Last Updated:June 08, 2025, 16:28 IST
Bihar Politics: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर पर जेडीयू ने चुनावी साल में बड़ा आरोप लगा दिया है जिसने बिहार की राजनीति को गर्म कर दिया है. आरोप भी ऐसा जिसका जवाब ख़ुद प्रशांत किशोर को देना होगा. इस...और पढ़ें

बिहार सीएम नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर में कभी काफी करीबी थी.
हाइलाइट्स
बिहार की राजनीति में नया विवाद, प्रशांत किशोर पर गंभीर आरोप.जेडीयू ने प्रशांत किशोर पर उपमुख्यमंत्री पद मांगने का आरोप लगाया.प्रशांत किशोर ने जेडीयू से अलग होकर 2023 में जन सुराज पार्टी बनाई.पटना. बिहार की राजनीति में एक नया विवाद उभर कर सामने आया है जिसमें जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के विधान परिषद सदस्य संजय सिंह ने चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर पर गंभीर आरोप लगाए हैं.संजय सिंह ने दावा किया कि जब प्रशांत किशोर जेडीयू में शामिल हुए थे, तब उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उपमुख्यमंत्री पद की मांग की थी जिसे सीएम नीतीश कुमार ने ठुकरा दिया था. इसके बाद प्रशांत किशोर ने धीरे-धीरे पार्टी से दूरी बनाई और बाद में अपनी पार्टी जन सुराज बनाकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी की.
दरअसल, जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पर जेडीयू के एमएलसी संजय सिंह ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि जब प्रशांत किशोर जेडीयू में आए थे तब उन्हें नीतीश कुमार ने बड़ा सम्मान देते हुए पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना सम्मानित किया था. यही नहीं नीतीश कुमार, प्रशांत किशोर की इतनी इज्जत करते थे कि अपने आवास सात नंबर में प्रशांत किशोर को रहने की जगह दी थी. लेकिन, प्रशांत किशोर की नजर तो कहीं और थी और आख़िरकार उन्होंने एक दिन अपनी मंशा नीतीश जी से जाहिर कर दी. लेकिन, उनकी मंशा ऐसी थी जिसको पूरा नहीं किया जा सकता था.
प्रशांत किशोर के नीतीश की ना !
संजय सिंह आगे कहते हैं कि प्रशांत किशोर ने अपनी महत्वाकांक्षा नीतीश जी के सामने रखते हुए कहा कि वो बिहार के डिप्टी सी एम बनना चाहते हैं. उन्हें बिहार के डिप्टी सीएम की कुर्सी चाहिए. इसे नीतीश जी ने नामंजूर कर दिया जो प्रशांत किशोर के लिए किसी झटके से कम नहीं था. इसी घटना के बाद प्रशांत किशोर धीरे-धीरे जेडीयू से दूर होते चले गए और आज अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और नीतीश कुमार जी बारे में अनाप-शनाप बोल रहे हैं. सेहत पर सवाल उठा रहे हैं. संजय सिंह आरोप लगाते हैं कि प्रशांत किशोर व्यापारी हैं जो अपने काले धन को सफेद करने के लिए चुनावी मैदान में पार्टी बनाकर उतरे हुए हैं. लेकिन, बिहार की जनता ने उन्हें उनकी हैसियत उपचुनाव में बड़ा दिया है और आगे अभी और दुर्दशा लिखी हुई है.
जेडीयू में रहने का कोई मतलब नहीं
वहीं, संजय सिंह के आरोप पर प्रशांत किशोर की पार्टी के प्रवक्ता मनोज बैठा कहते हैं कि जेडीयू हताशा में है और उन्हें भी पता है कि बिहार की जनता अब नीतीश कुमार को बर्दाश्त करने वाली नहीं है, क्योंकि जनता को प्रशांत किशोर के रूप में बदलाव करने वाला मिल गया है. रही बात जेडीयू से अलग होने की तो प्रशांत किशोर बिहार को बदलने और विकास के पथ पर आगे ले जाने की मंशा लेकर जेडीयू में शामिल हुए थे, लेकिन नीतीश कुमार को विकास से कोई मतलब नहीं था और इसके बाद प्रशांत किशोर का जेडीयू में रहने का कोई मतलब नहीं था. इसलिए, उन्होंने बिहार के हित में अलग होकर पार्टी बनाई और जनता के बीच में हैं.
आरोप लगाना है लगाएं, लेकिन…
मनोज बैठा कहते हैं कि प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक बनाया है. उन्हें जब मंत्री बनना होता या राज्यसभा जाना होता वो किसी भी पार्टी से बन जाते, लेकिन उनकी यह इच्छा थी ही नहीं था. वो सिर्फ़ बिहार का विकास चाहते हैं. उन ओर जो भी आरोप लगाना है लगाएं, लेकिन बिहार की जनता सब जानती है. बता दें कि प्रशांत किशोर को लोग पीके के नाम से भी जानते हैं. एक प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, और कई क्षेत्रीय पार्टियों के लिए चुनावी रणनीतियां बनाई हैं.
जेडीयू से निष्कासित कर दिया
वर्ष 2018 में उन्होंने जेडीयू ज्वाइन किया और पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए. इस दौरान उन्हें नीतीश कुमार के निवास सात नंबर आवास में रहने की सुविधा भी दी गई थी जो उनकी पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका का संकेत था. हालांकि, वर्ष 2020 में किशोर को जेडीयू से निष्कासित कर दिया गया और 2023 में उन्होंने अपनी पार्टी जनसुराज की स्थापना की. उनकी पार्टी का मुख्य फोकस बिहार के विकास, शिक्षा, रोजगार और सुशासन पर रहा है और वे खुद को नीतीश कुमार के विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं.
नीतीश की लोकप्रियता में गिरावट
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उठा यह विवाद बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है. 2025 में विधानसभा चुनावों की तैयारी में लगे नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वह बार-बार गठबंधन बदलने की नीति और शासन की कमियों के लिए आलोचनाओं का सामना भी करते रहे हैं. हाल के दिनों में उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई है, ऐसा कई सर्वे एजेंसियों का दावा है. दूसरी ओर प्रशांत किशोर ने खुद को एक विकल्प के रूप में पेश किया है जो नीतीश कुमार की नीतियों की आलोचना करते हैं और विकास और सुशासन का वादा कर रहे हैं.
नये विवाद के कारण पीके पर सवाल
इसको लेकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने हाल ही में कई रणनीतिक कदम उठाए हैं. जैसे कि पूर्व भाजपा सांसद उदय सिंह को अपनी पार्टी का पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना और आरसीपी सिंह की पार्टी को अपने साथ मिलाना. ये कदम उनकी चुनावी तैयारी को मजबूत करते हैं. खासकर ओबीसी और अन्य समुदायों में उनकी पकड़ बढ़ाने के लिए यह रणनीतिक कदम है. बहरहाल, इस बीच इस नये विवाद के कारण पीके पर सवाल उठ रहे हैं. इसको लेकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने दोनों पक्षों की आलोचना की है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की राजनीति व्यक्तिगत हितों में उलझ गई है, जबकि लोगों को विकास और सुशासन चाहिए.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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