First coalition against Islamic terrorism formed: हमने बताया था कि तीसरा विश्वयुद्ध इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ होगा. इस विषैले वायरस के प्रसार को रोकने और उसे हराने के लिए गुरुवार को दुनिया में दो पहल हुई हैं. इस्लामिक कट्टरपंथ के सैन्य विस्तार को रोकने के लिए पहला गठबंधन बना है. वहीं इस्लामिक अतिवाद के वैचारिक विस्तार को बैन करने के लिए डेनमार्क में नई पहल हुई है.
अर्दोआन के नीचे से खिसकने वाली है जमीन
पहले हम इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन के खिलाफ बने गठबंधन का विश्लेषण करेंगे. ये गठबंधन इस्लामिक वर्ल्ड का खलीफा बनने की ख्वाहिश रखनेवाले तुर्किए के राष्ट्रपति अर्दोआन के खिलाफ बना है. ये वही कट्टरपंथी आर्दोआन है जो भारत के खिलाफ अपने वैचारिक गुलाम पाकिस्तान के समर्थन में खड़े रहते हैं. भारत विरोधी कट्टरपंथी अर्दोआन के खिलाफ बने इस गठबंधन पर हमारा ये विश्लेषण आप गौर से पढ़िए.
इजरायल-ग्रीस और साइप्रस ने मिलकर नया सैन्य गठबंधन बनाया है. इस्लामिक उन्माद के खिलाफ इस गठबंधन में शुरुआत में 2,500 सैनिकों की एक यूनिट बनाई जाएगी. इसमें इजरायल और ग्रीस से 1000-1000 सैनिक और साइप्रस से 500 सैनिक शामिल होंगे. इस यूनिट में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के जवान भी शामिल होंगे.
ये 3 देश बनाने जा रहे साझा सेना
इस्लामिक कट्टरपंथी जमात के खिलाफ नए गठबंधन की ये शुरुआत है. इसलिए फिलहाल सैनिकों की संख्या कम है. हम सभी जानते हैं कि शुरुआत छोटे कदम से ही होती है. अब BIG WALL पर एक बार नक्शे के नए गठबंधन की जमीनी जानकारी को थोड़ा विस्तार से समझते हैं.
इजरायल, साइप्रस और ग्रीस ये तीन देश है. दूसरी तरफ तुर्किए है. सिर्फ ग्रीस जमीन पर तुर्किए के साथ बॉर्डर शेयर करता है. इन चारों देशों के बीच भूमध्य सागर है. ये नया सैन्य गठबंधन भूमध्य सागर में इस्लामिक अतिवादी गठबंधन के कथित खलीफा अर्दोआन की मनमानी पर लगाम लगाएगा. यानी इस्लामिक कट्टरपंथी गठबंधन के खिलाफ पहली लड़ाई का मैदान भूमध्य सागर बनेगा.
भूमध्य सागर क्यों बनेगा लड़ाई का मैदान?
गठबंधन बन चुका है. लड़ाई का मैदान तय हो चुका है. तुर्किए के खिलाफ आखिर इजरायल-साइप्रस और ग्रीस ने गठबंधन क्यों बनाया हम आपको बताएंगे लेकिन पहले आपको बताते हैं कि भूमध्य सागर ही लड़ाई का मैदान क्यों बनेगा. समझते हैं कि आखिर समंदर को ही बैटल फिल्ड क्यों चुना गया है.
असल में भूमध्य सागर से वैश्विक समुद्री व्यापार का करीब 15% हिस्सा गुजरता है. इसे डॉलर में समझे तो ये 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का व्यापार है. भूमध्य सागर यूरोप, अफ्रीका, एशिया को जोड़ता है. भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ने वाली स्वेज नहर वैश्विक सप्लाई चेन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. तुर्किए इसी पर कंट्रोल करना चाहता है.
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है ये इलाका
भूमध्य सागर में भरपूर मात्रा में गैस जैसे प्राकृतिक संसाधन भी हैं. समझिए व्यापार सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, और ग्लोबल कनेक्टिविटी के लिहाज से भूमध्य सागर पर कंट्रोल महत्वपूर्ण है. जिसका इस रूट पर कंट्रोल होगा वो दुनिया के ट्रेड, गैस सप्लाई को कंट्रोल कर सकता है.
आज के वर्ल्ड ऑर्डर में ऊर्जा और व्यापार पर जिसका कब्जा होगा उसका ही वर्चस्व दुनिया में होगा. इस्लामिक वर्ल्ड का खलीफा बनने का सपना देखनेवाले अर्दोआन पूरे भूमध्य सागर पर इसलिए कब्जा करना चाहते है. अगर तुर्किए ने इस रूट पर कब्जा कर लिया तो वो दुनिया के सप्लाई चेन को मनमाने तरीके से कंट्रोल कर सकता है. ऐसा हुआ तो इस्लामिक कट्टरपंथी गठबंधन दुनिया को अपने इशारे पर चलाएगा. तुर्किए की इसी साजिश को नाकाम करने के लिए इजरायल-ग्रीस और साइप्रस ने हाथ मिलाया है.
इस्लामी आतंक प्रेमी हैं अर्दोआन
इस्लामिक कट्टरपंथी गठबंधन का वैचारिक आधार हिंसा है. ये गठबंधन पूरी दुनिया में मौजूद अपने वैचारिक बंधुओं की मानवता विरोधी गतिविधियों का संरक्षण करता है, उसे आर्थिक मदद देता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अर्दोआन ने इसी कट्टरपंथी वैचारिक मित्रता का प्रमाण देते हुए पाकिस्तान का समर्थन किया था, उसे हथियार दिया था.
#DNAमित्रों | 'इस्लामिक आतंक' के खिलाफ पहला गठबंधन तैयार, 'इस्लामिक आतंक' से लड़ने वाले गठबंधन में कौन?
तुर्किए के खिलाफ इजरायल-साइप्रस-ग्रीस का गठबंधन. 2,500 सैनिकों की पहली क्विक रिएक्शन टीम बनाई गई, यूनिट में आर्मी, एयरफोर्स, नेवी के जवान शामिल#DNA #DNAWithRahulSinha… pic.twitter.com/PsK1iMxLRr
— Zee News (@ZeeNews) December 18, 2025
कट्टरपंथी इस्लामिक गठबंधन के खलीफा बनने की चाहत में अर्दोआन ने गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल के एक्शन का विरोध किया. हिंसक हमास के लिए अर्दोआन के प्रेम को ऐसे समझिए कि उन्होंने इजरायली विमानों के लिए तुर्किए का एयरस्पेस बंद कर दिया.
सीरिया में इस्लामिक आतंकियों पर इजरायल की कार्रवाई का भी अर्दोआन विरोध करते हैं. इजरायल सीरिया के कट्टरपंथियों को बड़ा खतरा मानता है. जबकि तुर्किए उनकी मदद करता है. इतना ही नहीं इजरायल के खिलाफ अर्दोआन इस्लामिक कट्टरपंथी गठबंधन के सबसे बड़े फाइनेंसर ईरान की चुपके-चुपके मदद करते हैं.
ग्रीस-साइप्रस के कई इलाकों पर कर रखा है कब्जा
हड़प नीति और अवैध कब्जा- ये इस्लामिक कट्टरपंथियों का प्रमुख एजेंडा रहता है. इसी एजेंडे पर चलते हुए तुर्किए ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर अवैध कब्जा किया हुआ है. पिछले दो महीने में तुर्किए ने करीब 350 बार साइप्रस के एयरस्पेस और समुद्री सीमा का उल्लंघन किया है.
इसी विस्तारवादी नीति के तहत तुर्किए ने एजियन सागर में ग्रीस के कई द्वीपों पर कब्जा किया है. समुद्री सीमा, गैस फील्ड्स और पाइपलाइंस को लेकर भी तुर्किए ग्रीस पर धौंस जमाता रहा है.
ताकत के अंधे नशे में चूर है तुर्की
तुर्किए की इस मनमानी की वजह उसकी सैन्य ताकत है. फायर पावर इंडेक्स में तुर्किए की रैंक 9, इजरायल 15वें, ग्रीस 30वें और साइप्रस की अनुमानित रैकिंग 100 है.
हम सभी जानते हैं जहां भी कट्टरपंथी थोड़ा मजबूत होते हैं सबसे पहले अल्पसंख्यक यानी कमजोर लोगों को निशाना बनाते हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू इसके प्रमाण हैं. यही तुर्किए कर रहा है. हिंसक, कट्टरपंथी, विस्तारवादी और नफरती एजेंडे से लैस अर्दोआन इजरायल-साइप्रस-ग्रीस को निशाना बनाते रहे हैं. भूमध्य सागर पर कब्जा करना चाहते हैं.
दुनिया भर के इस्लामिक आतंकियों का समर्थन करते हैं. इसी कट्टरपंथी एजेंडे में डूबे इस्लामिक गठबंधन के कथित खलीफा को जवाब देने के लिए नया गठबंधन तैयार हो गया है. ये गठबंधन अब इस्लामिक कट्टरपंथी गठबंधन के खलीफा को चुनौती देगा. उसके सैन्य विस्तार का प्रतिकार करेगा.

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