35 की उम्र में थम गई जिंदगी! I Want To Die But I Want To Eat Tteokbokki से बनाई थी दुनिया में पहचान

17 hours ago

दक्षिण कोरिया की मशहूर लेखिका Baek Se-hee का 35 साल की उम्र में निधन हो गया है. वो अपनी बेहद ही चर्चित किताब I Want To Die But I Want To Eat Tteokbokki के लिए जानी जाती थी. उन्हें खास कर Gen Z के बीच बेहद पसंद किया जाता है. इस किताब ने उनकी एक अलग ही पहचान बना दी थी. ये किताब उनकी जिंदगी और मेंटल हेल्थ से जुड़ी जद्दोजहद को बयां करती है. उनकी सच्ची और संवेदनशील लेखन शैली ने उन्हें अपनी लेखव के करियर में कामयाबी दिलाई थी.

Baek Se-hee की इस किताब की सबसे चर्चित लाइन है “The human heart, even when it wants to die, quite often wants at the same time to eat some tteokbokki, too” जिसे सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है.

ऑर्गन डोनेशन
Baek Se-hee की मौत के कारण का अब तक पता नहीं लग पाया है पर कोरियन ऑर्गन डोनेशन एजेंसी ने बताया कि उन्होंने अपने दिल, फेफड़े, लिवर और किडनी दान किए थे. इन अंगों की मदद से पांच लोगों की जान बचाई जा सकती है. उनकी बहन ने एक बयान में कहा कि बैक हमेशा चाहती थीं कि वो अपने काम के जरिए लोगों तक अपनी भावनाएं पहुंचाएं और उनमें जिंदगी से लड़ने की उम्मीद जगा सकें.

किताब
2018 में आई उनकी किताब I Want To Die But I Want To Eat Tteokbokki ने मेंटल हेल्थ से जुड़े मुद्दों को एक नई दिशा दी थी. दरअसल उनकी ये किताब उनके और उनके साइकेट्रिस्ट यानी की मनोचिकित्सक के बीच हुई बातचीत पर आधारित थी. इसमें उन्होंने बताया कि कैसे डिप्रेशन के बीच भी इंसान को छोटी-छोटी खुशियों को इग्नेर नहीं करना चाहिए. उनकी इस किताब की सबसे चर्चित लाइन है “The human heart, even when it wants to die, quite often wants at the same time to eat some tteokbokki, too” जिसे सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है.

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किताब का सीक्वल
शुरुआत में ये किताब कोरियन भाषा में आई थी पर इसकी पॉपुलैरिटी के बाद इसे अंग्रेजी में भी प्रकाशित किया गया जिसके बाद इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूम मचा दी. अब तक इस किताब को 25 भाषाओं में पब्लिश किया जा चुका है जिसकी एक मिलियन से ज्यादा कॉपियां बिक चुकी हैं. इस किताब का सीक्वल I Want To Die But I Still Want To Eat Tteokbokki की भी अंग्रेजी कॉपी 2024 में आई थी.

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निजी जिंदगी
Baek Se-hee की जिंदगी काफी उतार-चढ़ाव से होकर गुजरी है. उन्होंने यूनिवर्सिटी में क्रिएटिव राइटिंग की पढ़ाई की थी और पांच साल तक एक पब्लिशिंग हाउस में काम किया था. बैक सी ही काफी लंबे समय तक डिस्टाइमिया से जूझती रहीं थी. डिप्रेशन से जुझ रही Baek Se-hee के इसी अनुभव से उन्हें उनकी किताब I Want To Die But I Want To Eat Tteokbokki लिखने की प्रेरणा दी.

सोशल मीडिया
उनकी मौत की खबर आने के बाद सोशल मीडिया पर शोक संदेशों की बाढ़ आ गई है. बहुत से लोग उनके किताब की फोटो के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं तो कई लोग उनकी फोटो के साथ लिख करें हैं तुम्हारी हर लाइन ने हमें सुकून दिया. बैक सी ही भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके शब्द और उनकी सच्चाई हमेशा उन लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी जो उनकी किताब से खुद को कनेक्ट कर पाए हैं.

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