Last Updated:December 27, 2025, 23:12 IST
Kuldeep Singh Sengar News: उन्नाव रेप केस में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबन के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. CJI की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच जस्टिस जेके महेश्वरी और ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह के साथ मामले की सुनवाई करेगी. सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले को पीड़िता केंद्रित न होने का आरोप लगाया है. पीड़िता की जान को सेंगर के प्रभाव से खतरा बताया गया है.
उन्नाव रेप केस में कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबन पर विवाद. (फाइल फोटो) नई दिल्ली: उन्नाव रेप केस एक बार फिर देश की राजनीति और न्याय व्यवस्था के केंद्र में आ गया है. भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा निलंबित किए जाने के बाद अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सवाल सिर्फ सजा निलंबन का नहीं है, बल्कि यह भी है कि क्या इससे पीड़िता की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा.
यही वजह है कि CBI ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस पर सोमवार को सुनवाई होनी है. चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच इस संवेदनशील मामले की सुनवाई करेगी. देश की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि शीर्ष अदालत क्या रुख अपनाती है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का मुद्दा?
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर 2025 के आदेश को चुनौती दी है. एजेंसी का कहना है कि हाईकोर्ट ने कानून की भावना और पीड़िता की सुरक्षा को नजरअंदाज किया. सीबीआई ने मांग की है कि सेंगर की सजा निलंबन पर रोक लगाई जाए और हाईकोर्ट के आदेश को रद्द किया जाए.
हाईकोर्ट ने सजा क्यों की थी सस्पेंड?
दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर की अपील लंबित रहने तक उनकी उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी थी. अदालत ने यह आधार दिया कि सेंगर पहले ही सात साल, पांच महीने से ज्यादा जेल में काट चुके हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें इस मामले में ‘पब्लिक सर्वेंट’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. इससे POCSO एक्ट के कड़े प्रावधान लागू नहीं हुए.
क्या जेल से बाहर आ पाएगा सेंगर?
इस मामले का अहम पहलू यह है कि भले ही रेप केस में सजा निलंबित हुई हो, कुलदीप सेंगर फिलहाल जेल में ही रहेगा. वजह यह है कि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है और उस केस में उसे अभी जमानत नहीं मिली है. यानी तकनीकी रूप से सजा निलंबन के बावजूद रिहाई संभव नहीं है.
CBI ने क्या गंभीर आरोप लगाए?
सीबीआई ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट के फैसले को ‘कानून के विपरीत और विकृत’ बताया है. एजेंसी का कहना है कि कोर्ट ने POCSO कानून की व्याख्या करते वक्त पीड़िता केंद्रित दृष्टिकोण नहीं अपनाया. साथ ही यह भी कहा गया कि सेंगर के रसूख और प्रभाव को देखते हुए पीड़िता और उसके परिवार की जान को खतरा हो सकता है.
विरोध प्रदर्शन और सियासी हलचल
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद राजधानी में विरोध तेज हो गया. सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना और कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने संसद भवन के बाहर धरना दिया. शनिवार को हुए इस प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने दोनों नेताओं समेत कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह फैसला पीड़िताओं के हक और सुरक्षा के खिलाफ है.
2017 से 2025 तक का पूरा मामला
यह केस 2017 के उन्नाव रेप कांड से जुड़ा है. इसमें एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार का आरोप कुलदीप सेंगर पर लगा था. दिसंबर 2019 में निचली अदालत ने सेंगर को आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी. उसी फैसले को चुनौती देते हुए सेंगर ने हाईकोर्ट का रुख किया था, जिस पर अब विवाद खड़ा हो गया है.
आगे क्या फैसला हो सकता है?
कानूनी जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट या तो हाईकोर्ट के आदेश पर तत्काल रोक लगा सकता है या फिर मामले की गहराई से जांच का आदेश दे सकता है. यह फैसला सिर्फ सेंगर की किस्मत नहीं, बल्कि पीड़िताओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर भरोसे को भी प्रभावित करेगा.
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सुमित कुमार News18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे पिछले 3 साल से यहां सेंट्रल डेस्क टीम से जुड़े हुए हैं. उनके पास जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री है. News18 हिंदी में काम करने से पहले, उन्ह...और पढ़ें
First Published :
December 27, 2025, 23:10 IST

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