Bihar Chunav: वो 3 बातें ज‍िसकी वजह से बिहार में SIR पर नहीं लगी रोक

8 hours ago

Last Updated:July 10, 2025, 16:15 IST

बिहार चुनाव वोटर ल‍िस्‍ट पर सुनवाई लेटेस्‍ट न्‍यूज: बिहार में स्‍पेशल वोटर ल‍िस्‍ट र‍िवीजन पर रोक न लगाने की तीन वजह बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर द‍िया क‍ि चुनाव आयोग ही वोटर वेर‍िफ‍िकेशन करेगा. हालांकि, क...और पढ़ें

 वो 3 बातें ज‍िसकी वजह से बिहार में SIR पर नहीं लगी रोक

बिहार चुनाव में वोटर ल‍िस्‍ट र‍िवीजन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला.

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में वोटर ल‍िस्‍ट र‍िवीजन पर रोक लगाने से इनकार क‍िया.चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का सुझाव आधार कार्ड को भी आईडी प्रूफ मानेंराहुल गांधी, तेजस्‍वी यादव समेत सभी विपक्षी नेता यही मांग कर रहे थे.

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार चुनावों से पहले स्‍पेशल वोटर ल‍िस्‍ट र‍िवीजन (Special Intensive Revision – SIR) करने पर रोक लगाने से फ‍िलहाल इनकार कर द‍िया. चुनाव आयोग को राहत देते हुए सर्वोच्‍च अदालत ने वो तीन बातें बताईं,‍ जिनकी वजह से वोटर ल‍िस्‍ट रिवीजन पर रोक नहीं लगाई जा सकती. मगर फैसले कुछ ऐसा है, जिससे राहुल गांधी, तेजस्‍वी यादव भी खुश होंगे. क्‍योंक‍ि उनकी जो डिमांड थी, अदालत ने उस पर गौर करते हुए चुनाव आयोग से उसे शामिल करने को कहा है.

तो आखिर वो कौन सी 3 बातें थीं, जिनकी वजह से वोटर लिस्ट रिवीजन पर रोक नहीं लगी?

1. चुनाव आयोग के पास वोटर ल‍िस्‍ट बनाने का संवैधानिक हक
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर द‍िया कि चुनाव आयोग को वोटर ल‍िस्‍ट र‍िवीजन का पूरा अध‍िकार है. कोर्ट ने माना कि इस प्रक्रिया का मकसद सही वोटर ल‍िस्‍ट बनाना. नागरिकता, उम्र और पहचान की पुष्टि करना है. यही चुनाव आयोग की मूल और संवैधान‍िक ज‍िम्‍मेदारी है. कोर्ट ने यह भी माना क‍ि इससे पहले 2003 में ऐसा र‍िवीजन हुआ था, इसलिए अब इसे दोहराया जाना जरूरी है.

2. समय की कमी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया कि बिहार में विधानसभा चुनाव नवंबर में होने वाले हैं, और उस लिहाज से अब वोटर लिस्ट रिवीजन पर रोक लगाने से पूरी चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है. कोर्ट ने कहा कि समय बेहद कम है, ऐसे में चुनाव आयोग को अभी काम करने दिया जाए. मामले की विस्तृत सुनवाई 28 जुलाई को होगी.

3. अंतर‍िम आदेश की मांग नहीं
याचिकाकर्ताओं ने शुरू में तो इस पूरी प्र‍क्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन बाद में उन्होंने खुद कह द‍िया कि वे इस स्टेज पर स्टे नहीं चाहते, बल्कि चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं और दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर कोर्ट से स्पष्टता चाहते हैं. इस वजह से कोर्ट ने इस स्टेज पर कोई स्टे नहीं लगाया और प्रक्रिया को आगे बढ़ने की अनुमति दी.

लेकिन फैसले में विपक्ष को क्यों मिली राहत?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह स्पष्ट रूप से कहा कि वह आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को पहचान के वैध दस्तावेजों के रूप में स्वीकार करने पर विचार करे. यही मांग तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, और विपक्ष के अन्य नेताओं की ओर से लंबे समय से की जाती रही है कि जनता के पास जो भी सुलभ दस्तावेज हों, उन्हें स्वीकार किया जाए ताकि कोई नागरिक छूट न जाए.

क्‍या आधार से होगा वेरीफ‍िकेशन?
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने चुनाव आयोग से पूछा कि जब आधार कार्ड इतने सारे दूसरे सरकारी दस्तावेजों के लिए स्वीकार किया जाता है जैसे जाति प्रमाण पत्र, राशन, स्कॉलरशिप तो वोटर लिस्ट में पहचान के लिए इसे क्यों न माना जाए? हालांकि, ECI की ओर से तर्क दिया गया कि आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार अधिनियम को बाकी कानूनों से अलग नहीं देखा जा सकता, और यह मुद्दा आगे विस्तृत सुनवाई में साफ किया जाएगा.

फैसले के मायने समझ‍िए
कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि अगर वह इन दस्तावेजों को पहचान के प्रमाण के रूप में शामिल नहीं करता, तो उसे इसके स्पष्ट कारण बताने होंगे. अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी, जहां इस मामले पर विस्तृत बहस होगी. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक तरफ जहां चुनाव आयोग की प्रक्रिया को वैध ठहराता है, वहीं दूसरी ओर आधार, राशन कार्ड जैसे आम लोगों के दस्तावेजों को भी महत्व देने की बात करता है, जिससे कोई भी पात्र नागरिक सूची से बाहर न हो. यही वजह है कि यह फैसला तकनीकी रूप से भले ही ECI के पक्ष में गया हो, लेकिन राजनीतिक रूप से तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेताओं की भी जीत मानी जा सकती है.

Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

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