नाश्ते में जलेबी या जिलेबी खाना हिंदी पट्टी यानी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के लोगों की आदत है. पंजाब-हरियाणा के लोगों को हलवा और खास मौकों पर लड्डू पसंद आते हैं. जलेबी को हरियाणा में बहुत सी जगहों पर जलेबा के तौर पर बनाया जाता है. राहुल गांधी को भी हरियाणा में खिलाई गई. जायका लेते हुए उन्होंने अफसोस जताया कि यहां की जलेबी देश में भर में क्यों नहीं जाती. कुछ ही देर में साफ हो जाएगा कि लोगों ने राहुल की बात सुनी या नहीं ली. बहरहाल, एग्जिट पोल से ही लग रहा था कि हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में आ जाएगी और सुबह वोटों की गिनती शुरु होने के साथ ही पार्टी ने अच्छी भली बढ़त भी बना ली. लेकिन गिनती आगे बढ़ने के साथ बीजेपी ने कड़ी टक्कर दे कर उनकी जलेबी का जायका बिगाड़ दिया.
अब सवाल महाराष्ट्र का
हालांकि इस पूरी लड़ाई के बाद अब असली सवाल महाराष्ट्र का है. वहां जलेबी नहीं चलती है. बल्कि वहां की राजनीति ही जलेबी की तरह टेढ़ी मेढ़ी है. महाराष्ट्र को संहालने वाले कद्दावर नेता अब कांग्रेस में नहीं दिख रहे हैं. राज्य में इसी साल नवंबर दिसंबर में चुनाव होने हैं. फिलहाल, उद्धव ठाकरे कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं. आगे भी वे कांग्रेस की ओर रहेंगे इस पर कुछ कहना अभी ठीक नहीं होगा. शिवसेना कांग्रेस की नेचुरल साथी नहीं है. विचारधारा के साथ साथ दोनों के वोटरों की रुचि भी अलग अलग है. लंबे वक्त तक कांग्रेस ने शिवसेना से संघर्ष किया है.
शिवसेना कांग्रेस का साथ रहेगा?
बीजेपी भी नहीं चाहती कि शिवसेना कांग्रेस के साथ रहे. बल्कि बीजेपी की कोशिश ये है कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे में किसी तरह से सुलह हो जाए और दोनो मिल कर बीजेपी के साथ चुनाव लड़े. अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है. खैर शिंदे और ठाकरे गुट में एका कराने के प्रयासों की अभी कोई आधिकारिक पुष्टि किसी पक्ष से नहीं हो रही है. लेकिन अगर जम्मू-कश्मीर में बीजेपी सरकार बना कर अपना झंडा बुलंद कर ले तो इससे वो हिंदुत्व का नैरेटिव महाराष्ट्र में खड़ा कर सकती है.
वरिष्ठ पत्रकार प्रभात डबराल का कहना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी की अपनी ताकत तभी बढ़ सकती है जब वो जम्मू कश्मीर में हिंदू मुख्यमंत्री बिठा दे. इससे उसके कोर वोटर प्रभावित होंगे. साथ ही उसे अपने मुद्दे महाराष्ट्र में उभारने का मौका मिल सकता है. डबराल कहते हैं – “ये स्थिति तभी बन सकती है जब बीजेपी राज्य में 35 सीटें जीत जाय. उस में 5 मनोनीत और कुछ निर्दलों के समर्थन से बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिल सकता है. 370 खत्म करने के बाद राज्य में में सरकार बनाने से फिर से बीजेपी नए सिरे से अपना नैरेटिव खड़ा कर सकेगी.”
जम्मू कश्मीर के साथ ही हरियाणा के चुनाव भी घोषित किए गए थे. लेकिन बीजेपी ने जितने दिग्गज पार्टी नेताओं को जम्मू-कश्मीर में लगाया उतनी ताकत हरियाणा में नहीं झोकी. इसकी वजह ये भी हो सकती है कि पार्टी हरियाणा के हालात से वाकिफ थी. अगर कुमारी सैलजा की नाराजगी सतह पर न आई होती तो कांग्रेस की स्थिति वहां और मजबूत होती. सैलजा को लेकर दलित वर्ग में एक नाराजगी जरुर देखने को मिल रही थी. फिर ऐसा नहीं दिखता कि बीजेपी इस नाराजगी से कोई फायदा उठा पायी हो.
खैर कुछ ही देर में हरियाणा और जम्मू कश्मीर की स्थितियां और साफ हो जाएंगी, लेकिन इसी के साथ एक बड़ा सवाल खड़ा रह जाएगा कि राहुल हरियाणा में जलेबी का जोश पूरन पोली वाले महाराष्ट्र में भी पहुंचा पाएंगे.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 10:20 IST