1971 की डरावनी यादें फिर ज़िंदा, बांग्लादेश की हिंसा पर शेख़ हसीना

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Last Updated:December 18, 2025, 16:12 IST

News18 को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में शेख़ हसीना ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा, अल्पसंख्यकों पर हमले और मुक्ति संग्राम के इतिहास को मिटाने की कोशिशें 1971 की दर्दनाक यादों की गूंज हैं.

1971 की डरावनी यादें फिर ज़िंदा, बांग्लादेश की हिंसा पर शेख़ हसीनाशेख हसीना की प्रॉपर्टी को लेकर विवाद है. (Image:Reuters)

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और आवामी लीग प्रमुख शेख़ हसीना ने पाकिस्तान को लेकर एक बार फिर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश में आज जो हिंसा, अस्थिरता और सामाजिक विभाजन दिखाई दे रहा है, वह 1971 के मुक्ति संग्राम के दौर की दर्दनाक यादों की गूंज जैसा है. न्यूज़ 18 को दिए खास इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने एक प्रश्न के जवाब में यह बात कही.

इंटरव्यू में सवाल किया गया कि “क्या पाकिस्तान एक बार फिर बांग्लादेश में उसी तरह का दमनकारी माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहा है, जैसा 1971 में किया गया था—जब पाकिस्तानी सेना पर दो लाख से अधिक बांग्लादेशी महिलाओं के साथ बलात्कार किया था”
इस सवाल के जवाब में शेख़ हसीना ने कहा— “आज हम जो हिंसा देख रहे हैं — ‘अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाना, महिलाओं पर हमले और हमारे मुक्ति संग्राम के इतिहास को मिटाने की कोशिशें’ — ये सब 1971 की परेशान करने वाली यादों की गूंज हैं. हमने युद्ध में इस विचारधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ी, और हमने बांग्लादेश को एक मज़बूत, धर्मनिरपेक्ष और सुरक्षित देश बनाया – खासकर महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए. पाकिस्तान के साथ स्थिर, रचनात्मक संबंध रखना हमारे देश के हित में है. लेकिन हमें मज़बूत नेतृत्व की भी ज़रूरत है: न सिर्फ़ अपने देश की रक्षा के लिए, बल्कि देश के भीतर रहने वालों की रक्षा के लिए भी”.

उन्होंने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ स्थिर और रचनात्मक संबंध रखना चाहता है, लेकिन इसके लिए मजबूत और जिम्मेदार नेतृत्व अनिवार्य है.

इंटरव्यू के दौरान शेख़ हसीना से यह भी पूछा गया कि उनके सत्ता से हटने के बाद भारत–बांग्लादेश संबंधों में जो दरार आई है, क्या उसे पाटा जा सकता है.
इस पर उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा— “मुझे इसमें कोई शक नहीं है, कि भारत के साथ हमारे रिश्ते यूनुस के इस बेवकूफी भरे दौर को झेल सकते हैं, जो कि कुछ समय के लिए ही है. भारत सिर्फ़ एक रणनीतिक पार्टनर नहीं है, बल्कि एक ऐसा मित्र है जिसके साथ हम संस्कृति, इतिहास और 4,000 किमी का बॉर्डर साझा करते हैं. एक बार जब बांग्लादेशी आज़ादी से वोट दे पाएंगे, तो वे एक ऐसे नेता को चुनेंगे जो भारत का दोस्त बनने के लायक हो, और मैं अपने पड़ोसी भारत के धैर्य की सराहना करती हूँ क्योंकि वह समझदार के आने का इंतज़ार कर रहा है”.

शेख़ हसीना ने भारत को केवल रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मित्र बताया. शेख़ हसीना ने भरोसा जताया कि जैसे ही बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होंगे, जनता एक ऐसे नेतृत्व को चुनेगी जो भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करेगा. शेख़ हसीना के ये बयान केवल अतीत की याद दिलाने भर नहीं हैं, बल्कि मौजूदा हालात के लिए एक सीधी चेतावनी हैं. पाकिस्तान की भूमिका, अंतरिम प्रशासन की नीतियां और भारत–बांग्लादेश संबंध—तीनों मुद्दों को जोड़ते हुए हसीना ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि बांग्लादेश की स्थिरता लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और मजबूत नेतृत्व से ही संभव है.

बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख़ हसीना वाजेद ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक लोकतंत्र समर्थक प्रतीक के रूप में की थी, लेकिन अगस्त 2024 में 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद उनके शासन के खिलाफ हुए बड़े पैमाने के विरोध प्रदर्शनों के चलते उन्हें देश छोड़ना पड़ा. इसके बाद से शेख़ हसीना भारत में स्वैच्छिक निर्वासन में हैं. 17 नवंबर 2025 को ढाका की एक विशेष ट्रिब्यूनल अदालत ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए मृत्युदंड की सज़ा सुनाई. अदालत ने पाया कि 15 जुलाई से 5 अगस्त 2024 के बीच हुए विरोध प्रदर्शनों पर की गई घातक कार्रवाई के आदेश शेख़ हसीना ने दिए थे. हालांकि, शेख़ हसीना ने अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों राजनीति से प्रेरित करार दिया है.

आपको बता दें, बांग्लादेश में 12 फ़रवरी 2026 को संसदीय चुनाव कराए जाएंगे. ये बांग्लादेश के 13वें चुनाव होंगे. यह चुनाव पिछले साल हुए छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन के बाद देश का पहला राष्ट्रीय मतदान होगा, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था. बांग्लादेश के चुनाव आयोग (EC) ने चुनावों को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं.

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Mohit Chauhan

Mohit Chauhan is an experienced Editorial Researcher with over seven years in digital and television journalism. He specializes in Defence, Relations and Strategic Military Affairs, with a strong ...और पढ़ें

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First Published :

December 18, 2025, 16:12 IST

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