सिक्किम के राजा रहे थोंडुप नामग्याल और महारानी रहीं होप कुक. (फाइल फोटो)
चोग्याल, होप कुक के सामने गिड़गिड़ाने लगे कि मुश्किल वक्त में उन्हें छोड़कर ना जाएं, लेकिन एक न सुनी. 14 अगस्त 1973 को ...अधिक पढ़ें
News18 हिंदीLast Updated : March 27, 2024, 12:55 ISTसिक्किम की महारानी रहीं होप कुक के बारे में कहा जाता है कि वह अमेरिका की जासूस थीं और लंबे वक्त तक सिक्किम का भारत में विलय नहीं होने दिया. उनके भारत में आने, महारानी बनने और अचानक अमेरिका लौट जाने की कहानी बड़ी रहस्यम है.
कैसे हुई थी युवराज से मुलाकात?
सिक्किम के युवराज पाल्डेन थोंडुप नामग्याल (Palden Thondup Namgyal) की होप कुक (Hope Cooke) से पहली मुलाकात की कहानी भी दिलचस्प है. साल 1959 में वह छुट्टियां मनाने भारत आईं और सिक्किम घूमने गईं. यहां विंडामेयर होटल में रुकीं, जो उस वक्त रईस लोगों का ठिकाना हुआ करता था. युवराज थोंडुप भी यहां रेगुलर आया करते थे. उस समय होप कुक की सिर्फ 19 साल थी, जबकि युवराज की उम्र 36 साल. उनकी पत्नी का देहांत हो चुका था और तीन बच्चों के पिता थे.
पहली नजर में मर मिटे थे युवराज
युवराज पाल्डेन थोंडुप नामग्याल ने जब होटल में पहली हार होप कुक को देखा तो उनपर फिदा हो गए. दोनों की बातचीत हुई और करीब आए. हालांकि कुक, ज्यादा दिन सिक्किम में नहीं रुकीं और वापस अमेरिका लौट गईं. दो साल बाद साल 1961 में वह दोबारा भारत आईं और इस बार फिर दार्जिलिंग के उसी होटल में रुकीं, जहां युवराज से मिली थीं. इस बार भी उनकी युवराज से मुलाकात हुई. युवराज ने कुक के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया और वह तैयार हो गईं.
होप कुक के पिता फ्लाइट इंस्ट्रक्टर हुआ करते थे, जबकि मां पायलट थीं. साल 1942 में मां के निधन के बाद वह न्यूयॉर्क में अपने दादा-दादी के साथ रहने लगीं. कुछ वक्त बाद दादा-दादी भी गुजर गए और कुक, अपने अंकल के साथ रहने लगीं. सारा लॉरेंस कॉलेज में एशियन एस्टडीज में एडमिशन लिया और, पढ़ाई के दौरान भारत ने उन्हें खासा आकर्षित किया.
20 मार्च 1963 को युवराज नामग्याल और होप कुक की शादी हुई. इस शादी में देश-दुनिया की तमाम हस्तियां पहुंचीं. उस वक्त भारत में अमेरिकी राजदूत जॉन केनेथ (John Kenneth Galbraith) भी शादी में शामिल हुए. युवराज से शादी के बाद होप कुक ने अपनी अमेरिकी नागरिकता छोड़ दी.
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अमेरिकी मीडिया ने हाथों-हाथ लिया
सिक्किम के युवराज नामग्याल और होप कुक की शादी की विदेशी मीडिया, खासकर अमेरिका में खूब चर्चा हुई और सुर्खियां बटोरी. 1969 में तो टाइम मैग्जीन ने बाकायदा महारानी पर एक लंबा लेख छापा, जिसमें उनका पूरा रूटीन था. मसलन- महारानी सुबह 8 बजे सो कर उठती थीं, फिर विदेश से आए अखबार और पत्र पत्रिकाएं पढ़ती थीं. खुद महल का मेनू डिसाइड करते थीं. शाम को टेनिस खेलतीं और पार्टियों में जातीं. सोने से पहले स्कॉच पीती थीं. गंगटोक में अक्सर मर्सिडीज़ से चला करती थीं.
कैसे बनीं महारानी?
युवराज की शादी के कुछ वक्त बाद ही उनके पिता और सिक्किम के राजा ताशी नामग्याल (Tashi Namgyal) का निधन हो गया. 4 अप्रैल 1965 को पाल्डेन थोंडुप नामग्याल आधिकारिक तौर पर सिक्किम के चोग्याल यानी राजा नियुक्त हुए और होप कुक, ग्यालमो यानी महारानी बनीं.
अमेरिकी राजदूत क्यों मिलने आते थे?
1965 के आखिर तक सिक्किम में राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण होने लगा था. सिक्किम का एक वर्ग राजशाही से खासा नाराज था और ये लोग शासन में और हस्तक्षेप चाहते थे. तब तक सिक्किम का भारत में शामिल नहीं हुआ था. बीबीसी हिंदी के मुताबिक महारानी बनते ही होप कुक से मिलने वाले विदेशी मेहमानों की संख्या अचानक बढ़ने लगी. अमेरिकी राजदूत से लेकर अमेरिकी कांग्रेस के सीनेटर उनसे मिलने गंगटोक आए. इन मुलाकातों से ऐसा मैसेज गया जैसे भारत, सिक्किम की आजादी के खिलाफ हो. होप कुक, अक्सर भारत पर तंज कसने लगीं.
कहां से आई CIA एजेंट की बात?
इसी दौर में एक हलके में चर्चा शुरू हुई कि होप कुक वास्तव में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की एजेंट हैं. CIA ने उन्हें अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए गंगटोक में प्लांट किया है. कुक, जिस तरीके से भारत विरोध बयान दे रही थीं और सिक्किम को भारत में विलय से दूर रखने के लिए चोग्याल को उकसा रही थीं, उससे इन आरोपों को हवा मिली. 1973 आते-आते सिक्किम के लोग विद्रोह पर उतर आए. राज परिवार के खिलाफ बगावत कर दी.
स्थानीय मीडिया में होप कुक को सिक्किम की तमाम गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाने लगा. अब तक कुक दो बच्चों को जन्म भी दे चुकी थीं. होप कुक अपनी आत्मकथा में लिखती हैं कि उनके खिलाफ तमाम निजी हमले पर उनके पति नामग्याल की जैसी प्रतिक्रिया होनी चाहिए थी, वैसी नहीं थी. इससे दोनों के रिश्ते तल्ख होते गए. दोनों के रिश्ते में इतनी खटास आ गई कि एक दिन कुक ने वापस अमेरिका लौटने का फैसला ले लिया.
महाराजा गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन एक न सुनी
सिक्किम के प्रशासनिक अधिकारी रहे बीडी दास अपने आत्मकथा में लिखते हैं कि चोग्याल, होप कुक के सामने गिड़गिड़ाने लगे कि मुश्किल वक्त में उन्हें छोड़कर ना जाएं, लेकिन उन्होंने एक न सुनी. आखिरकार 14 अगस्त 1973 को कुक सिक्किम छोड़कर वापस अमेरिका लौट गईं. वहां पहुंचते ही चोग्याल से तलाक मांग लिया और दोबारा अमेरिका की नागरिकता ले ली.
बीबीसी हिंदी के मुताबिक होप कुक और चोग्याल के रिश्ते में खटास की एक बड़ी वजह महाराजा की बेवफाई भी थी. महाराजा बेल्जियम की एक शादीशुदा महिला के संपर्क में थे और उससे मिलने बेल्जियम चले भी गए थे. कुक ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह महिला महाराज को पत्र लिखा करती थी. इसके अलावा महाराजा बेतहाशा शराब पीते थे, जो कुक को कतई पसंद नहीं था.
सदमे से चल बसे महाराजा
होप कुक दोबारा न तो कभी सिक्किम लौटीं और न भारत. उनके जाने से चोग्याल को गहरा सदमा लगा, जो उनकी मौत की वजह बना. उनको कैंसर भी हो गया और इलाज के लिए अमेरिका ले जाया गया. 25 जनवरी 1982 को उनका निधन हो गया.
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FIRST PUBLISHED :
March 27, 2024, 12:55 IST