B.Tech करते-करते माओवादी बन गया था बसवराजु, बैठे-बैठे बना देता था रॉकेट लॉन्चर

4 hours ago

Last Updated:May 22, 2025, 07:11 IST

Maoist Leader Basavaraju Killed : छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने माओवादी नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजु को मुठभेड़ में मार गिराया. बसवराजु पर 1.5 करोड़ का इनाम था और वह माओवादी आंदोलन का प्रमुख नेता था.

B.Tech करते-करते माओवादी बन गया था बसवराजु, बैठे-बैठे बना देता था रॉकेट लॉन्चर

बसवराजु के मारे जाने की खबर से माओवादी आंदोलन के समर्थकों को झटका लगा है.

हाइलाइट्स

बसवराजु की मौत से माओवादी आंदोलन को झटका.सुरक्षा बलों ने बसवराजु को मुठभेड़ में मारा.बसवराजु पर 1.5 करोड़ का इनाम था.

छत्तीसगढ़ के बीहड़ों में बुधवार 21 मई को सुरक्षा बलों को माओवादियों के खिलाफ एक बड़ी सफलता हाथ लगी. सुरक्षाबलों ने यहां प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजु को एक मुठभेड़ में मार गिराया. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और जिला रिजर्व गार्ड (DRG) की संयुक्त कार्रवाई में इस कुख्यात नेता का खात्मा हुआ. यह हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है.

बसवराजु के मारे जाने की खबर से माओवादी आंदोलन के समर्थकों को झटका लगा है. बीटेक की पढ़ाई के बाद 1980 में वारंगल के क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज (अब NIT) से निकलकर आंदोलन से जुड़े बसवराजु लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ से बाहर रहा. पहले भी कई बार मुठभेड़ों में उसके मारे जाने की खबरें सामने आई थीं, लेकिन हर बार वह बच निकलता था.

डेढ़ करोड़ का था इनाम

द हिन्दू में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल बसवराजु पर लगभग 1.5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. 10 नवंबर 2018 को मुप्पला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति के स्थान पर उसे संगठन का महासचिव बनाया गया था. इससे पहले वह पार्टी की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) का प्रमुख था, जो माओवादियों की लड़ाकू इकाई मानी जाती है.

बसवराजु के बारे में सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वे गुरिल्ला वार में एक्सपर्ट था और लिट्टे (LTTE) से जंगल युद्ध, सैन्य रणनीति और विस्फोटकों के उपयोग की ट्रेनिंग ली थी. उन्होंने माओवादियों को कंधे पर दागे जाने वाले रॉकेट लॉन्चर बनाना भी सिखाया था, हालांकि तकनीकी खामियों के कारण वे सफल नहीं हो पाए.

CPRF कैंप और झीरम घाटी अटैक में भी हाथ

उसने कई बड़ी हिंसक घटनाओं का नेतृत्व किया, जिनमें वर्ष 2010 में दंतेवाड़ा में CRPF कैंप पर हमला (जिसमें 76 जवान मारे गए), झीरम घाटी हमला (जिसमें कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा समेत 27 लोग मारे गए), और 2018 में आंध्र प्रदेश के अराकू घाटी के पास टीडीपी विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक सिवेरी सोमा की हत्या शामिल हैं.

छह फुट लंबा बसवराजु हमेशा एक 9mm पिस्टल, एक AK-47 और संचार उपकरण साथ लेकर चलता था. पूर्व माओवादी सदस्यों के अनुसार, वह पूरी तरह ‘मैन ऑफ एक्शन’ था.

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बसवराजु को सबसे पहले 1979 में पहली बार गिरफ्तार किया. तब वारंगल के आरईसी में रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन और आरएसएस सदस्यों के बीच संघर्ष के दौरान एक छात्र की मौत हुई थी. हालांकि तब उसे सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया गया था. आंध्र प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एचजे डोरा के अनुसार, बसवराजु 1980 के दशक की शुरुआत में विशाखापट्टनम में अयप्पा दीक्षा लेने वाले भक्त के वेश में पकड़ा गया था, लेकिन वहां से भी भाग निकला.

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते-करते बन गया माओवादी

10 जुलाई 1955 को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेट गांव में जन्मे बसवराजु इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा की ओर आकर्षित हुआ था. 1980 में उसने कोण्डापल्ली सीतारमैया के नेतृत्व वाले सीपीआई (एमएल) पीपुल्स वार ग्रुप (PWG) में शामिल हो गया. उसने आरएसयू (रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन) में भी हिस्सा लिया, जो अब प्रतिबंधित है.

विशाखापट्टनम और ईस्ट गोदावरी जिले में 1980 से 1987 तक वह विभिन्न भूमिकाओं में सक्रिय रहा. बाद में उसे सेंट्रल कमेटी में जगह मिली और 2004 में पीपुल्स वार और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (MCC) के विलय के बाद बनी सीपीआई (माओवादी) में उसकी भूमिका अहम रही. उसने ‘रेड कॉरिडोर’ और ‘जनताना सरकार’ की योजना को रणनीतिक रूप दिया.

2001 में वह पार्टी की पोलितब्यूरो का सदस्य बना और CMC के प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली. उसकी मौत की खबर मिलने के बाद उनके पैतृक गांव जियन्नापेट में सन्नाटा पसरा है. उसके पार्थिव शरीर को गांव लाया जाएगा या नहीं, इस पर अभी परिवार को भी स्पष्ट जानकारी नहीं है.

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Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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