Last Updated:November 27, 2025, 06:10 IST
Project Kusha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के मौके पर ऐतिहासिक लाल किला से देसी नेशनल एयर डिफेंस सिस्टम 'सुदर्शन चक्र मिशन' लॉन्च करने की घोषणा की थी. अब इस दिशा में लगातार काम किया जा रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद एयर डिफेंस के मजबूत करने के लिए एक साथ कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
Project Kusha: प्रोजेक्ट कुश के तहत भारत रूसी S-500 एयर डिफेंस सिस्टम की तर्ज पर देसी वायु सुरक्षा प्रणाली विकसित की है. (फाइल फोटो/PTI)Project Kusha: मॉडर्न वॉरफेयर में एरियल अटैक या हवाई हमले आम हो चुके हैं. दुश्मन देश की जमीन पर जाकर उसे पटखनी देने की परंपरागत युद्ध शैली में काफी बदलाव आ चुका है. आर्मी यानी पैदल सेना की जगह अब फाइटर जेट और ड्रोन की अहमियत बढ़ गई है. इजरायल-ईरान और रूस-यूक्रेन युद्ध इसका ताजा उदाहरण है. ऑपरेशन सिंदूर में भी भारत पड़ोसी देश पाकिस्ता की जमीनी सीमा में घुसे बगैर ही दुश्मन को धूल चटा दी. आसमान से ही ऐसी चोट दी गई कि पाकिस्तान चारों खाने चित्त हो गया और संघर्ष विराम की गुहार लगाने लगा था. एरियल थ्रेट को देखते हुए भारत ने अपने स्पेस को अभेद्य किला बनाने की तैयारी पूरी मजबूती के साथ शुरू कर दी है. यही वजह है कि किसी भी तरह के हवाई हमले को न्यूट्रलाइज करने के लिए रूस से एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की खेप इंपोर्ट की गई है. हजारों करोड़ रुपये की डील के तहत अभी S-400 के अतिरिक्तै स्क्वाड्रन भारत आने हैं.S-400 का अगला वर्जन S-500 की खरीद पर भी बातचीत चल रही है. बताया जाता है कि S-500 स्टील्थ यानी पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को भी हवा में ही मार गिराने में सक्षम है. इसके अलावा हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी इसकी रेंज से बाहर नहीं होंगी. इसके साथ ही भारत ने देसी एयर डिफेंस सिस्टम डेवलप करने का काम भी शुरू कर चुका है. प्रोजेक्ट कुश (Project Kusha) उसी का एक अहम पड़ाव है. याद रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐतिहासिक लाल किला की प्राचीर से सुदर्शन चक्र मिशन (Sudarshan Chakra Mission) लॉन्च करने का ऐलान किया था. यह नेशनल एयर डिफेंस सिस्टम प्रोजेक्ट है, जिससे देश के किसी भी हिस्से को हवाई हमले से सुरक्षित किया जा सकेगा.
देसी एयर डिफेंस सिस्टम प्रोजेक्ट कुश में एयरफोर्स के साथ ही नेवी और आर्मी ने भी दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है. भारतीय वायुसेना की अगुवाई में शुरू हुआ प्रोजेक्ट कुश अब तीनों सेनाओं (वायुसेना, नौसेना और थलसेना) का एक बड़ा ज्वाइंट एयर डिफेंस कार्यक्रम बनता जा रहा है. रूस के S-500 जैसा यह स्वदेशी लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM) सिस्टम आने वाले वर्षों में देश की हवाई सुरक्षा को नई ताकत देगा. ‘इंडिया डिफेंस रिसर्च विंग’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने प्रोजेक्ट कुश की 5 स्क्वाड्रन को बेड़े में शामिल करने का फैसला किया है जो पहले से मौजूद S-400 रेजिमेंट्स का सपोर्ट करेंगी. हर स्क्वाड्रन में 8–10 लॉन्चर, आधुनिक रडार और 200 से अधिक इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी. यह सिस्टम 360 डिग्री कवरेज के साथ 350 किलोमीटर तक के हवाई खतरे को नष्ट करने में सक्षम होगा.
तीन तरह की इंटरसेप्टर मिसाइल्स
M1: 150 किमी रेंज M2: 250 किमी रेंज M3: 350 किमी रेंजहाइपरसोनिक मिसाइलें भी होंगी बेकार
नौसेना ने अपने युद्धपोतों के लिए कुशा के M2 वेरिएंट को अपनाने का फैसला किया है. इसे डेस्ट्रॉयर और फ्रिगेट जहाजों के वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) के लिए खास तौर पर तैयार किया जा रहा है. यह मिसाइल समुद्र के ऊपर बेहद तेज रफ्तार से आने वाली एंटी-शिप और हाइपरसॉनिक मिसाइलों को भी रोक सकेगी. इंडियन आर्मी ने अभी अंतिम कॉन्फिग्रेशन तय नहीं किया है, लेकिन वह भी इस प्रोजेक्ट में शामिल होने की दिशा में बढ़ रही है. सेना 250 किमी रेंज वाले M2 वेरिएंट को मोबाइल बैटरी के रूप में लेना चाहती है, ताकि सीमा के पास स्थित गोला-बारूद डिपो और अहम सैन्य ठिकानों को बेहतर सुरक्षा मिल सके.
Project Kusha: प्रोजेक्ट कुश के तहत इंटरसेप्टर मिसाइल्स की तीन वेरिएंट डेवलप की जानी हैं. (फाइल फोटो/PTI)
तीन तरह की मिसाइलें, 21,700 करोड़ की मंजूरी
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 2022 में 21,700 करोड़ रुपए में कुश प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी. इसमें तीन प्रमुख इंटरसेप्टर शामिल हैं. M1 मिसाइल के परीक्षण 2025 के अंत में शुरू होंगे और 2028 तक इसे पूरी तरह ऑपरेशनल बनाने का लक्ष्य है. वायुसेना का कहना है कि यह सिस्टम चीन के J-20 फाइटर जेट और पाकिस्तान के लंबी दूरी के हथियारों के खतरे से निपटने में बेहद मददगार साबित होगा. BDL में साझा उत्पादन के कारण तीनों सेनाओं के लिए इंटरसेप्टर और सिस्टम की लागत 20–25% तक कम हो सकती है. प्रोजेक्ट में 70% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा.
तीनों सेनाओं के नेटवर्क को जोड़ा जाएगा
प्रोजेक्ट कुश को सफल बनाने के लिए सेना के ‘आकाशतीर’, वायुसेना के IACCS और नौसेना के IMAC जैसे कमांड नेटवर्क को आपस में जोड़ा जाएगा, ताकि खतरे की जानकारी हर सेवा को तुरंत मिल सके. हाइपरसोनिक मिसाइल, स्टील्थ एयरक्राफ्ट और ड्रोन स्वार्म जैसे आधुनिक खतरों को देखते हुए कुशा प्रोजेक्ट भारत के लिए एक लंबी दूरी की मजबूत और संयुक्त एयर डिफेंस लाइन तैयार करेगा.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 27, 2025, 06:10 IST

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