Last Updated:August 12, 2025, 17:23 IST
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से बचने के लिए अदालत परिसर में बचे हुए खाने को खुले में फेंकने पर रोक लगाई है. सभी खाद्य पदार्थों को ढके हुए कूड़ेदानों में ही फेंकने का निर्देश दिया गया है. एक दिन पहले ही सुप्री...और पढ़ें

आवार कुत्तों को डॉग शेल्टर में डालने को लेकर जारी किए गए आदेश के अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने एक सर्कुलर के जरिए इसे अदालत परिसर में लागू भी कर दिया है. कुत्तों के काटने से बचने के लिए जारी सर्कुलर में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में बचा हुआ खाना खुले में नहीं फेंका जाएगा. ऐसा करने पर रोक लगा दी गई है. कहा गया कि अदालत परिसर के अंदर बचे हुए भोजन का पूर्ण निपटान अनिवार्य है.
सर्कुलर में कहा गया है कि सभी बचे हुए खाद्य पदार्थों को केवल उचित रूप से ढके हुए कूड़ेदानों में ही फेंका जाना चाहिए. किसी भी परिस्थिति में भोजन को खुले स्थानों या बिना ढके कंटेनरों में नहीं फेंकना चाहिए. जानवरों को भोजन की ओर आकर्षित होने और उसे खाने के लिए इधर-उधर भटकने से रोकने के लिए यह उपाय अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे काटने का जोखिम काफी कम हो जाता है और स्वच्छता के मानक भी बने रहते हैं. इस निर्देश को लागू करने में आपका सहयोग सभी की सुरक्षा के लिए आवश्यक है.
सोशल मीडिया पर छिड़ी आदेश पर बहस
दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को हटाकर डॉग शेल्टर में रखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छेड़ दी है. कई आरडब्ल्यूए ने इस फैसले का स्वागत किया, जबकि पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने जमीन और फंड की कमी का हवाला देते हुए चेतावनी दी कि इससे इंसान-कुत्ता टकराव और बढ़ सकता है. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने समर्थन में लिखा कि आवारा कुत्तों का खतरा खत्म होना चाहिए, वहीं विरोध करने वालों ने इसे अमानवीय और कानून-विरोधी बताया. कुछ ने कहा कि यह फैसला एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स, 2023 का उल्लंघन है और संविधान द्वारा अपेक्षित करुणा की भावना के खिलाफ है.
इंडिया गेट पर प्रदर्शन भी
कई पोस्ट में आशंका जताई गई कि यह आदेश कुत्तों के लिए “मौत का फरमान” साबित हो सकता है, जबकि कुछ ने उम्मीद जताई कि यह प्रक्रिया संवेदनशीलता और उचित सुविधाओं के साथ होगी. इसी बीच, इस आदेश के खिलाफ इंडिया गेट पर पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. उन्होंने पोस्टर और नारेबाजी के जरिए मांग की कि आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने के बजाय उनके टीकाकरण और पुनर्वास की दिशा में कदम उठाए जाएं.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
August 12, 2025, 17:15 IST