WHo is Celinda Sosa Lunda: भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर (S Jaishankar) ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया हैंडल से सेलिंडा सोसा लुंडा को थैंक्यू बोला. तो अचानक ही ये नाम सुर्खियों में आ गया. लोग ये जानने की कोशिश करने लगे कि आखिर ये कौन हैं? हैरानी इस बात पर भी थी क्योंकि यूं तो दुनिया के कई देश जरूरत पड़ने पर भारत से मदद की गुहार लगाते हैं. जैसे कुछ समय पहले समुद्री लुटेरों ने विदेशी जहाज लूटने की कोशिश की तो भारतीय नौसेना ने मदद की, ऐसी तमाम मानवीय मदद के लिए अक्सर दिल्ली फोन किया जाता है. तब फौरन विदेश मंत्रालय के जरिए कहीं दवाई तो कहीं कुछ और सामान देकर मानवीय सहायता पहुंचाई जाती है. लुंडा कौन हैं कहां के रहने वाले या रहने वाली हैं? आखिर क्या बात है जिन्हें MEA जयशंकर ने खुद थैंक्यू बोला. अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल उठे हों, तो आइए आपकी जिज्ञासा भी शांत करने के लिए पूरी बात आपको विस्तार से बताते हैं.
पहले देखिए जयशंकर का ट्वीट-
Thank you FM @CelindaBolivia.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 16, 2024
कौन है सेलिंडा सोसा लुंडा
सेलिंडा सोसा लुंडा बोलिविया की विदेश मंत्री हैं. इसी साल 19 जनवरी को NAM समिट के दौरान लुंडा ने जयशंकर से मुलाकात की थी. दुनिया के नक्शे पर बोलिविया एक अशांत देश रहा है. हाल ही में बोलिविया अपनी तमाम परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए चीन के बताए रास्ते पर चलने लगा था. चूंकि इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि चीन का कोई भी फैसला आखिर में एंटी इंडिया ही निकलता है, ऐसे में सशक्त भारत की छवि के साथ वैश्विक नक्शे में चलाए जा रहे भारत के विकास कार्यों के बीच बोलिविया का बीजिंग की ओर झुकाव सही नहीं माना जा सकता. ऐसे में जब 15 अगस्त के मौके पर बोलिविया की विदेश मंत्री लुंडा ने भारत को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी तो अपने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी थैंक्यू कह कर उनका आभार जताया.
बोलिविया का इतिहास भी जानिए
इस देश के नाम एक अजीब सा रिकॉर्ड है. रिकॉर्ड ये कि 1950 के बाद पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बार बोलीविया में ही तख़्तापलट की कोशिशें हुई हैं. 2024 में भी सेना ने चुनी हुई सरकार को सत्ता से बाहर धकेलने की कोशिश की. तख़्तापलट की कुछ ऐसी ही कोशिशों के दौरान सैकड़ों सैनिक मिलिट्री टैंको और अन्य बख्तरबंद गाड़ियों के साथ राजधानी की प्रमुख सरकारी दफ्तरों वाले इलाके मुरिलो स्क्वायर पर तैनात हो गए थे. एक मिलिट्री गाड़ी ने तो राष्ट्रपति भवन में दाखिल होने की कोशिश की. हालांकि बाद में सैनिक वापस लौट गए. ऐसे तमाम छोटी-बड़ी चीजों और ऐतिहासिक आर्थिक संकट के बीच बोलीविया ने चीन की ओर रुख किया था.
फिलहाल बोलिविया प्राकृतिक गैस और बिजली की कमी से जूझ रहा है. चीन ऐसे देशों को आसान शिकार की नजर से देखता है और वहां अपनी सैन्य चौकी या थाना बनाने की सोंचने लगता है, ऐसे में बोलिविया का भारत को बधाई देना वैश्विक शांति के लिए एक अच्छा संकेत ही है.