Last Updated:August 08, 2025, 06:33 IST
DRDO Stealth Jet Detection Radar: मॉडर्न वॉर में एयरफोर्स की भूमिका काफी अहम हो गई है. टारगेट पर एयर स्ट्राइक करने के लिए कटिंग एज फाइटर जेट का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को गच्चा...और पढ़ें

DRDO Stealth Jet Detection Radar: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत लगातार अपने सैन्य बलों को मजबूत कर रहा है. खासकर एयर डिफेंस सिस्टम को दुरुस्त करने में हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. किसी भी तरह के हवाई हमले को रोकने के लिए भारत ने रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खीरदा है. S-400 का अतिरिक्त स्क्वाड्रन भी जल्द ही भारत को मिलने वाला है. इसको लेकर हाइएस्ट लेवल पर बातचीत भी चल रही है. पाकिस्तान के साथ टकराव के दौरान S-400 ने अपनी उपयोगिता साबित की थी. साथ ही दुनिया ने इसकी ताकत भी देखी थी. अब दुनिया के तमाम देश स्टील्थ यानी 5th जेनरेशन का फाइटर जेट हासिल करने में जुटा है, ताकि रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर मिशन को अंजाम दिया जा सके. मौजूदा हालात को देखते हुए भारत ने पहले ही ऐसी टेक्नोलॉजी डेवलप करने में जुट गया था, जिससे स्टील्थ जेट को भी डिटेक्ट और इंटरसेप्ट किया जा सके. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने इस दिशा में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. DRDO ने ऐसा रडार सिस्टम डेवलप किया है, जिससे B-2 स्पिरिट, F-35, Su-57, J-35 जैसे स्टील्थ फाइटर जेट का पता लगाना संभव हो सकेगा. मॉडर्न एयर डिफेंस सिस्टम के लिहाज से यह गेमचेंजर साबित होगा.
DRDO ने एक ऐतिहासिक तकनीकी उपलब्धि हासिल करते हुए देश का पहला स्वदेशी फोटोनिक रडार सिस्टम सफलतापूर्वक विकसित किया है. इसके साथ ही भारत दुनिया का चौथा देश (अमेरिका, चीन और इज़राइल) बन गया है, जिसके पास अत्याधुनिक स्टील्थ डिटेक्शन टेक्नोलॉजी है. अब पांचवीं पीढ़ी के विमान का समय रहते पता लगाकर उसे हवा में ही तबाह किया जाना संभव हो सकेगा. यह उपलब्धि आधुनिक युद्धक तकनीक में एक बड़े बदलाव का संकेत देती है और क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों को नया आकार दे सकती है. ट्रेडिशनल रडार जहां इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट से उत्पन्न रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल पर आधारित होते हैं, वहीं फोटोनिक रडार लेज़र और ऑप्टिकल कंपोनेंट्स का उपयोग करके सिग्नल का निर्माण, प्रोसेसिंग और विश्लेषण करता है. DRDO के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (LRDE-बेंगलुरु) द्वारा तैयार इस रडार का बैंडविड्थ 11 GHz (34 GHz सेंटर फ्रीक्वेंसी) है, जबकि इसके इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल 40–80 MHz पर काम करते हैं. यह न केवल सिस्टम आर्किटेक्चर को सरल बनाता है, बल्कि लागत भी कम करता है. यह रडार 1.3 सेंटीमीटर तक की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग क्षमता रखता है और 3×4 सेंटीमीटर के छोटे से छोटे ऑब्जेक्ट को भी पकड़ सकता है.
स्टील्थ एयरक्राफ्ट की पहचान में गेमचेंजर
‘इंडियन डिफेंस न्यूज’ की रिपेार्ट के अनुसार, फोटोनिक रडार का सबसे बड़ा लाभ इसकी स्टील्थ एयरक्राफ्ट डिटेक्शन क्षमता है. पारंपरिक रडार से बच निकलने के लिए डिजाइन किए गए विमान जैसे अमेरिकी F-35, B-2 स्पिरिट, चीन का J-20 और रूस का Su-57—अपने रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) को बेहद कम रखते हैं. उदाहरण के तौर पर F-35 का RCS महज 0.0015 वर्ग मीटर है. फोटोनिक रडार ऑप्टिकल फ्रीक्वेंसी पर काम करने के कारण इन स्टील्थ डिजाइनों से कम प्रभावित होता है और फोटोनिक इंटीग्रेटेड सर्किट (PICs) के जरिये तेज़ और कम एनर्जी लॉस वाले सिग्नल प्रोसेसिंग से हाई सिग्नल-टू-नॉइज़ रेशियो हासिल करता है.
इसे जाम करना लगभग नामुमकिन
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में पारंपरिक रडार को जाम करने के लिए किया जाने वाला अटैक जाम है. हालांकि, फोटोनिक रडार ऑप्टिकल फ्रीक्वेंसी पर चलने के कारण इन्हें झेलने में कहीं अधिक सक्षम है. यह फ्रीक्वेंसी हॉपिंग तकनीक के जरिए लगातार ऑपरेटिंग फ्रीक्वेंसी बदल सकता है, जिससे दुश्मन के लिए इसे जाम या बाधित करना बेहद मुश्किल हो जाता है. साथ ही यह कम गर्मी उत्पन्न करता है, जिससे इसका थर्मल सिग्नेचर भी न्यूनतम रहता है. यह तकनीक भारत की वायु रक्षा क्षमता को नई ऊंचाई देती है. खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के उन्नत सैन्य प्लेटफॉर्म पर निगरानी और जवाबी कार्रवाई में यह ज्यादा कारगर साबित होगा. चीन के J-20 लड़ाकू विमान और उन्नत ड्रोन जैसी चुनौतियों के बीच फोटोनिक रडार भारत को संतुलन बनाने में मदद कर सकता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 08, 2025, 06:33 IST