₹56000 करोड़ की डील मगर SU-57 नहीं, फिर भी चीन से डबल होगी भारत की ताकत

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Last Updated:November 27, 2025, 08:46 IST

S-400 Deal: देश और दुनिया में सामरिक हालात लगातार बदल रहे हैं. भारत भी इससे अछूता नहीं है. 21वीं सदी के वॉरफेयर में एरियल थ्रेट किसी भी देश के लिए सबसे बड़ा संकट और चुनौती है. इसे रूस-यूक्रेन और ईरान-इजरायल के साथ ही ऑपरेशन‍ सिंदूर के दौरान हवाई युद्ध इसकी पुष्टि करते हैं. ऐसे में अपने स्‍पेस को सुरक्षित करना बड़ा चैलेंज है.

₹56000 करोड़ की डील मगर SU-57 नहीं, फिर भी चीन से डबल होगी भारत की ताकतS-400 Deal: भारत अपने एयर डिफेंस सिस्‍टम को मजबूत करने के लिए रूस से S-400 की 5 अतिरिक्‍त यूनिट खरीदने की तैयारी कर रहा है. (फाइल फोटो/AP)

S-400 Deal: भारत किसी भी तरह के एरियल थ्रेट या हवाई हमले को न्‍यूट्रलाइज करने और अपने स्‍पेस को अभेद्य क‍िला बनाने की कोशिश में जुटा है. देसी टेक्‍नोलॉजी से डेवलप एयर डिफेंस सिस्‍टम के साथ ही रूस से अल्‍ट्रा मॉडर्न वायु रक्षा प्रणाली की खरीद भी की गई है. भारत ने रूस के साथ S-400 एयर डिफेंस सिस्‍टम की पांच स्‍क्‍वाड्रन की खरीद को लेकर साल 2018 में 5 बिलियन डॉलर से ज्‍यादा का करार किया था. इनमें से तीन यूनिट मुहैया करा दी गई है. रूस का कहना है कि नवंबर 2026 तक बाकी की दो स्‍क्‍वाड्रन की आपूर्ति भी कर दी जाएगी. बताते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते S-400 की सप्‍लाई में बाधा आई है. अब इस मॉडर्न एयर डिफेंस सिस्‍टम को लेकर नई बात सामने आ रही है. भारत रूस से S-400 की 5 स्‍क्‍वाड्रन और खरीदने की योजना बना रहा है. राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन 5 दिसंबर 2025 को भारत की यात्रा पर आने वाले हैं. यहां उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होनी है. इस दौरान दोनों देशों के बीच S-400 की अतिरिक्‍त यूनिट की खरीद को लेकर करार होने की उम्‍मीद है. बता दें कि मौजूदा एक्‍सचेंज रेट के अनुसार, S-400 के एक स्‍क्‍वाड्रन की कीमत तकरीबन 1.25 बिलियन डॉलर (₹11149 करोड़) है, ऐसे में 5 S-400 पर भारत को तकरीबन ₹56000 करोड़ खर्च करने पड़ेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 5 दिसंबर को होने वाली शिखर बैठक में भारत 5 और S-400 एयर डिफेंस स्क्वाड्रन खरीदने का मुद्दा उठाएगा. साथ ही पहले से मौजूद S-400 सिस्टम्स के लिए बड़ी संख्या में मिसाइलें खरीदने पर भी चर्चा होगी. ये वही सिस्टम हैं, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन किया था. हालांकि, भारत अभी तक रूस के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान Su-57 की 2–3 स्क्वाड्रन खरीदने पर निर्णय नहीं ले पाया है. रूस इन विमानों को अमेरिकी F-35 के मुकाबले पर जोर देकर पेश कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना को 2035 तक स्वदेशी स्टील्थ फाइटर AMCA के आने तक एक अस्थायी विकल्प के तौर पर 5th-gen लड़ाकू विमान चाहिए, लेकिन किसी भी विमान पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है. बता दें कि चीन के पास फिलहाल S-400 के 6 स्‍क्‍वाड्रन है. भारत के पास अब कुल मिलाकर S-400 के 10 स्‍क्‍वाड्रन हो जाएंगे.

व्‍लादिमीर पुतिन की प्रस्‍तावित भारत यात्रा के दौरान भारत-रूस के बीच बड़ा रक्षा करार होने की संभावना है. (फाइल फोटो/AP)

S-400 इतना अहम क्‍यों?

रूस ने भरोसा दिलाया है कि 2018 में लिए गए कुल 5 S-400 स्क्वाड्रनों में से बाकी 2 स्क्वाड्रन नवंबर 2026 तक भारत को मिल जाएंगे. यूक्रेन युद्ध की वजह से इसमें देरी हुई थी. रक्षा मंत्रालय ने करीब 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त S-400 मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी दी है. पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान इन मिसाइलों का इस्‍तेमाल किया गया था. ऐसे में उसका रिजर्व बनाना जरूरी हो गया है. ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, वायुसेना ने 5 और S-400 स्क्वाड्रन की जरूरत बताई है. रूस भारत में इन सिस्टम्स के लिए MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल) सुविधा भी स्थापित करेगा. IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने हाल ही में बताया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 ने 314 किमी की दूरी पर “अब तक की सबसे लंबी मारक क्षमता” दिखाते हुए पाकिस्तान के कम से कम 5 हाई-टेक लड़ाकू विमानों (F-16 और JF-17 श्रेणी) को मार गिराया.

अमेरिका और रूस के बीच कैसे बनेगा संतुलन?

डोनाल्‍ड ट्रंप जबसे अमेरिका के राष्‍ट्रपति बने हैं, काफी कड़े फैसले लेने शुरू कर दएि हैं. खासकर ट्रेड फ्रंट पर. कई देशों पर ट्रंप सरकार की मार पड़ी है और भारत भी इससे अछूता नहीं है. ऐसे में भारत के लिए यह काफी जरूरी हो गया है कि वे द्विपक्षीय व्‍यापार के लेवल पर दोनों महाशक्तियों के बीच संतुलन कैसे बनाए? अब भारत मित्र देश रूस के साथ अपने पारंपरिक रक्षा संबंधों और अमेरिका के साथ बढ़ते सहयोग के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है. पिछले 15 साल में अमेरिका भारत को 26 अरब डॉलर से ज्यादा के सैन्य उपकरण बेच चुका है. हाल ही में 113 GE-F404 इंजनों के लिए 8,900 करोड़ रुपये का सौदा हुआ है. इसके अलावा CCS (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्‍योरिटी) ने नेवी के लिए खरीदे गए 24 MH-60R हेलिकॉप्टरों के लिए 7,000 करोड़ रुपये के सपोर्ट पैकेज को मंजूरी दी है.

क्‍या है 63000 करोड़ रुपये वाला डिफेंस पैकेज?

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) जल्द ही 84 Su-30MKI लड़ाकू विमानों के लगभग 63,000 करोड़ रुपये के अपग्रेडेशन को मंजूरी देने वाली है. इन विमानों में नए रडार, आधुनिक एवियोनिक्स, लंबी दूरी के हथियार और मल्टी-सेंसर सिस्टम लगाए जाएंगे, जिससे वे आने वाले 30 साल तक उपयोगी बने रहेंगे. अपग्रेड भारत में ही होगा, लेकिन रूस भी इसमें सहयोग करेगा.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 27, 2025, 08:41 IST

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