्कूलों, विश्वविद्यालयों, कॉरपोरेट जगत (HR), परामर्श केंद्रों, सरकारी एजेंसियों और निजी क्लीनिक में काम करते हैं. |
सैलरी (औसत) | इनकी आय विशेषज्ञता पर निर्भर करती है. भारत में सालाना आय ₹4 लाख से ₹12 लाख तक हो सकती है, लेकिन कॉर्पोरेट या निजी प्रैक्टिस में अनुभवी साइकोलॉजिस्ट इससे काफी अधिक कमा सकते हैं. |
साइकोलॉजिस्ट और साइकियाट्रिस्ट में सबसे बड़ा अंतर क्या है?
इन दोनों प्रोफेशनल्स के बीच सबसे बड़ा और बेसिक अंतर है कि साइकियाट्रिस्ट दवाएं लिख सकते हैं क्योंकि उनके पास मेडिकल डिग्री होती है. वहीं, साइकोलॉजिस्ट दवाएं नहीं लिख सकते. अगर किसी व्यक्ति को ऐसी गंभीर मानसिक बीमारी है, जिसके लिए उसे दवा की जरूरत है तो उसे साइकियाट्रिस्ट से मिलना चाहिए. अगर समस्या मुख्य रूप से भावनात्मक, व्यवहारिक या जीवन की चुनौतियों से जुड़ी हुई है तो साइकोलॉजिस्ट सबसे उपयुक्त होते हैं.
With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...और पढ़ें
With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...
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First Published :
October 22, 2025, 11:32 IST