झालावाड़: 'हम स्कूल मरम्मत की गुहार करते रह गए, किसी ने नहीं सुनी और...'

1 week ago

Last Updated:July 25, 2025, 14:42 IST

Jhalawar School Collapse Ground Report : झालावाड़ के पीपलोदी गांव में हुए स्कूल हादसे ने सात घरों के चिराग बुझा दिये हैं. यहां सरकारी स्कूल की छत ढह जाने से सात मासूम बच्चों की मौत हो गई. हादसे के शिकार हुए बच्...और पढ़ें

 'हम स्कूल मरम्मत की गुहार करते रह गए, किसी ने नहीं सुनी और...'ग्रामीणों का कहना है कि हमारी बात सुन लेते तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता.

हाइलाइट्स

स्कूल हादसे में 7 बच्चों की मौत हुई.ग्रामीणों ने स्कूल मरम्मत की गुहार की थी.हादसे में 30 बच्चे घायल, 10 गंभीर हालत में.

झालावाड़. झालावाड़ के मनोहरथाना के पीपलोद गांव में हुए स्कूल हादसे ने ग्रामीणों को बुरी तरह से तोड़कर रख दिया है. यह स्कूल भवन करीब 50 साल पुराना बतया जा रहा है. ग्रामीणों का गुस्सा इस बात पर है कि सबकुछ जानते बूझते हुए भी कुछ नहीं किया गया. स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी थी. काफी समय से इसकी मरम्मत नहीं हुई थी. पहले भी जो मरम्मत की गई थी वह भी महज खानापूर्ति थी. ग्रामीणों का उनका कहना है कि ‘हम स्कूल रिपयेरिंग की बात कह-कहकर थक गए, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. इसका परिणाम किसी और को नहीं हमें ही भुगतना पड़ा है’.

पीपलोद अपर प्राइमरी स्कूल (उच्च प्राथमिक विद्यालय) हादसे में अब तक सात मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है. करीब 30 बच्चे घायल हैं. इनमें से 10 की हालत गंभीर बनी हुई है. गंभीर घायल बच्चों को झालावाड़ के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है. बच्चों के साथ आए उनके परिजनों की आंखों के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे हैं. उनका रो-रोकर बुरा हाल है. आंखों में आसूं के साथ गुस्सा भी नजर आ रहा है. उनका बस एक ही सवाल है कि आखिर हमारा और हमारे बच्चों का क्या दोष था जो इस सड़े गले और जर्जर हो चुके सरकारी सिस्टम का खामियाजा हमें भुगतना पड़ा. वहीं मौक पर भी ग्रामीणों का आक्रोश भड़क रहा है.

Jhalawar School Collapse Live : झालावाड़ में बढ़ता जा रहा है बच्चों की मौत का आंकड़ा, अब तक 7 की मौत, PM मोदी और CM ने जताया दुख

हादसा सातवीं के कक्षा रूम में हुआ
ग्रामीणों ने बताया कि हादसा प्रार्थना होने के बाद हुआ. प्रार्थना के बाद बच्चे अपने-अपने क्लास रूम में जा चुके थे. हादसा सातवीं के कक्षा रूम में हुआ. उस समय कक्षा में करीब 35 बच्चे थे. बच्चे कक्षा में जाकर बैठे ही थे कि अचानक कमरे की छत भरभराकर गिर गई. इससे वहां मासूमों की चीख पुकार मच गई. हादसे के शिकार हुए बच्चों के परिजनों का कहना है कि हादसे के बाद प्रशासन भी देर से पहुंचा. प्रशासन पहुंचा तब तक कई मासूमों की जान जा चुकी थी. ग्रामीण ही अपने स्तर पर मलबा हटाकर बच्चों को निकालने का प्रयास करते रहे.

झालावाड़ हादसा : स्कूल में दब गई मासूमों की किलकारियां, मलबे में बच्चों को ढूंढ रहे थे परिजन

क्या शासन-प्रशासन उनके बच्चों को लौटा सकता है?
ग्रामीणों और परिजनों के अनुसार ‘इस हादसे ने हमारे बच्चों को तो लील लिया लेकिन यह सड़े गले सिस्टम पर गहरा तमाचा है. अब भले ही जांच हो या मुआवजा मिले क्या फर्क पड़ता है. हमारे बच्चे तो मौत की भेंट चढ़ गए’. ग्रामीणों को इस बात का रंज है कि अगर समय रहते उनकी सुनवाई कर ली गई होती तो शायद आज यह दिन नहीं देखना पड़ता. ग्रामीणों का कहना है कि क्या शासन-प्रशासन उनके बच्चों को लौटा सकता है?

Sandeep Rathore

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

Location :

Jhalawar,Jhalawar,Rajasthan

homerajasthan

झालावाड़: 'हम स्कूल मरम्मत की गुहार करते रह गए, किसी ने नहीं सुनी और...'

Read Full Article at Source