Last Updated:June 17, 2025, 11:34 IST
CPI Maoist secret circular: माओवादी संगठन ने खुद को कमजोर मानते हुए दंडकारण्य जैसे इलाकों से पीछे हटने का फैसला लिया है. गुप्त सर्कुलर में संगठन ने जनसमर्थन घटने, नई सोच के असर और सुरक्षा बलों के दबाव को जिम्मे...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
माओवादी संगठन ने खुद को कमजोर मानते हुए पीछे हटने का फैसला लिया.जनसमर्थन घटने और नई सोच के चलते संगठन का प्रभाव कम हुआ.ऑपरेशन कागर से घिरकर माओवादी अपनी सैन्य यूनिटें तोड़ने लगे.भारत के जंगलों में दशकों से खौफ फैलाने वाले माओवादी अब खुद को कमजोर मानने लगे हैं. अगस्त 2024 में माओवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) की सबसे ऊंची कमेटी पोलितब्यूरो ने एक गुप्त सर्कुलर जारी कर बताया कि वे अब ‘दंडकारण्य’ जैसे बड़े क्षेत्रों से पीछे हट रहे हैं. यह वही इलाका है जहां माओवादी कभी ताकतवर माने जाते थे.
कम होती जनसमर्थन और विचारधारा से उभरा संकट
इस गुप्त सर्कुलर में माना गया कि माओवाद अब जनता के बीच अपनी पकड़ खो चुका है. संगठन ने खुद माना कि आज के दौर में ‘पोस्टमॉडर्निज़्म‘, ‘अंबेडकरिज़्म‘ और ‘NGO कल्चर‘ की वजह से उनकी विचारधारा कमजोर पड़ी है. माओवादी अब नई पीढ़ी को अपनी तरफ खींचने में पूरी तरह असफल रहे हैं.
‘ऑपरेशन कागर’ की कार्रवाई से टूटी कमर
सरकार की तरफ से चलाए जा रहे ऑपरेशन कागर ने माओवादियों की कमर तोड़ दी है. सुरक्षा बलों की बड़ी संख्या में तैनाती और योजनाबद्ध घेराबंदी की वजह से माओवादी अपने बचाव के प्लान को अमल में नहीं ला पाए. इंटेलिजेंस एजेंसियों के अनुसार, माओवादी नेताओं ने आगे की रणनीति जरूर बनाई थी, लेकिन उन्हें जमीन पर उतारने में नाकाम रहे.
सेना और संगठन दोनों में भारी गिरावट
गुप्त दस्तावेज के अनुसार, माओवादियों के पास अब न तो पहले जैसी ताकत है और न ही पहले जैसे लीडर. पोलितब्यूरो अब सिर्फ 3 सदस्यों का रह गया है जबकि एक समय में इसमें 14 लोग थे. इसी तरह केंद्रीय समिति के सदस्य 42 से घटकर सिर्फ 17 रह गए हैं.
‘बचाव के लिए पीछे हटो’ की रणनीति
संगठन ने फैसला लिया है कि वे बड़े-बड़े सशस्त्र दलों को भंग कर छोटे-छोटे दस्तों में बांट देंगे. अब हर दस्ते में केवल 4 से 8 लोगों की टीम होगी. जो यूनिट्स इतने लोगों को नहीं जोड़ सकतीं, उन्हें खत्म कर दिया जाएगा. साथ ही, सभी दलों को लगातार चलते रहने के निर्देश दिए गए हैं ताकि सुरक्षा बलों की पकड़ में ना आएं.
दंडकारण्य से वापसी की खुली घोषणा
सर्कुलर साफ कहता है कि अब दंडकारण्य जैसे इलाके में रहना मुमकिन नहीं है क्योंकि सुरक्षा बलों ने उसे चारों ओर से घेर लिया है. माओवादी नेता मानते हैं कि यह ‘अस्थायी झटका’ है, लेकिन इसी में अपनी ताकत बचाने के लिए पीछे हटना जरूरी है.
बासवराजू की मौत से बड़ा झटका
21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में माओवादी महासचिव नमबाला केशव राव उर्फ बासवराजू और उनके 26 साथी मारे गए. यह माओवादियों के लिए बहुत बड़ा नुकसान था. इस साल सिर्फ छत्तीसगढ़ में अब तक 200 से ज्यादा माओवादी मारे जा चुके हैं.
2026 तक माओवादी सफाया का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने माओवाद को जड़ से खत्म करने के लिए 31 मार्च 2026 की डेडलाइन तय की है. गृहमंत्री अमित शाह ने खुद यह ऐलान किया है और ऑपरेशन कागर उसी दिशा में एक बड़ा कदम है. मौजूदा हालात में माओवादी संगठन लगातार कमजोर हो रहा है और अब खुद उनके अंदर ही हार का अहसास हो चुका है.
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New Delhi,Delhi