Last Updated:August 23, 2025, 07:28 IST
Gujarat Earthquake News: गुजरात के कच्छ जिले में एक के बाद एक भूकंप के दो झटके महसूस किए गए. इन झटकों ने वहां लोगों का दिल दहला दिया. कच्छ की धरती लगातार ही भूकंप के झटके झेलता रही है. आखिर इसकी वजह क्या है? चल...और पढ़ें

गुजरात के कच्छ जिले में गुरुवार देर रात भूकंप के लगातार दो झटकों ने लोगों को हिला कर रखा दिया. राहत की बात यह रही कि इन झटकों से किसी तरह की जनहानि या बड़े पैमाने पर नुकसान की खबर नहीं है.
भूकंप विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ISR) के अनुसार, पहला झटका रात 10 बजकर 12 मिनट पर आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 मापी गई. इस भूकंप का केंद्र भुज से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में भचाऊ के पास स्थित था. इसके सात मिनट बाद रात 10 बजकर 19 मिनट पर दूसरा भूकंप आया. इसकी तीव्रता 2.7 रही और केंद्र रापर से 19 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में दर्ज किया गया. उधर राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया इन झटकों से न तो किसी की जान गई और न ही किसी ढांचे को नुकसान पहुंचा.
क्यों बार-बार डोलती है कच्छ की धरती?
वैसे कच्छ क्षेत्र में भूकंप आना कोई नई बात नहीं है. यह इलाका पश्चिम भारत के सबसे भूकंप-संवेदनशील क्षेत्रों में गिना जाता है. भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर के कारण यहां करोड़ों साल पहले बने प्राचीन दरार वाले फॉल्ट्स बार-बार सक्रिय हो जाते हैं. यही वजह है कि कच्छ लगातार ही भूकंप के झटके झेलता रहा है.
कच्छ का भूगर्भीय ढांचा जटिल रिफ्ट बेसिन सिस्टम पर आधारित है. यहां प्रमुख फॉल्ट लाइंस में कच्छ मेनलैंड फॉल्ट (KMF) और कट्रोल हिल फॉल्ट (KHF) शामिल हैं. इस क्षेत्र को उत्तर में नगरपारकर फॉल्ट, पूर्व में राधनपुर-बारमेर आर्क और दक्षिण में नॉर्थ काठियावाड़ फॉल्ट हैं, जबकि पश्चिम की ओर यह बेसिन अरब सागर से खुला हुआ है.
भुज का भूकंप आज भी याद
इससे साल 2001 में भुज में भीषण भूकंप आया था, जिसमें 20,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी. उस समय यह झटका चोबारी गांव के पास आया था. ऐसे भूकंप सामान्य टेक्टोनिक सीमाओं पर आने वाले भूकंपों से अलग माने जाते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार प्राकृतिक कारणों के अलावा मानवीय गतिविधियां भी झटकों को बढ़ावा देती हैं. भूमि उपयोग में बदलाव, भूजल का अंधाधुंध दोहन और भारी बारिश से सतह पर बढ़ता भार पहले से मौजूद फॉल्ट्स पर दबाव डालता है, जिससे हल्के भूकंप आते रहते हैं.
हालांकि इस बार आए दोनों झटके हल्के थे और नुकसानदेह साबित नहीं हुए, लेकिन वैज्ञानिक लगातार मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन और भूकंपरोधी बुनियादी ढांचे पर जोर देते हैं. उनका कहना है कि भूकंप से पूरी तरह बचना संभव नहीं, लेकिन बेहतर तैयारी से इसके खतरे को कम जरूर किया जा सकता है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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Location :
Ahmadabad,Ahmadabad,Gujarat
First Published :
August 23, 2025, 07:27 IST